रूमानियत और रूहानियत से लबरेज है अना की शायरी
अना इलाहाबादी की शायरी की संजीदगी हर ग़ज़ल में नज़र आती है। इनके कलाम रूमानियत और रूहानियत से लबरेज हैं। रूमानियत भी रूहानियत के अनुभवों से ही प्रकट होती है, वैसे भी एक साहित्यकार अपने दिल के सबसे ज्यादा करीब होता है और दिल ही तो उस परम सत्ता का निवास है जहां से शब्द रूपी मोती प्रस्फुटित होते हैं। अना की शायरी का शिल्प सौंदर्य बहुत मजबूत है। ग़ज़ल में लयात्मकता इतनी है कि शब्द जैसे फिसलते से लगते हैं, आपके कलाम का मजमुआ एक बेहतरीन कृति है जो आपकी फिक्रो-फन और प्रतिभा का परिचायक है। यह बात गुफ़्तगू द्वारा आयोजित आॅनलाइन साहित्यिक परिचर्चा के दौरान अना इलाहाबाद के ग़ज़ल संग्रह ‘दीवान-ए-अना’ पर विचार व्यक्त करते हुए मनमोहन सिंह तन्हा ने कही।
नरेश महरानी ने कहा कि अनामिका पांडेय उर्फ़ अना इलाहाबादी अपनी शायरी में प्रत्येक विषय को बड़ी ही संजीदगी से चित्रण करती हैं, जिसमें उनकी सशक्त शिल्प शैली उभरकर सामने आती है। गजल की बारिकियों पर उनकी अच्छी पकड़ है। उन्होंने सरल शब्दों को विचरण कराते हुए रूमानियत और रुहानियत के संगम को परिलक्षित किया है। रचना सक्सेना ने कहा कि अना इलाहाबादी ने जीवन के विभिन्न रंगों, मानवीय संवेदनाओं, समाज की विसंगतियों पर कलम उठाई। आपकी ग़ज़लों में लयात्मकता है और जब आप मंचों पर अपनी ग़ज़लों को स्वर देती हैं तो श्रोताओं को मनमुग्ध कर देती हैं।
दयाशंकर प्रसाद के मुताबिक अना इलाहाबादी की गजलों में मानवीय संवेदना के स्वर अंकुरित हुए हैं। संवेदना के साथ-साथ यह गजलें शायरा की जिं़दगी को आधार बनाकर रचे हुए प्रतीत होते हैं। शायरा को अपने देश की सभ्यता और संस्कृति से अगाध स्नेह है, पश्चिमी देशों का अंधानुकरण करके भावी पीढ़ी पतन की ओर उन्मुख हो रही है। तामेश्वर शुक्ल ‘तारक’ ने कहा कि ‘दीवान-ए-अना’ में विभिन्न बह्र में कही गई सभी ग़ज़लें एक से बढ़कर एक हैं। इन्होंने गजल सृजन में अपने अशआर के माध्यम से ममतामयी मां का भी शानदार तरीके से वर्णन किया।
इनके अलावा सम्पदा मिश्रा, ऋतंधरा मिश्रा, डॉ. ममता सरूनाथ, सुमन ढींगरा दुग्गल, अतिया नूर, डाॅ. नीलिमा मिश्रा, अर्चना जायसवाल, संजय सक्सेना, जमादार धीरज, रमोला रूथ लाल ‘आरजू’, शैलेंद्र जय, शगुफ्ता रहमान, हितेष कुमार मिश्र, अनिल मानव, सागर होशियारपुरी और प्रभाशंकर शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संयोजन गुफ़्तगू के अध्यक्ष इम्तियाज अहमद गाजी ने किया। गुरुवार को मैनपुरी जिले के बीएसए विजय प्रताप सिंह की शायरी पर परिचर्चा होगा।