मालिस के लाभ अनेक

हृदय रोगियों के लिए एक ही तरीका, जो सहायक सिद्ध होता है और वह है मालिश। मालिश के कारण रक्त के मार्ग की रुकावट अपना स्थान छोड़ने के लिए बाध्य हो जाती है जिससे रक्त संचार सुचारू रूप से होता है और हृदय अपना कार्य सुविधापूर्वक कर सकता है। मालिश त्वचा को सक्रियता प्रदान करती है। जिससे रोमकूप खुलते है। जो न केवल अपशिष्ट जल के शरीर से निष्कासन में सहायक हैं ऐसा करने में रोगी के आमाशय को आराम मिलता है। नाड़ी संस्थान को शांत व सशक्त करने में भी मालिश सहायक होती है जिससे सारे शरीर का नियंत्रण ठीक प्रकार से हो सकता है। दूसरी और मालिश से मोटापा भी नियंत्रित किया जा सकता है। मसलना, दबाना, घर्षण, कटोरी थपकी, थकझोरना, सहलाना, कंपन, मुक्का मारना आदि विधियों का प्रयोग हृदय रोगी की मालिश करते समय किया जा सकता है। मालिश की विभिन्न विधियाँ हैंः-
मर्दन :- मर्दन करने के लिए तेल हाथों में लेकर पूरे शरीर पर मलते हैं जिससे शरीर पूरे तेल को जज्ब कर लें। बीच-बीच में हाथों के गोलाई में घुमाते हुए भी मांसपेशियों को रगड़ना चाहिए।
मसलना:- मसलने के लिए मुख्यतः अंगुलियों तथा अंगूठे का प्रयोग किया जाता है। इसके लिए पेशियों को अंगुलियों व अंगूठे में पकड़कर हलके हाथ से मसलते हैं साथ ही जोड़ों तथा गांठों पर गालाई में घुमाते हैं जिससे शरीर में स्थिति विकार अपनी जगह छोड़ें तथा जमा हुआ वसा पिघले। बीच-बीच में अंगों को हाथों से दबाना तथा ढीला छोड़ना चाहिए। जिससे रक्त संचार तेज हो सके।
थपथपाना:- थपथपानें की क्रिया पीठ और छाती पर की जाती है। इसमें हलके व ढीले हाथों से पूरे शरीर को थपथपाया जाता है। हृदय तथा छाती पर थपथपाना चाहिए इससे हृदय सशक्त होता है। साथ ही रोगी को हृदय पेट तथा छाती पर सहलाना भी चाहिए।
कटोरी थपकी:- कटोरी थपकी देने के लिए हाथों को थोड़ा मोड़कर कटोरी की तरह बनायें और पीठ, छाती और हृदय पर नीचे से ऊपर तथा ऊपर से नीचे की ओर थपकी दें। मुक्के मारने के लिए रोगी को उल्टा लिटा लें और दोनों हाथों के मुक्के बनाकर ढीले हाथों से रोगी को हल्के-हल्के मुक्के मारें। हाथों को खुलारखते हुए पूरे शरीर पर अंगुलियों से नीचे से ऊपर की ओर ठोंके। कंपन का मालिश में महत्व है। यह क्रिया सबसे अंत में की जानी चाहिए। इसके लिए हाथों को ढीला रखते हुए पूरे शरीर को पहले थोड़ा तेज और फिर धीरे-धीरे हल्का कंपन देना चाहिए अंत में केवल अंगुलियों से कंपन दें। इस क्रिया से रोगी को शक्ति मिलती है और उसका हृदय सक्रिय होता है।


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