शिक्षा के शक्तिशाली हथियार द्वारा बाल मजदूरी के विरूद्ध जागरूकता

बाल मजदूरी के प्रति विरोध एवं जगरूकता फैलाने के मकसद से हर साल 12 जून को बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ की इकाई अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के जागरूकता पैदा करने के लिए 2002 में विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस के रूप में मनाने की शुरूआत की। संगठन के अनुमान के मुताबिक विश्व में 21 करोड़ 80 लाख बाल श्रमिक हैं। जबकि एक आकलन के अनुसार भारत में ये आंकड़ा 1 करोड, 26 लाख 66 हजार 377 को छूता है। इन बच्चों का समय स्कूल में काॅपी-किताबों और दोस्तों के बीच नहीं बल्कि होटलों, घरों, उद्योगों में बर्तनों, झाड़ू-पोंछे और औजारों के बीच बीतता है। भारत में यह स्थिति बहुत ही भयावह हो चली है। दुनिया में सबसे ज्यादा बाल मजदूर भारत में ही हैं। सभी बाल श्रमिकों का 60 प्रतिशत कृषि के क्षेत्र में पाया जाता है। लम्बे काम के घण्टे, भारी बोझ या उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए उनकी उम्र के लिए अनुचित और हानिकारक व्यावसायिक जोखिम को उजागर कर रहे हैं जब हम बाल श्रम के बारे में बात करते है तो ग्रामीण बच्चों की इस तरह की स्थितियों से अवगत कराया जाना आवश्यक है।  मजदूरी के दलदल में फंसा बचपन:- बचपन, इंसान की जिंदगी का सबसे हसीन पल, न किसी बात की चिंता और न ही कोई जिम्मेदारी। बस हर समय अपनी मस्तियों में खोए रहना, खेलना-कूदना और पढ़ना। लेकिन सभी का बचपन ऐसा हो यह जरूरी नहीं। बाल मजदूरी की समस्या से आप अच्छी तरह वाकिफ होंगे। कोई भी ऐसा बच्चा जिसकी उम्र 14 वर्ष से कम हो और वह जीविका के लिए काम करे बाल मजदूर कहलाता है। गरीबी, लाचारी और माता-पिता की प्रताड़ना के चलते ये बच्चे बाल मजदूरी के इस दलदल में धंसते चले जा रहे हैं।    


