विवाह में अनावश्यक विलम्ब

विवाह मानव जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना है। जन्म, विवाह, मृत्यु इन तीन महत्वपूर्ण घटनाओं की धूरी पर मनुष्य का जीवन घूमता है। विवाह स्त्री-पुरुषों की समाजिक, शारीरिक, मानसिक तथा व्यवहारिक आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। यह संसार की सर्जनात्मक शक्ति का अंग है। संसार के सभी देषों, जातियों में, धर्मो में विवाह को अनिवार्य संस्था माना गया है।
 आज बदलते आर्थिक समाजिक परिवेश में विवाह संबन्ध स्थापित करना एक समस्या बन गया है। उत्तम, शिक्षित, धनी और प्रतिष्ठित वर की तलाश और सुन्दर धनी, शिक्षित, बुद्धिमान, कार्यकुशल पत्नी प्राप्त करना सहज नहीं है। दोनो पक्षों की महत्वाकांक्षाओं तथा उत्तम व सम्पूर्ण व्यक्ति की तलाश ने इस समस्या को गहरा कर दिया है।
 ज्योतिष शास्त्रों में विवाह विलम्ब का प्रमुख कारक ग्रह षनि माना गया है, जो स्त्री-पुरुष दोनों को कुप्रभावित करता है। वैसे पुरुष की कुण्डली में शुक्र पत्नी का कारक है, तथा स्त्री की कुण्डली में मंगल पतिकारक है। कुछ ग्रन्थों में गुरू को भी पति कारक माना गया है। किन्तु दोनों में एक भेद है। अविवाहित कन्या हेतु मंगल पति का कारक है। और विवाहोपरान्त स्त्री के लिये गुरू पति कारक है। गुरू पत्नी, बच्चों का पालन करने वाले प्रौढ़ पति का कारक है और मंगल अविवाहित या नवदम्पति या ऐसे जोड़े जिनको अभी सन्तान प्राप्त नही हुयी है का कारक ग्रह है।
 पुरुष की कुण्डली में सप्तम भाव (विवाह भाव), सप्तमेष तथा शुक्र का अस्त होना नीच या वक्री होने, या 6,8,12 भाव में जाने या पाप ग्रहों से युत दृष्ट या पाप या शत्रु ग्रहों से कत्र्तरी योग में फँसकर निर्बल हो जाने से विवाह विलम्ब होता है।
 स्त्री की कुण्डली में मंगल ग्रह, सप्तमेश, सप्तमभाव का नीच अस्त वक्री हो जाने या 6,8,12 भाव में जाने या पाप ग्रहों से पुत या दृष्ट हो जाने या शत्रु ग्रहों के प्रभाव में जाने से विवाह विलम्ब होता है।
 इनके अलावा कुण्डली में मंगली कुण्डली होने से भी विवाह विलम्ब होता है। ऐसी स्थिति में पुरुष को शनि ग्रह के साथ शुक्र के तथा स्त्री को शनि ग्रह के साथ-साथ मंगल ग्रह के उपाय भी करने चाहिये। यहाँ विवाह विलम्ब के लिये कुछ सरल उपाय दिये जा रहे हैः-
 लड़के व लड़की काले, गहरे नीले रंग के कपड़े नहीं पहने, लड़कियाँ गुलाबी व आसमानी रंग  के कपड़े पहने तथा लड़के आसमानी, हल्के नारंगी कपड़े धारण करें।
 जिन लड़के-लडकियों के विवाह में बाधा आ रही हो वे मकान के उत्तर पश्चिम दिशा में शयन करें और कमरे में लव वडर्स (कबूतरों) का जोड़े का चित्र लगायें।
 सुन्दरकाण्ड़ का पाठ, पीपल पर नियमित शनिवार को सायं दीपक जलाकर सात प्रदसिणा करें। 
 देवी मंदिर में शुक्रवार को श्रंगार सामग्री चढ़ाकर सुमंगली स्त्री को भोजन वस्त्र दान करें। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार विवाहित सुन्दर, पुत्रवान, सुख संपति से युक्त महिला शुभ व सुमंगली मानी जाती है। इसका आर्षीवाद शीघ्र विवाह में वरदान का काम करता है। 
 यदि विवाह वार्ताओं में बात टूट जाती हो तो कनक धारा स्त्रोत का नित्य पाठ करे। यदि विवाह प्रस्ताव नहीं प्राप्त हो रहे हो, तो मंगल चंड़िका स्त्रोत का पाठ करें। यदि मंगली दोष के कारण विवाह विलम्ब हो रहा हो तो मंगलवार का व्रत रख मंगलवार को लाल वस्तुओं का दान करें। शनि विवाह में नकारात्मक व अस्वीकृति की प्रवृत्ति पैदा करता है। व्यक्ति व घर वाले छोटी-छोटी बातों पर विवाह प्रस्ताव अस्वीकार कर देते है। अतः विवाह में अनावश्यक विलम्ब होता है। ऐसी स्थिति में दशरथ कृत शनि स्त्रोत तथा शनि चालिसा का पाठ करें। उपरोक्त सभी उपाय अनुभव सिद्ध है। शीघ्र फल प्रदान करने वाले है। इनके प्रयोग से विवाह शीघ्र सम्पन्न होगा।               


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