धारावाहिक श्री गणेश और ॐ नमः शिवाय लगभग दो दश्कों बाद पुनः प्रसारण शुरू
कानपुर, उत्तर प्रदेश से नीतिश भारद्वाज के निमंत्रण पर मुंबई आकर, लेखक विकास कपूर ने धारावाहिक गीता रहस्य से लेखन कार्य आरंभ किया। उसके बाद सुपरहिट धारावाहिक ॐ नमः शिवाय, श्री गणेश, शोभा सोमनाथ की, जप तप व्रत, ॐ नमो नारायण, मन में है विश्वास, हमारी देवरानी, जय संतोषी माँ, श्रीमद् भागवत महापुरण आदि धारावाहिक और फीचर फिल्म शिर्डी के साईबाबा, श्री चैतन्य महाप्रभु आदि का लेखन किया। इसी कारण फिल्म इंडस्ट्री में उन्हें ृभगवान के अपने लेखक कहा जाने लगा। इसके अलावा शोभा सोमनाथ की, अचानक उस रोज, रावी और मैजिक मोवाईल, साईबाबा जैसे धारावाहिकों का निर्माण भी उन्होंने किया है। उनकी लिखी ृसाई की आत्मकथा, कुंडलिनी जागरण और सात चक्रों का रहस्य,पुस्तकें देश के प्रतिष्ठित प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई है। इन दिनों वे एक फीचर फिल्म ृचल जीत लें ये जहाँ का निर्देशन भी कर रहे हैं। कुछ दिनों पहले उनके द्वारा लिखित धारावाहिक ृश्री गणेश का 20 वर्षों बाद स्टार प्लस पर और पिछले सफताह करीब 23 वर्षों बाद ॐ नमः शिवाय का प्रसारण कलर्स चैनल पर शुरु हुआ, जिसे दर्शक काफी पसंद कर रहे हैं। लेखक विकास कपूर से की गई भेंटवार्ता के प्रमुख अंश प्रस्तुत कर रहे हैं।
- अभी हाल में लगभग 23 वर्षों बाद दुबारा शुरू हुए धारावाहिक ॐ नमः शिवाय के बारे में कुछ बताये और कैसा लग रहा है अब?
उ. मैं महादेव का भक्त हूँ और उनके पुनः दर्शन पाकर भाव-विभोर हूँ परन्तु मैंने ॐ नमः शिवाय का लेखन लगभग 135 एपिसोड बाद किया था। उसके पहले डॉ. राही मासूम रजा और उनकी मृत्यु के बाद डा. अचला नागर, स्व. दर्शन लाड लिख रहे थे। कुछ नई सोच और नयापन लाने के लिए निर्माता धीरज कुमार और निर्देशक चंद्रकांत गौड़ ने मुझे अवसर दिया। उसके बाद अंत तक मैंने ही इसका लेखन किया।
- इस दौरान कोई यादगार घटना जो बताना चाहे?
उ. ॐ नमः शिवाय दूरदर्शन का बहुचर्चित शो था, हर एपिसोड का देखने के बाद दर्शक सैकड़ों पत्र लिखते थे। मेरे निर्माता ने उन पत्रों को पढ़ने और उत्तर देने का दायित्व मुझे सौंप दिया। एक दिन उत्तर प्रदेश से एक व्यक्ति ने एक पत्र भेजा, जिसमे उसने अपने पिता के विषय में लिखा, वे बहुत चाव से ॐ नमः शिवाय देखा करते थे। महादेव और रावण की पहली भेंट का अगला एपिसोड देखने को वे बहुत उत्सुक थे परन्तु प्रसारण से एक रात पहले उनकी मृत्यु हो गई। उनकी अंतिम इच्छा समझकर, हमने उनके पार्थिव शरीर को टी वी के सामने रखकर, वह एपिसोड दिखाया और अंतिम संस्कार पूरे 73 घंटे के बाद किया। पत्र पढ़कर मैं और बाद में पूरी यूनिट रो पड़ी, हम सबने शूटिंग रोक कर, उस परम शिवभक्त की आत्म शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा। यह घटना मैं कभी भी भूल नहीं सकता।
- धारावाहिक श्री गणेश 20 वर्षों बाद शुरू हुआ है, उसके बारे में क्या कहेंगे? इसकी कोई घटना बताएं?
