समझ में आता नहीं दिल तुझे हुआ क्या है
तेरे वजूद तेरी शान के सिवा क्या है !
हर-एक सिम्त से उठती है जो सदा क्या है !
तुझे जो देखे नजर भर के तेरा हो जाये !
कोई करिश्मा है जादू है दिलरुबा क्या है !
मैं जल्द लौट के आऊँ जो कह दिया तुमने !
ये हुक्म-ए-यार है ख्वाहिश है इल्तिजा क्या है !
फिराक-ए यार में जिसने न शब गुजारी हो !
वो जान सकता नहीं लुत्फ-ए-रतजगा क्या है !
सुकूँन-ओ-चैन नदारद हैं किसलिये बोलो !
समझ में आता नहीं दिल तुझे हुआ क्या है !
चढ़े है जब भी किसी को न उम्र भर उतरे !
बताये कौन उसे इश्क का नशा क्या है !
नजर में हैं सभी तारीख के हसीं कागज !
कोई बताये ‘कशिश’ उन सा दूसरा क्या है !