शान-ए-इलाहाबाद’ सम्मान
समाज में बढ़ी विडंबनाओं के खिलाफ लोगों ने लिखना, बोलना बंद कर दिया है, यह बेहद खतरनाक है। समाज में घटी घटनाओं को लेकर लोग सोचते हैं कि हमसे क्या मतलब। यह सोच आज समाज के लिए बहुत घातक है, क्योंकि वही स्थिति बारी-बारी सबके सामने आनी है। यह बात प्रो. अली अहमद फातमी ने गुफ्तगू की ओर से धूमनगंज, प्रयागराज के हनुमान वाटिका में आयोजित 'शान-ए-इलाहाबाद सम्मान' समारोह और पुस्तक विमोचन समारोह के दौरान बतौर मुख्य अतिथि कही। उन्होंने कहा कि बाजारवाद के दौर में गुफ्तगू जैसी पत्रिका का प्रकाशित होना और अपने क्षेत्र में बेहतर काम करने वालों को सम्मानित करना बड़ा काम है। इम्तियाज गाजी ने अपनी टीम के साथ यह करके दिखा दिया है। जिन लोगों को सम्मानित किया गया, वे सारे लोग अपने क्षेत्र के खास लोग हैं। प्रो. फातमी ने कहा कि अच्छी शायरी के लिए ज्यादा पढ़ा-लिखा होना जरूरी नहीं है, बल्कि समाज को समझना ज्यादा जरूरी है। गुफ्तगू के अध्यक्ष इम्तियाज अहमद गाजी ने कहा कि आज के दौर में पत्रिका निकलना बेहद मुश्किल काम है, लेकिन कुछ अच्छे लोगों के सहयोग से हम यह काम कर रहे हैं। गुफ्तगू की पूरी टीम मिलकर काम कर रही