उ. यह श्री गणेश के चरित्र पर बना पहला धारावाहिक था। शूटिंग शुरु होने से पहले जब इसके पहले लगभग 20 एपिसोड लिखे जा चुके थे और शूटिंग की डेट निश्चित हो गई थी। तभी श्री गणेश इच्छा की एक घटना घटी। मैं बहुत समय से हर मंगलवार को रामायण का पाठ करता था। एक दिन बालकांड में पढ़ा कि ऋषिओं की आज्ञा पाकर अपने विवाह की बेला में शिव-पार्वती ने श्री गणेश की पूजा की। इसे पढ़ने और समझने के बाद मैं चैंक गया। ऐसा लगा कि श्री गणेश ही कुछ संकेत दे रहे हैं। क्योंकि जब श्री गणेश का जन्म ही नहीं हुआ था तो पूजा कैसे हो गई? मैंने अपने निर्माता श्री धीरज कुमार से कहा, हमारा शो श्री गणेश के जन्म से आरंभ नहीं होगा। इस विषय में धीरज जी की जितनी प्रशंसा की जाए, वह कम है। वे अपनी टीम पर पूरा विश्वास करते थे। उनके साथ काम करने का अनुभव मैं कभी भूल नहीं सकता, विशेष रुप से उनकी पत्नी श्रीमती जूबी कोचर को मैं आज भी बहुत याद करता हूँ। वे हमेशा कुछ नया और अलग करने को प्रोत्साहित किया करती थीं। मेरे कहने पर धीरज जी ने शूटिंग स्थगित कर दी। रामायण के आधार पर हमने रिसर्च आरंभ किया। काफी खोज-बीन के बाद तमिलनाडु की मेरी एक महिला मित्र ने मुझे तमिल भाषा के कुछ ग्रंथ उपलब्ध करवाए, जिसमें श्री महागणेश का विस्तृत परिचय था, जो उत्तर भारत के ग्रंथों में पढ़ने को नहीं मिलता। तब हमने नए सिरे से एपिसोड लिखे, जिसमें पहली बार श्री महागणेश का चरित्र था, यह वैसे ही था, जैसे श्री हरि विष्णु अपनी लीला के वश होकर कभी माता कौशल्या की गोद में राम बनकर, तो कभी माता देवकी की गोद में कृष्ण बनकर जन्म लेते हैं। वैसे ही श्री महागणेश भी अपनी लीला के वश होकर माता गौरी की गोद में श्री गणेश बन कर अवतरित हो गए। आरंभ में श्री महागणेश का चरित्र उत्तर भारत के लोग समझ ही नहीं पा रहे थे परन्तु कुछ एपिसोड के बाद,जब समझ में आया तो दर्शकों ने बहुत पसंद किया और यह धारावाहिक लगातार नम्बर वन पर रहा। इसके लिए शो की पूरी टीम और विशेष रुप से एपिसोड निर्देशक अनवर खान बधाई के पात्र हैं।
- आपने अधिकतर धार्मिक धारावाहिकों या फिल्मों का लेखन किया है, इसका क्या कारण है?
उ. मुंबई में मेरा आरंभ धार्मिक धारावाहिक गीता रहस्य के लेखन से हुआ। फिर इंडस्ट्री की परंपरा के अनुसार मुझ पर धार्मिक धारावाहिकों की मोहर लग गई, मुझे भगवान का लेखक कहा जाने लगा, इस कारण जो भी काम मिला, वह धार्मिक ही था परन्तु मैं अपने आप को सौभाग्यशाली मानता हूँ कि परमात्मा ने मुझे अपने चरित्र लिखने का अवसर और पुण्य दिया, जो बड़े सत्कर्मों से मिलता है।
- जिस तरह गीतकार, संगीतकार को रॉयल्टी मिलती है, क्या आप राईटर्स को भी मिलती है?
उ. अभी तक तो नहीं मिल रही है, हमारी स्क्रीनराइटर्स एशोसिएशन के प्रयासों के बाद कॉपीराइट अमेंडमेंट बिल 2012 में ही संसद में पास होकर कानूनी रूप ले चुका है, जिसके अनुसार स्क्रिप्ट राइटर्स भी रॉयल्टी का हकदार बनाये गए हैं। लेकिन अभी उसमें कुछ अड़चनें हैं, कॉपीराइट एक्ट के तहत रॉयल्टी जमा करने का काम कॉपीराइट सोसायटी ही कर सकती है, लेकिन स्क्रिप्ट राइटर्स की रॉयल्टी जमा करने वाली सोसायटी ने अभी तक कानूनी रूप नहीं लिया है। सोसायटी बन तो गयी है, लेकिन भारत सरकार वाणिज्य विभाग से अभी उसे मान्यता मिलना बाकी है। मान्यता मिलने के बाद सोसायटी रॉयल्टी जमा करने का काम शुरू कर देगी और जैसे गीतकारों और संगीतकारों को रॉयल्टी मिल रही है, वैसे ही हम स्क्रिप्ट राइटर्स को भी मिलने लगेगी।