भगवान शिव को क्यों प्रिय है सावन

सावन माह शिवजी को अत्यंत प्रिय है। सावन आते ही सारी पृथ्वी गर्मी की ज्वलंत ज्वाला से मुक्त होकर वर्षा  के जल से सराबोर हो जाती है ज्योतिष मान्यता के अनुसार सूर्य जेष्ठ मास मे जब आद्र्रा नक्षत्र मे प्रवेश करता है, तो भगवान शिव रूदन करते है, सूर्य के आद्र्रा नक्षत्र मे प्रवेश के साथ ही बारिस शुरू हो जाती है। परन्तु चन्द्र के महीने सावन मे पूरी प्रकृति तृप्त होकर खुशी से झूम उठती है। मनुष्य तो मनुष्य पृथ्वी, जल वायु पशु-पक्षी किसान, पेड़ पौघे सभी मग्न हो कर सृष्टि की नवीन रचना मे लग जाते है। पौराणिक मान्यता के अनुसार सतयुग मे इसी माह मे देवताओं और दैत्यों के द्वारा समुद्र मंथन हुआ था तो मंथन मे सर्व प्रथन अग्नि के समान जलता हुआ कालकूट नामक विष निकाला जिसकी गर्मी से देव दानव पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, जलचर, नभचर सभी व्याकुल हो गये सारे संसार को भयानक विष से बचाने के लिये भगवान शिव ने उस विष का पान किया परन्तु उसे गले मे ही रोक लिया जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया विष की ज्वाला व गर्मी से भगवान शिव व्याकुल हो गये तब प्रकृति ने वर्षा उत्पन्न करके उन्हें विष की अग्नि से मुक्त किया तब से भक्त शिवजी के लिंग पर सावन माह मे जल दूध आदि अर्पण करते है, जिनसे शिवजी सरलता से प्रसन्न हो जाते है। कुछ अंय पौराणिक कथाओं के अनुसार सावन के माह मे ही माता पार्वती जी ने कठोर तपस्या करके भगवान शिव को प्राप्त किया था भगवान शिव ने माता पार्वती को दर्शन देकर उन्हें स्वीकार किया था तथा फाल्गुन माह शुक्ल त्रयोदशी को माता पार्वती और परमेश्वर शिवजी का विवाह सम्पन्न हुआ यह पवित्र पर्व शिवरात्रि कहलाता है। सावन मे भगवान शिव की उपासना से संबधित अनेक पर्व, त्योहार व्रत आदि होते है। कुछ भक्त इस माह मे रूद्राभिषेक कराते है। कुछ सोमवार का व्रत करते है। कुछ कुंवारी लड़कियाँ सावन के सोमवारों का व्रत रख कर उनकी कथा सुनकर शिव पूजन करती है। कुछ भक्त कालसर्प दोषशांति नाग शांति आदि करवाते है। क्योंकि नाग व सर्प शिवजी के भक्त व उपासक माने जाते है। अतः इस माह मे इन दोषों की शांति करवाने से शिवजी की कृपा से भक्तों को इन दोषों से मुक्ति मिलती है अविवाहित महिलाओं तथा ऐसे विवाहित जोड़े जिनका वैवाहिक जीवन कलह पूर्ण होता है वे श्रावन मास मे मंगला गौरी व्रत करती है। सावन मास मे भक्तों द्वारा उनका पूजन किये जाने से वे शीघ्र प्रसन्न हो जाते है। भगवान शिव भोले भंडारी है। उनकी पूजा मे किसी विशेष सामग्री की आवश्यकता नही होती है, वे थोड़े से फल-फूल, जल, दूध आदि चढाने से ही वे प्रसन्न हो जाते है। श्रावन माह का दूसरा महत्वपूर्ण त्योहार रक्षा बंधन है। जो सावन पूर्णिमा को पड़़ता है यह भाई-बहन के अटूट प्रेम पवित्रता का पर्व है। जिसमे बहन भाई का पूजन करके उसे राखी का पवित्र धागा बांधती है और मिष्ठान पकवान खिलाती हें और भाई उसकी हर संकट और मुसीबत से रक्षा का वचन देता है। सावन मे गांव गांव मे झूले पढ़ जाते है। जिसमे कुंवारी कन्यायें, नवविवाहितायें और बच्चे खूब झूला झूलते हैं।
 भगवान का पूजन आप धूप बत्ती, अगरबत्ती, सफेद चंदन, रोली, हल्दी, सफेद फूल, सफेद कपड़ा, बेल के पत्ते जो भगवान को अति प्रिय है पानी वाला नारियल, धतूरा, भंाग, गन्ना, लईया, ईलायची दाना, दूध, चावल, मिष्ठान आदि से करें व शिव चालीसा, रूद्राष्ठक, शिव कवच तथा शिवजी के किसी भी मंत्र का जाप करें महामृत्युजंय और शिवजी के पंचाक्षर मंत्र ऊँ नमः शिवाय का जाप करें।


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