क्या सितम्बर 2020 के बाद भारत मे आयेगा महाविनाश
प्राचीन भारतीय ज्योतिषियों जैसे वाराह मिहिर तथा अंय संहिता ज्योतिषियों ने भारत की प्राचीन राशि मकर बताई थी 20 वीं सदी के महान ब्रिटिश पाॅमिस्ट काउंट लुई हेमन कीरो में भी 1925 मे प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘वल्र्ड प्रैडिक्शन’ मे भारत की राशि मकर बताई है लगभग हजार वर्ष पहले भारत विदेशी मुस्लिम आक्रांताओं का गुलाम हो गया और 15 अगस्त 1947 को वृष लग्न मे भारत विदेशी गुलामी से मुक्त हुआ। भारतीय ज्योतिष मे किसी भी देश या व्यक्ति के पूर्वजंम का ज्ञान नवम भाव से और अगले जंम का ज्ञान पंचम भाव से होता है। वृष राशि मकर राशि से पंचम राशि है। अतः यह आजादी प्राचीन भारत का ही अगला जंम है। भारतीय ज्योतिष मे बृहस्पति को धर्म और अध्यात्म का कारक ग्र्रह माना गया है तथा राहू को दैत्यों, राक्षसों, मुस्लिमों, मलेच्छों नास्तिकांे, धर्म विरोधी तथा दुर्भाग्य, नर संहार का कारक ग्रह माना गया है। भारत के इतिहास मे वृष मिथुन और धनु राशियो ंकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। दुर्भाग्यवश भारत के जमांक मे धर्म गुरू की राशि धनु देश की वृष लग्न/राशि से अष्ठम भाव की राशि है। जो आयु और मृत्यु का भाव है। तथा भारत की प्राचीन राशि मकर से धनु 12 भाव की राशि है। जो विनाश का भाव है मिथुन राशि आजाद भारत की लग्न की द्वितीय भाव की राशि है। जो मारक भाव है। तथा प्राचीन भारत की राशि मकर से छठे भाव की राशि है। जो रोग व शत्रु का भाव है। भारत के इतिहास मे वृष मिथुन वृश्चिक और धनु राशियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। राहू विनाश का कारक ग्रह है। केतु मोक्ष अलौकिकता तथा नई उत्पति का कारक ग्रह है। साथ ही केतु मे कई विनाशकारी शक्तियां भी है। भारत के लंबे इतिहास का ज्योतिषीय अध्ययन करने पर यह तथ्य प्रकृट हुआ है। जब-जब वृष वृश्चिक या मिथुन व धनु राशि मे राहू या केतु का गोचर हेाता है। तब तब भारत मे विनाशकारी घटनायें घटित होती है। राहू-केतु के विनाशकारी प्रभाव का स्पष्ट करने मे स्वर्गीय माणिक चन्द्र जैन ने महत्वपूर्ण सिद्धान्त प्रतिपादित किया था, फेट एंड फोरचून मैगजीन के संपादक स्वर्गीय माणिक चन्द्र जैन ने अपने शोघ ग्रन्थ कार्मिक कन्ट्रोल प्लेनेट मे इस विषय पर महत्वपूर्ण सूत्र पेश किये हैं। कार्मिक कन्ट्रोल प्लेनेट जातक द्वारा हत्या, या उसकी हत्या या आत्महत्या हेतु जिम्म्ेदार होते है। राहू-केतु गत राशियों के स्वामी यदि दोनों या उनमे से कोई एक ग्रह राहू या केतु से युति करे तो जातक हत्या करे या उसकी हत्या हो या आत्महत्या करें। अंय ग्रह योग इसका फैसला करेंगें। राहू-केतु, वक्री ग्रह, अष्ठमेश, नेप्चून, यूरेनस व प्लूटो कार्मिक कन्ट्रोल प्लेनेट है? यदि ये परस्पर युति या दृष्ट या उनके राशि स्वामी यदि अंय कन्ट्रोल प्लेनेट से युति करें तो जातक हत्यारा होगा सूर्य मंगल का योग या सूर्य राहू या मंगल राहू का योग या उनका त्रिकोणात्मक संबध युद्ध आगजनी व नरसंहार जैसी घटनायें देता है। जो निम्न घटनाओं के ज्योतिषीय विश्लेषण से स्पष्ठ है। भारत के इतिहास मे आश्चर्यजनक विनाशकारी घटनायें:-
1. तराईन का द्वितीय युद्ध-24 मार्च सन् 1192 ग्राम तराईन जिला हनुमानगढ राजस्थान। वृष लग्न मिथुन मे केतु, सिंह मे मंगल, वक्री, धनु मे राहू, व शनि वक्री, कुंभ मे बुध, मीन मे सूर्य व गुरू शुक्र व चन्द्र।
