महिला सशक्तीकरण को मिलेगा नया आयाम

आजमगढ़। उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में डिजिटल इण्डियां की अवधारणा पर प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। इसी दृष्टि से कामन सर्विस सेेंन्टर को सुदृढ़ किया गया है। जहां कोई भी व्यक्ति अल्प शुल्क का भुगतान कर अपने आवश्यक कार्य सम्पादित कर सकता है। लाकडाउन के दौरान विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों के खाते में धनराशि राज्य एवं केन्द्र सरकार द्वारा भेजी गयी, जिसके निकालने के लिये बड़ी संख्या में महिला लाभर्थी बैैंकों में भीड़ लगाने लगीं। इसके लिये सरकार ने बैकिंग सखी की अवधारणा को प्रोत्साहित करने की व्यवस्था की। यद्यपि प्रदेश में वर्तमान में 62 हजार बैकिंग कारोस्पांडेंट प्रतिनिधि कार्यरत हैं। प्रदेश की करीब साढ़े 23 करोड़ की आबादी को दृष्टिगत रखते हुए इनकी संख्या बढ़ाने की जरूरत महसूस की गयी, जिसके फलस्वरूप मुख्यमंत्री ने ग्राम पंचायत स्तर पर 58 हजार बैकिंग कारोस्पांडेंट महिला प्रतिनिधि की तैनाती का ऐतिहासिक निर्णय लिया।
महिलाओं के सशक्तीकरण के साथ ही गरीबी उन्मूलन तथा उनके सम्रग विकास के लिये वास्तव में राज्य सरकार कृत संकल्प है। यद्यपि गांवों के लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करने और महिलाओं के जीवन स्तर मंे वाछित सुधार लाने के लिये सरकार ने अनेक कल्याणकारी योजनाओं का शुभारम्भ किया है। मुख्यमंत्री का यह सतत् प्रयास है कि महिला और पुरूषों को उनकी क्षमता और दक्षता के आधार पर उनके गांवो में अथवा आसपास क्षेत्रों में ही रोजी-रोटी के साधन-सुलभ हो और उन्हें दो जून की रोटी के लिये अनावश्यक रूप से इघर-उधर भटकना न पड़े। इसी उद्देश्य से गांवों में आजीविका मिशन के तहत स्वय सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं को रोजगार के साधन उपलब्ध कराने पर जोर दिया जा रहा है। 
महिलाओं की आर्थिक स्थिति में व्यापक परिवर्तन लक्षित करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री ने अति संवेदनशीलता का परिचय देकर महिलाओं को सूक्ष्म, लद्यु एवं मध्यम उद्यम से जोड़ने का बीड़ा उठाया। महिलाओं को अब गांव में स्वय सहायता समूहों के माध्यम से रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जा रहे हंै। इन समूहों में कार्यरत महिलाओं की बैकिंग तथा अन्य कार्यालयों से सम्बन्धित कठिनाइयों के निराकरण हेतु राज्य की ग्राम पंचायतों में 58 हजार बैकिंग काॅरोस्पांडेंट सखी प्रतिनिधि रखेे जाने का निर्णय लेकर मुख्यमंत्री ने महिलाओं में नये उत्साह का संचार किया है। इस प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों में महिला स्वयं सहायता समूह और बैंकों के बीच सम्पर्क सूत्र स्थापित करने के साथ गांव में संचालित जनहितकारी योजनाओं का लाभ ग्रामवासियों को सुलभ कराने में ये सखियां अहम भूमिका निभायेगी। 
सरकार का सत्त प्रयास है कि वर्तमान बदलते परिवेश में डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा मिले। ग्रामवासी भी डिजिटल व्यवस्था को अपनाकर समय और अनावश्यक परेशानी से बचें, इसीलिये इस व्यवस्था को हर स्तर पर विशेष महत्व दिया जा रहा है। बैंकिग काॅरोस्पांडेंट सखी गांवों में स्वयं सहायता समूहों के बैंकिग कार्यो के डिजिटल ट्रांजेक्शन कोे बढ़ावा देगी और जरूरतमंद लोगों को बैंकों से वित्तीय सहायता दिलाने में भी मदद करेगी। स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को बैंकिग कार्य तथा विभिन्न कार्य योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिये अब दफ्तर-दफ्तर दौड़ भाग नहीं करनी पडे़गी। महिलाओं के कार्य बैंकिग काॅरोस्पांडेंट सखी ही करवाने में पूरी तरह मदद करेगी।
इन सखियों को चार हजार रूपये प्रतिमाह मानदेय के रूप में दिया जायेगा। चयनित सखियां बैंको के माध्यम से होने वाले टांªजेक्शेन पर भी आय अर्जित कर सकेगी। इसके साथ ही उन्हें हार्डवेयर के क्रय तथा उनकी स्थापना के लिये 75 हजार रूपये का आसान ऋण भी सुलभ कराने का सरकार ने प्रविधान किया हैै। बैंकिग सखी हेतुु स्वयं  सहायता समूह की वरिष्ठ सदस्यों और समूह संचालन में प्रमुख भूमिका निभाने वाली सदस्य को चुना जायेगा। इनके आलावा गांव मंें गरीब तथा कमजोर वर्ग के लोगों की मदद करने वाली महिलाओं का भी बैंकिग सखी के रूप में चयन हो सकता है, लेकिन इन महिलाओं को किसी न किसी स्वयं सहायता समूहों से जुड़ना आवश्यक होगा अथवा वे स्वयं एक नया समूह बनाकर काम कर सकती हंै।