विद्यालय अथवा कार्यस्थल स्तर पर पैरोकार के रूप में कार्य करें:- बाल-श्रम विरोधी विश्व दिवस 12 जून के अवसर पर सभा आयोजित कर चर्चा करें कि विद्यालय के बच्चे विशेषकर लड़कियों के जीवन में बाल-श्रम उन्मूलन का क्या महत्त्व है। सर्वशिक्षा संबंधी कार्यक्रम का आयोजन कर चर्चा करें कि गुणवत्ता युक्त सार्वजनिक शिक्षा एवं बाल-श्रम से कैसे निपटा जाए। विद्यालय के पाठ्यक्रम में बाल-श्रम मुद्दा शामिल हो इसके लिए विद्यालय प्रबंधन समिति एवं स्थानीय अधिकारियों एवं प्राधिकारियों के साथ चर्चा करें। बच्चों, उनके अभिभावकों एवं शिक्षकों को उनके अधिकारों एवं बच्चे विद्यालय में बने रहें, इस तथ्य के प्रति संवेदित करें। शिक्षा के महत्त्व एवं बाल-श्रम के दुष्परिणामों के प्रति जागरूकता फैलायें। वादविवाद, चित्रकला एवं नाट्य प्रतियोगिताओं का आयोजन करें। बाल-श्रम के मुद्दों को अपने शैक्षणिक कार्यक्रमों एवं संगठन की योजनाओं में शामिल करें और बाल-श्रम विरोधी विश्व-दिवस के अवसर पर कार्यवाही करें। बाल-श्रम विरोधी नीतियों को अपने संगठन में अंगीकृत करें और उसके सदस्यों को बाल-श्रम के खिलाफ कार्यवाही करने हेतु प्रोत्साहित करें। विद्यालय अथवा संगठन विश्व भर की पत्र-पत्रिका में इण्टरनेट, सोशल मीडिया, प्रिन्ट तथा इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यमों से बाल-श्रम उन्मूलन के संबंध में लोगों को जागरूक करें।   सामुदायिक स्तर पर अपने समुदाय में सम्मिलित रहकर:- समुदाय में बाल-श्रम के संबंध में सभी से चर्चा करें, इसके खिलाफ एकजुट होने के लिए प्रोत्साहित करें तथा बाल-श्रम विरोधी विश्व दिवस में सहभागिता के लिए प्रेरित करें। बाल-श्रम उन्मूलन के संबंध में स्थानीय समाचार-पत्रों का सहयोग लें। बच्चों के शोषण के खिलाफ अभियान चलायें। बाल-श्रम की निगरानी के लिए परिवारों एवं समुदाय के साथ कार्य करे। बाल-श्रम के खिलाफ कार्यरत संगठनों में स्वयंसेवक की तरह जुटें। बाल-श्रम संबंधी नाटकों की रचना, मंचन एवं संचालन में मदद करें। विद्यालय में बच्चों के दाखिले के संबंध में सहयोग करें। अपने समुदाय में बाल-श्रम संबंधी परिस्थितियों की निगरानी करें।  न्यायपूर्ण विश्व व्यवस्था बनाने के लिए सीएमएस विगत 60 वर्षों से प्रयासरत:- वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों में संयुक्त राष्ट्र संघ को और मजबूत किये जाने की आवश्यकता है, जिससे यह संस्था युद्धों को रोकने, अन्तर्राष्ट्रीय विवादों का निपटारा करने, आतंकवाद को रोकने नाभिकीय हथियारों की समाप्ति एवं पर्यावरण संरक्षण आदि तमाम वैश्विक समस्याओं को प्रभावशाली ढंग से सुलझाने में सक्षम हो सकें क्योंकि तभी विश्व में शान्ति व एकता की स्थापना संभव हो सकेगी। विश्व एकता व विश्व शान्ति के प्रयासों के तहत ही सी.एम.एस. विगत 19 वर्षों से लगातार प्रतिवर्ष ‘मुख्य न्यायाधीशों का अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ आयोजित करता आ रहा है जिसमें अभी तक दुनिया के दो-तिहाई से अधिक देशों की भागीदारी हो चुकी है। इसके अलावा प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले 28 अन्तर्राष्ट्रीय शैक्षिक समारोह के माध्यम से भी सी.एम.एस. विश्व के बच्चों को एक मंच पर एकत्रित होकर एकता व शान्ति का संदेश देता है। साथ ही विभिन्न सामाजिक जागरूकता के कार्यक्रमों जैसे बाल श्रम, पर्यावरण, बालिकाओं की शिक्षा, किशोरों व युवाओं के चारित्रिक उत्थान आदि अनेकानेक ज्वलन्त मुद्दों पर पुरजोर ढंग से अपनी आवाज उठाता रहा है।  सभी को साामाजिक न्याय सहजता से सुलभ हो:- सी.एम.एस. विगत 60 वर्षों से लगातार विश्व के दो अरब से अधिक बच्चों के सुरक्षित भविष्य हेतु विश्व एकता व विश्व शान्ति का बिगुल बजा रहा है। अब यू.एन.ओ. के आॅफिसियल एन.जी.ओ. का दर्जा मिलने के बाद विश्व पटल पर इसकी प्रतिध्वनि और जोरदार ढंग से सुनाई देगी। सी.एम.एस. की सम्पूर्ण शिक्षा पद्धति का मूल यही है कि सभी को सामाजिक न्याय सहजता से मिल सके, मानवाधिकारों का संरक्षण हो, भावी पीढ़ी के सम्पूर्ण मानव जाति की सेवा के लिए तैयार किया जा सके, यही कारण है सर्वधर्म समभाव, विश्व मानवता की सेवा, विश्व बन्धुत्व व विश्व एकता के सद्प्रयास इस विद्यालय को एक अनूठा रंग प्रदान करते हैं, जिसकी मिसाल शायद ही विश्व के किसी अन्य स्कूल में मिल सके। वास्तव में बाल श्रम उन्मूलन के लिये कानून को न्यायालय की चार दीवारी से बाहर आना होगा। जो व्यक्ति अशिक्षा, आर्थिक अभाव या किसी भी अन्य कारणों से न्यायालय नहीं पहुंच पाता है उसे भी न्याय मिले इस बात को हम सभी को मिलकर सुनिश्चित करना है।


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