2. पानीपत का प्रथम युद्ध-3 अप्रैल सन 1526। मिथुन मे केतु धनु मे राहू, मीन मे बुध सूर्य, मेष मे चन्द्र, सूर्य व मंगल, वृष मे शुक्र व बृहस्पति।
3. पानीपत का तृतीय युद्ध 14 जनवरी 1761। पानीपत, हरियाणा। मकर लग्न 29 अंश। मकर मे सूर्य मंगल, कुंभ मे शुक्र व बुध, मीन मे शनि, मेष मे चन्द्र 4 अंश, वृष मे राहू व तथा वृश्चिक मे केतु।
4. खानवा का युद्ध-16 मार्च 1527। मेष मे चन्द्र, 23 अंश, वृष मे गुरू, मिथुन मे केतु, वृश्चिक मे मंगल, धनु मे राहू, कुंभ मे बुध, मीन मे सूर्य शुक्र व शनि।
5. बक्सर का युद्ध-22 अक्टूबर 1764। वृश्चिक लग्न मकर मे मंगल, मीन मे राहू, मेष मे शनि, वक्री, मिथुन मे गुरू, सिंह मे शुक्र, कन्या मे बुध व केतु तुला मे सूर्य। कार्मिक ग्रह सिद्धान्त। केतु गत कन्या राशि का स्वामी बुध केतु से युत है।
6. तैमूर का हमला- 17 फरवरी 1398। दिल्ली। मकर लग्न, वृष मे केतु, सिंह मे गुरू, कन्या मे मंगल, वृश्चिक मे शुक्र व राहू, धनु मे सूर्य शुक्र व शनि। कार्मिक ग्रह सिद्धान्त।
7. भारत की स्वतंत्रता। 15 अगस्त 1947 रात्रि 12 बजे दिल्ली। वृष लग्न मे राहू मिथुन मे मंगल। कर्क मे सूर्य चन्द्र शुक्र, शनि व बुध, तुला मे गुरू, व वृश्चिक मे केतु।
7. राम मंदिर विध्वंस-5 मई 1528। दोपहर बाद, अयोध्या। कर्क लग्न मे गुरू व चन्द्र, वृश्चिक मे राहू, मीन मे शुक्र, मेष मे सूर्य व शनि, वृष मे मंगल बुध व केतु। कार्मिक ग्रह सिद्धान्त।
8. बाबरी मस्जिद विघ्वंस-6 दिसम्बर 1992। दोपहर-12.30। अयोध्या। कुंभ लग्न, मेष लग्न मे चन्द्र 5 अंश, वृष मे केतु, कर्क मे मंगल कन्या मे गुरू, वृश्चिक मे सूर्य बुध व राहू, मकर मे शुक्र व शनि।
9. भारत-पाक युद्ध 1947। 22 अक्टूबर 1947 प्रातः-4.00। कशमीर, कन्या लग्न तुला मे शुक्र, बुध, सूर्य, वृश्चिक मे गुरू व केतु, वृष मे राहू, कर्क मे मंगल व शनि। उ. षाढा-3।
10. भारत-पाक युद्ध 1965। 1 सितम्बर 1965। प्रातः-4.00। छम्ब व अखनूर (जम्मू) कर्क लग्न लग्न मे बुध, सिंह मे सूर्य, कन्या ममे नीच का शुक्र जो भारत के लग्नेश की नीच राशि है। तुला मे मंगल, व चन्द्र, वृश्चिक मे केतु कुंभ मे वक्री शनि वृष मे राहू।।
11. सोमनाथ मंदिर विध्वंस- 8 जनवरी 1026। दोपहर-3.30 जिला सोमनाथ, काठियावाड़ गुजरात। वृष मे चन्द्र व केतु। वृश्चिक में राहू, धनु मे बुध, मकर मे सूर्य व शुक्र, कुंभ मे मंगल, मीन मे शनि। मेष मे मंगल।
12. 1857 की गदर 10 मई 1857 मीन मे राहू 14 अंश कन्या मे केतु 14 अंश नवांश मे वृष मे केतु व वृश्चिक मे राहू था।
श्रीमती इन्दिरा गंाधी की हत्या-31 अक्टूबर 1984। 7.30 प्रातः। दिल्ली। तुला लग्न मे नीच का सूर्य बुध व शनि, वृश्चिक मे शुक्र व केतु धनु मे मंगल व गुरू मकर मे चन्द्र व वृष मे राहू। कार्मिक ग्रह सिद्धान्त।
13. भारतमंत्री नरेन्द्र मोदी-जंम 17 सितम्बर 1950। प्रातः-11.05 मिनट, मेहसाना गुजरात। वृश्चिक लग्न मे नीच का चन्द्र व मंगल, कुंभ मे वक्री गुरू मीन मे राहू, सिंह मे सूर्य व शनि, कन्या मे सूर्य बुध व केतु, कन्या गत केतु का राशि स्वामी बुध केतु से युत है।
घटना तिथि राहू केतु की स्थिति
1. सोमनाथ मंदिर विध्वंस 8 जनवरी 1025 वृष मे केतु वृश्चिक मे राहू
2. राम मंदिर विध्वंस 5 मई 1528 वृष मे केतु वृश्चिक मे राहू
3. पानीपत का तृतीय युद्ध 14 जनवरी 1761 वृष मे राहू वृश्चिक मे केतु
4. तैमूर का हमला 17 फरवरी 1398 वृष मे केतु वृश्चिक मे राहू
5. 1857 की गदर 10 मई 1857 नवांश मे वृष मे केतु व वृश्चिक मे राहू
