महात्मा गांधी खाद्य प्रसंस्करण ग्राम स्वरोजगार योजना
राजकीय सामुदायिक फल संरक्षण एवं प्रशिक्षण केन्द्र, रायबरेली द्वारा आयोजित उद्यमिता विकास प्रशिक्षण एक माह कार्यक्रम जिसका आयोजन उ0प्र0 खाद प्रसंस्करण उद्योग नीति के तहत महात्मा गांधी खाद्य प्रसंस्करण ग्राम स्वरोजगार योजना के तहत किया गया था। कार्यक्रम का समापन एडी सूचना प्रमोद कुमार द्वारा छात्र-छात्राओं को उत्तर प्रदेश संदेश, विकास एवं सुशासन के 30 माह व सीएए पम्पलेट देकर किया गया। उन्होंने कहा खाद्य प्रसंस्करण व उद्यमिता विकास का असीम सम्भावना हैं। मनुष्य के जीवन में फास्ट फूड यानि जल्द तैयार होने वाला भोजन-नास्ते के भांति फलों का संरक्षण व उसके उत्पाद का विशेष महत्व है। व्यावसायिक दृष्टिकोण से भी प्रशिक्षण को प्राप्त करने के उपरान्त जैम बनाना, अनाजो को सुखाना, जेली बनाना, संतरे का मार्मलेड, विभिन्न फलों के स्क्वैश, शरबत, इन्जाइंम संरक्षण, ढाबा एवं फास्ट फूड कार्नर, रेस्टोरेंट आदि के विकास व रोजगार की असीम सम्भावनाएं हैं। आज की व्यस्ततम् जिन्दगी में नौकरी पेशा लोग सुबह की आपाधापी में नास्ता या खाना बनाकर आर्डर करके मंगाना ज्यादा पसन्द करते हैं। इसका एक कारण फलों का संरक्षण के साथ ही रेस्टोरेन्ट व ढाबों द्वारा दी जा रही लजीज व आकर्षक व्यंजनों की वैराइटी हैं।
प्रशिक्षण के दौरान बतायी जा रही जानकारियों को छात्र-छात्रायें आत्मसात कर आत्मनिर्भर होकर स्वरोजगार की दिशा में आगे बढें। खाद्य पदार्थों में मिलावट की जांच, खाद्य पदार्थों के खराब होने के कारण खाद्य संरक्षण का महत्व व इसके बाजार के बारे में भी छात्र-छात्राएं भली भांति जानें। फल व सब्जियों को उपयोग के लिए संरक्षित रखकर प्रयोग कर सकते हैं। उनके पोषक तत्व व विटामिन्स आदि भी नष्ट न हों, कार्यक्रम युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में भी विशेष महत्वपूर्ण है।
राजकीय सामुदायिक फल संरक्षण एवं प्रशिक्षण प्रभारी जगतपाल कौशल, स्वय सेवी संस्थान की रूपा गुप्ता, पूर्व खाद्य एवं प्रसंस्करण अधिकारी आर0के0 यादव, एस0एम0 असकरी ने कहा कि प्रशिक्षण के माध्यम से प्रशिक्षार्थियों को खाद्य सुरक्षा गुणवत्ता नियंत्रण, गुणवत्ता एवं स्वच्छता मानकीकरण, प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना, फल सब्जियों का अर्द्धप्रसंस्करण के साथ ही पाक कला की परिभाषा एवं उद्देश्य, कच्चे माल का वर्गीकरण, चाऊमीन, साॅस, स्टाॅक, सूप, चायनीज पाक कला के सिद्धान्त, मैन्यू प्लानिंग, स्नैक्स आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम, कोन्टिनेन्टल क्यूजीन, शहरी व ग्रामीण क्षेत्र हेतु ढाबा/फास्ट फूड रेस्टोरेन्ट आदि सम्बन्धी कार्यकलापों को विस्तार से बताया। प्रशिक्षण को पूर्ण करने के उपरान्त छात्र-छात्राएं कहीं भी सरकारी सहायता प्राप्त कर अपना निजी व्यवसाय प्रारम्भ कर सकते हैं। किस प्रकार से जल्द खाद्य सामग्री तैयार की जाए व उसकी गुणवत्ता व पोषकता भी बनी रहे। इस पर ध्यान देने की जरूरत पर विशेष ध्यान दें। इस मौके पर अरूण कुमार अवस्थी, लखपत कुमार, अनिता मिश्रा, राशिद आदि अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।