ज्योतिष मे गृह कलह के ग्रह योग
वैदिक ज्योतिष एवं प्राच्य विद्या शोध संस्थान अलीगंज, लखनऊ के तत्वाधान मे 128 वीं मासिक सेमिनार का आयोजन वाराह वाणी ज्योतिष पत्रिका कार्यालय मे किया गया सेमिनार का विषय ज्योतिष मे गृह कलह के ग्रह योग था। जिसमे डा. डी एस परिहार के अलावा श्री अनिल कुमार बाजपेई एडवोकेट, जज श्री एल बी उपाध्याय, श्री उदयराज कनौजिया डा. प्रदीप निगम, प. के के तिवारी, प. प्रभाकर पाण्डे प. शिव शंकर त्रिवेदी, प. जे पी शर्मा, प. विनय मिश्रा, एडवोकेट, तथा प. आनंद त्रिवेदी आदि ज्योतिषियोें एवं श्रोताओं ने भाग लिया गोष्ठी मे डी एस परिहार, जज श्री एल बी उपाध्याय, श्री उदयराज कनौजिया डा. प्रदीप निगम तथा प. आनंद त्रिवेदी ने अपने अनुभव और व्यक्तव्य प्रस्तुत किये। श्री एल बी उपाध्याय जी ने कहा कि ग्रह कलह का विचार चन्द्रमा से करना चाहिये चन्द्रमा पर यदि सप्तमेश पाप दृष्टि डाले तो पत्नी से भयानक कलह होगी जज साहब ने सिंह लग्न के जातक की एक कुंडली के माध्यम से बताया कि राशियों के तत्वों के आधार पर भी कहल योगों की व्याख्या करनी चाहिये जैसे वृशिचक राशि मे जल का भाग केवल 1/2 भाग ही रहता है। बाकी आधे भाग मे 8 अंय तत्व भी रहते है। प. आनंद त्रिवेदी ने कहा कि कलह योगो को केवल जंम कुण्डली मे ही नही बल्कि नवंाश कुडली मे भी देखना चाहिये। यदि मंगल लग्न कुंडली मे नीच का या खराब हो पर नवांश मे उच्च का हो तो उत्तम फल देगा श्री उदयराज कनौजिया ने बताया कि द्वितीय भाव कुटुम्ब तथा चतुर्थ भाव पारिवारिक सुख का है। इन भावों पर पाप प्रभाव कलह देगा कनौजिया जी ने के पी पद्धति मे बनने वाले कलह योगों की भी चर्चा की। डा परिहार ने कहा कि कलह का मूल कारण काम, क्रोध, मद, लोभ, अहंकार आदि षड रिपु है। जिस भाव का स्वामी लग्नेश से छह, आठ तथा 12 वें भाव मे हो तो उस भाव के संबधी से जातक की कलह होगी। जैसे लग्नेश सप्तमेश परस्पर 6, 8 या 12 वें भाव मे हो जातक के पति या पत्नी से लग्नेश पंचमेश परस्पर 6, 8 या 12 वें भाव मे हो तो पुत्र, पुत्री से, नवमेश हो तो पिता, साले या ननद से, तृतीयेश हो तो ससुर या छोेटे भाई बहन संे शत्रुता या कलह होगी। नाड़ी ज्योंतिष मे पुरूष जातक मे मंगल व गुरू व स्त्री जातक मे शुक्र लग्न को बताती है। शुक्र या गुरू से जो ग्रह छह, आठ तथा 12 वें भाव मे हो तो उस ग्रह के संबधी से जातक की कलह होगी। जैसे गुरू सूर्य परस्पर 6, 8 या 12 वें भाव मे हो तो पिता या पुत्र से या शुक्र हो तो पत्नी या बहन से, मंगल हो तो पति या भाई से कलह होगी। कोई ग्रह यदि अपने शत्रु ग्रहोें के पापकर्तरी योग मे हो तो भी कलह होगी। मंगल बुध योग हो या मंगल यदि बुध या शनि की राशि मे जाये तो मंगल भंयकर कलह देता है। सेमिनार की अध्यक्षता डी एस परिहार ने किया।