6. भारत की आजादी 15 अगस्त 1947 वृष मे राहू वृश्चिक मे केतु
7. भारत पाक युद्ध 1947 22 अक्टूबर 1947 वृष मे राहू वृश्चिक मे केतु
8. भारत पाक युद्ध 1965 1 सितम्बर 1965 वृष मे राहू वृश्चिक मे केतु
9. बाबरी मस्जिद विघ्वंस 6 दिसम्बर 1992 वृष मे केतु वृश्चिक मे राहू
10. श्रीमती इन्दिरा गंाधी की हत्या 31 अक्टूबर 1984 वृष मे राहू वृश्चिक मे केतु
मिथुन गत राहू या केतु और धनु
मे राहू या केतु की घटनायें घटना तिथि राहू केतु की स्थिति
1. पृथ्वीराज चैहान की पराजय 24 मार्च 1192 मिथुन मे केतु, धनु मे राहू
2. पानीपत का प्रथम युद्ध 3 अप्रैल सन 1526 मिथुन मे केतु धनु मे राहू।
3. खानवा का युद्ध 16 मार्च 1527 मिथुन मे केतु धनु मे राहू।
भारत का भविष्य:-
गत 7 मार्च 2019 से जब से राहू मिथुन मे और धनु मे केतु आया है। तब से भारत मे भयानक बेरोजगारी, आर्थिक मंदी कानून व्यवस्था की असफलता एन.आर.सी. मुददे पर देश व्यापी व्यापक विरोध आंदोलन और जनवरी 2020 से देश मे आया कोरोना महामारी अभूतपूर्व संकट लंबा लाॅकडाउन अर्थ व्यवस्था का फेल हो जाना प्रवासी भारतीयों का लाखों की संख्या मे वापस पलायन तथा करीब 10 करोड़ भारतीय श्रमिकों का बेरोजगार पैदल या अंय साधनों द्वारा मूल निवास का पलायन करोड़ों भारतीयों का बेरोजगार हो जाना आदि दुर्भाग्य पूर्ण धटनायें घट रही। इतिहास अपने आप का दोहरा रहा है। ठीक सब कुछ वैसा ही हो रहा है। जैसा आज से 74 साल पहले देश मे घटा था आजादी की प्राप्ति देश का बटवारा, करीब डेढ से दो करोड़ आबादी का पलायन भयानक बेरोजगारी व आर्थिक मंदी व दंगों मे करीब 20 लाख लोगांे की हत्या। 25 सितम्बर 2020 को राहू वृष और केतु वृश्चिक राशि मे प्रवेश करेगा जो आगामी डेढ साल तक रहेगा भारत के जमांक मे राहू वृष राशि मे तथा केतु वृश्चिक राशि है। भारत के जंमस्थ राहू ने ही भारत का विभाजन किया राहू स्वयं ही खंडित देह या विकृत शरीर का प्रतीक है। धु्रव नाड़ी के अनुसार जब राहू से राहू या केतु का गोचर होता है। राहू या केतु से केतु या राहू का गोचर होता तों जीवन मे भारी दुर्भाग्य संकट आती हैं। और अनेक अशुभ घटनायें घटती है। 1947 मे इसी गोचर मे भारी रक्तपात करवाया था संभव हो कि इस बार यह नरसंहार कोरोना वायरस के कारण होगा आने वाले दुर्भाग्य के स्वरूप का वर्णन करना अभी संभव नही है। पर विनाश निश्चित है। 25 जनवरी 2020 से शनि ने आगामी ढाई साल के लिये मकर राशि मे प्रवेश किया है। जो भारत के जंमस्थ कर्क के शनि से 7 वें है तथा सूर्य चन्द्र से भी 7 वें है। 11 मई 2020 से शनि वक्री हो रहे शनि भारत की कुण्डली मे भाग्येश और कर्मेश है। जो देश मे दुर्भाग्य जाॅब का विनाश व बेरोजगारी देगा शनि श्रमिकों का भी कारक है। अतः श्रमिकों को भारी दुर्भाग्य और दुःख सामना करना पडे़गा। शनि आयु कारक भी है। अतः शनि भारी संख्या मे अकाल मौतें देगा।
प्रधानमंत्री मोदी की कुण्डली:-
वृष का राहू प्रधनमंत्री की लग्न व चन्द्र लग्न से निकलेगा राहू ना केवल उनके लग्नेश से निकलेगा बल्कि अपने शत्रु ग्रह मंगल से भी निकलेगा। दुर्भाग्यवश उनका चन्द्रमा ना केवल भाग्येश है। बल्कि नीच का भी जो उन्हे भारी निराशा देगा उन्हे कई क्षेत्रों मे भारी असफलता व दुर्भाग्य भी देगा संभव हो कि यह संकट कोरोना के विस्तार के कारण आये। मंगल राहू-योग व चन्द्र राहू योग मोदी जी के जीवन मे अनेक विपत्तियां दुर्भाग्य व पराजय देगा
परमात्मा विश्व की रक्षा करे!