दीवाली मे बचे तंत्र प्रहार से
दीपावली को सिद्धि और साधना का पर्व माना जाता है। दीपावली को तंत्र सिद्धी की रात कहा जाता है। तंत्र विद्याएं या टोटके तब सबसे अधिक फल देते हैं जब चंद्रमा पूरी तरह बलहीन हो । दीवाली की रात चन्द्रमा ना केवल पूर्णतः प्रकाशहीन होता हैं बल्कि ज्योतिष मतानुसार अपनी नीच राशि वृश्चिक मे भी जाने वाला अत्यंत निर्बल होता है, तथा सूर्य भी नीच राशि मे होता है, यही ग्रह राहू यानि तामसिक शक्तियों के कुचक्र को निष्प्रभावी करते हैं। इनके बलहीन होने के कारण कार्तिक अमावस्या की काली रात में तामसिक तंत्र की शक्ति कई गुना बढ़ जाती है। दिवाली की रात उल्लू-तंत्र की पूजा का भी खास महत्व है। पीलीभीत के मशहूर तांत्रिक स्वर्गीय धु्रव नारायण कपूर ने भी इसी रात को लालता उल्लू की सिद्धि की थी तंत्र साधक कार्तिक अमावस्या की आधी रात को सिद्धि के लिए विशेष साधना करते है। जबकि वैद्य व आयुर्वेद के जानकार दिव्य और कुछ तांत्रिक औषधि जगाते है, तंत्रशास्त्र की महारात्रि पर और भी कई शक्तियां सिद्ध करने की कोशिश की जाती है। इनमे बगलामुखी साधना, उच्चाटन और स्तंभन जैसी सिद्धियां मुख्य हैं। दिवाली पर देवी लक्ष्मी अपनी बहन दरिद्रता के साथ भूलोक की सैर पर आती हैं, तभी तांत्रिक अनुष्ठान से उन्हें या फिर पारलौकिक शक्तियों को सिद्ध किया जा सकता है, दिवाली की रात को कर्णपिशाचिनी विद्या सिद्ध करने के उपयुक्त समय है. दीवाली पर उल्लुओं, काली बिल्ली और 20 नाखूनों वाले कछुओं का तांत्रिक अनुष्ठानों को सिद्ध करने के लिये उपयोग होता है ज्यादातर साधनाएं श्मशान मे की जाती हैं और रात 12 बजे से सुबह 4 बजे के मध्य की जाती हैं। ऐसा विश्वास है कि इस दौरान विशिष्ठ तामसिक शक्तियां विचरती हैं और उनका आह्वान या उन्हें सिद्ध करना ज्यादा आसान होता है मुगल काल में भी दिवाली की रात को काली शक्तियों की रात माना जाता है, अमावस्या की इस रात को कालरात्रि, महानिशा और महाकृष्णा भी कहा गया है और तांत्रिक और अघोरी शक्तियां इस रात में शक्तियों को सिद्ध करते हैं मुगलों के काल में भी दिवाली के दिन तंत्र साधना का जिक्र किया है. इससे बचने के लिए दिवाली के दिन किसी भी कर्मचारी को महल परिसर से बाहर जाने का इजाजत नहीं होती थी, महल में कोई भी सब्जी इस रोज नहीं मंगाई जाती थी, ऐसी मान्यता थी कि इन फल-सब्जियों के जरिए महल के हरम की औरतों पर बाहरी व्यक्ति काला जादू कर सकता हैै। दीवाली की रात की कुछ आसान साधनायें निम्नलिखित है।
1. यदि घर में किसी प्रकार की बाधा हो तो नहा-धोकर एक ऊन का आसन पर बैठें। सामने लक्ष्मी मां की ऐसी प्रतिमा या तस्वीर हो जिसमें वह उल्लू के साथ हों। जहां तक हो सके शंख की माला या कमलगट्टे की माला लेकर इस मंत्र का जाप करें ।
ऊँ नमो उलूकवाहनी विष्णु प्रिया भगवति लक्ष्मी दैव्ये मम दुर्भाग्यनाशाय नाशाय सौभाग्य वृद्धि कुरू कुरू श्रां श्रं श्रै श्रौ फट् स्वाहा।
2. दिवाली वाले दिन लक्ष्मी पूजन के बाद घर के सभी कमरों में शंख और घंटी बजाना चाहिए। इससे घर पर किसी द्वारा किये गये काले जादू का प्रभाव दूर हो जाएगा।
3. दिवाली वाले दिन शिवलिंग पर अक्षत यानी चावल चढ़ाएं। ध्यान रहें सभी चावल पूर्ण होने चाहिए। खंडित चावल न हो। ये काम मंदिर में ही करें। इससे भी घर पर किसी द्वारा किये गये काले जादू का प्रभाव दूर हो जाएगा।
4. इसलिए इस दिन खुद को तंत्रों के प्रयोग में आने से बचने के लिए दिवाली के दिन किसी अन्य का दिया हुआ खाना नहीं खाना चाहिए। दिवाली के दिन अगर कोई खाना बनाकर दे, तो ऐसे खाने को किसी के खाने से पहले वे थोड़ा खाना निकालकर घर के बाहर फेंक दें कि इस प्रकार अगर उस खाने के द्वारा अगर आप पर कोई तांत्रिक प्रयोग से मुक्त रहेंगे।
5. दीवाली की मध्य रात को रात माता काली के रक्षा मंत्रों से 7 गोमती चक्र या 7 काली कौड़िया अभिमंत्रित करके एक डिबिया मे भर कर पूजा घर मे रखने से आपके घर पर किसी दुश्मन के द्वारा भेजी गई मूठ या मारण प्रयोग तथा अंय मंत्र के प्रहार से रक्षा होती है।
6. इस रात्रि को मोरपंख की भगवान विष्णु या भगवान शिव के मंत्रों से मोरपंख की पूजा करके उसे घर मे स्थापित करने से शत्रु द्वारा किये तांत्रिक प्रहार से रक्षा होती है।