बैकिंग काॅरोस्पांडेंट सखी की तैनाती प्रत्येक गांव पंचायत में हो जाने से गांव में महिलाओं के सशक्तीकरण को जहां नया आयाम मिलेगा, वही गांव के विकास को भी गति प्राप्त होगी और ग्रामीण महिलाएं सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और क्रार्यक्रमों का भरपूर लाभ उठाकर अपने आर्थिक जीवन स्तर मंे बदलाव ला सकेगी। बैकिंग काॅरोस्पांडेंट सखी के माध्यम से बैंक और विभिन्न कार्यालयों  की दौड़भाग से बचकर अपने समय का सदुपयोग अपने व्यवसाय को और मनोयोग से कर सकेंगी।
      बैकिंग काॅरोस्पांडेंट सखी के चयन हेतु अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़े वर्ग की महिलाओं हेतु नियमानुसार  आरक्षण की भी व्यवस्था की गयी है। इसके लिये राज्य सरकार ने 11 जुलाई, 2020 तक आवेदन पत्र आमंत्रित किये हैं। स्वय सहायता समूह की इच्छुक महिलाएं इस तिथि तक आवेदन कर सकती हंैं। इस संबध में किसी भी प्रकार की जानकारी हेतु 8005380270 पर सम्पर्क स्थापित कर प्राप्त की जा सकती है। महिला अभ्यर्थी जिस ग्राम पंचायत के लिये आवेदन करेगी, उन्हें उसी ग्राम पंचायत का निवासी होना आवश्यक है। स्वय सहायता समूहों की इच्छुक सदस्य भी आवेदन कर सकती हंै।  
मुख्यमंत्री की यह पहल एवं कदम भी स्वागत योग्य है कि उन्होंने  कोरोना संक्रमण के संकट के दौरान प्रवासी महिलाआंे को रोजगार उपलब्ध कराने हेतु दो लाख नये-नये महिला स्वयं सहायता समूह के गठन को मन्जूरी प्रदान की। इसमें करीब बीस लाख से अधिक महिलाओं को विभिन्न उद्यमों में स्वरोजगार से जोड़कर और नये क्षेत्रों में प्रशिक्षण देकर बाजार उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। प्रवासी महिलाओं को उनकी योग्यता के आधार पर व्यवसाय शुरू करने पर विशेष बल दिया जायेगा, ताकि स्वयं सहायता समूह की हर महिला को 10 से 15 हजार रूपये की प्रतिमाह आमदनी हो सके। बैकिंग काॅरोस्पांडेंट सखी स्वयं सहायता समूहों की कठिनाईयों के निवारण मंे भी मदद करेगी।
नए स्वयं सहायता समूहों के लिये रोजगार के नये क्षेत्रों को चिन्हित किया जा चुका है। इन्हें एक लाख से अधिक परिषदीय स्कूलों में मिड-डे-मील बनाने, गांवों में राशन की दुकानें आवंटित करने, मनरेगा मे हर 50 श्रमिक पर एक महिला मेट की नियुक्ति, (अर्थात 50 प्रतिशत मेट स्वयं सहायता समूहोें महिलाओं को रखने) का भी प्राविधान किया गया है। इसी प्रकार महिला स्वयं सहायता समूहों को गांव में बिजली का बिल जमा कराने की जिम्मेदारी भी दी जायेगी। इसके अतिरिक्त महिला समूह को खाद्य प्रसंस्करण के जरिये अचार, मुरब्बा, आलू और केले के चिप्स तथा शरबत बनाने का प्रशिक्षण दिलाया जायेगा। समूहों की महिलाओं को पशुपालन योजना के तहत छोटे-छोटे समूहों में गाय-भैस पालन कर, दूध एवं दूध से निर्मित उत्पादो को बेचकर वे अपनी कमाई कर सकेंगी। महिलाओं को पोल्ट्री का प्रशिक्षण योजना को भी इनके व्यवसाय में शामिल किया गया है। इसके साथ ही स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को ओडीओपी योजना में चिन्हित उद्यमों से भी जोड़ने का प्राविधान किया गया हैं। इससे स्वयं सहायता समूह उद्यमों की ओर आकृष्ट होकर अपने व्यवसाय को बढ़ाने में सहायक होगी। सरकार इन्हें बाजार भी उपलब्ध कराने का हर सम्भव प्रयास करेगी। इस प्रकार सरकार ने स्वयं सहायता समूहों को सशक्त बनाने और हर हांथ को काम देने पर विशेष जोर देकर महिलाओं के समग्र विकास के मार्ग प्रशस्त करने का संकल्प लिया है, निश्चित ही वह उत्तर प्रदेश के लिये ऐतिहासिक होगा। 
इससे स्पष्ट है कि निश्चित ही बैकिंग काॅरोस्पांडेंट सखी योजना तथा नए स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं के सशस्कतीकरण की दिशा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा उठाये गये कदम भविष्य में मील का पत्थर साबित होंगे।


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