निकले थे तुम तो वक्त के पत्थर को काटने, फिर कैसे कुंद हो गए इक तेज धार से
एजुकेशनल एण्ड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक पद्मश्री स्व. अनवर जलालपुरी जी को समर्पित, फखरूद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी तथा हेल्प यू एजुकेशनल एण्ड चैरिटेबल ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में कार्यक्रम मुशायरा का आयोजन आडिटोरियम, जयपुरिया इंस्टिटयूट आफ मैनेजमेंट, विनीत खण्ड, गोमती नगर, लखनऊ में किया गया।
मुशायरा का शुभारंभ राष्ट्रगान तथा श्री तुरज जैदी, अध्यक्ष, फखरूद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी, श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, संस्थापक एवं प्रबंध न्यासी, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा डा. रूपल अग्रवाल, न्यासी, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट ने दीप प्रज्वलन करके किया।
फखरूद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी के अध्यक्ष श्री तुरज जैदी जी तथा आमंत्रित शायरों को हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक एवं प्रबंध न्यासी, श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल तथा न्यासी डा. रूपल अग्रवाल ने प्रतीक चिन्ह व काफी टेबल बुक अनवर जलालपुरी: मोहब्बत के सफीर देकर सम्मानित किया। मुशायरे में शायरों ने अपनी शायरी से सभागार में उपस्थित सभी श्रोतागणों को मंत्र मुग्ध कर दिया।
इस मौके पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि, पदमश्री स्वर्गीय अनवर जलालपुरी, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के पूर्व संरक्षक थे वह उर्दू अदब के बड़े नामों में से एक थे। अनवर जलालपुरी उर्दू शायरी के बगीचे का एक ऐसा गुलाब थे जिसकी खुशबू जलालपुर की सरहदों को पार कर पूरी दुनिया में फैली और अपनी शायरी की शाब्दिक जादूगरी से लोगों के दिलों को महकाया। आज का यह कार्यक्रम हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा अनवर जलालपुरी जी को समर्पित है तथा आज के इस कार्यक्रम में पधारे हुए हमारे सम्मानित अतिथि परम आदरणीय श्री तूरज जैदी जी, अध्यक्ष, फखरूद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी, आदरणीय श्री एस. मनाजिर आदिल हसन, सचिव, फखरूद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी, अपनी शेर और शायरी से महफिल को सजाने आए हुए हमारे सभी आदरणीय शायर, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की ट्रस्टी डा. रूपल अग्रवाल तथा आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य, स्वयंसेवकों, प्रेस और मीडिया से पधारे हुए सभी मीडिया कर्मियों का हार्दिक अभिनंदन स्वागत है।
हमारा देश भारत विभिन्न धर्मों का संगम है, यहां पर एक दूसरे से धार्मिक और विचारात्मक विभिन्नता होने के बावजूद भी हम लोगों के दिलों में एक-दूसरे के लिए मोहब्बतों के चिराग रौशन हैं। यह हमारी गंगा-जमुनी संस्कृति का नतीजा है तथा अनवर जलालपुरी जी हिन्दुस्तान की सरजमीं पर पनपी गंगा-जमुनी तहजीब के उज्जवल प्रतीक थे। उन्होंने पवित्र ग्रन्थ श्रीमद्भगवद गीता की ज्ञानगंगा को बहुत ही सरल तरीके से उर्दू भाषा में उर्दू जानने वाले लोगों के समक्ष शायरी के रूप में पेश किया। इस काम में उन्होंने अपनी जिंदगी के 38 साल लगाए। उनका कहना था कि भगवद गीता एक इल्मी किताब है। इसे हर इंसान को पढ़ना और समझना चाहिए। यह जीवन का दर्शन शास्त्र है। इसमें दी गयी तालीम से इंसान इस दुनिया में अपनी जिंदगी को आसान बना सकता है। इससे फायदा ले सकता है। अनवर जलालपुरी की हमेशा यही कोशिश रहती थी कि हमारी इस तहजीब को किसी की नजर न लगे और आपसी भाईचारे का जजबा परवान चढ़े।
हम काशी काबा के राही, हम क्या जाने झगड़ा बाबा,
अपने दिल में सबकी उल्फत, अपना सबसे रिश्ता बाबा,
अनवर जलालपुरी अपनी जागती आंखों से एक ऐसे संसार का ख्वाब देखते थे जिसमें जुल्म, अत्याचार और दहशत की कोई जगह न हो।
हर दम आपस का यह झगड़ा, मैं भी सोचूं तू भी सोच,
कल क्या होगा शहर का नक्शा, मैं भी सोचूं तू भी सोच,
एक खुदा के सब बंदे हैं, एक आदम की सब औलाद,
तेरा मेरा खून का रिश्ता, मैं भी सोचूं तू भी सोच,
आज अनवर जलालपुरी साहब हमारे बीच नहीं है लेकिन उनका आशीर्वाद व प्रेम हमेशा ही हमारे साथ रहेगा। आज के इस कार्यक्रम के माध्यम से हम सभी को मिलकर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मूल मंत्र सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास, को आत्मसात करते हुए भारत देश को विश्व का सबसे संपन्न देश बनाने का संकल्प लेना चाहिए जिसके लिए सभी देशवासियों को आपसी प्रेम और सौहार्द को बनाए रखना सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि सभी देशवासियों के साथ से ही किसी संपन्न देश का निर्माण किया जा सकता है इसलिए देश हित तथा जनहित में अपना सहयोग देते हुए देश को विश्व का सबसे संपन्न राष्ट्र बनाने की प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम में अपना योगदान अवश्य दें। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को आपका सबका साथ, स्वर्गीय अनवर जलालपुरी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
श्री तुरज जैदी जी ने अपने उद्बोधन में कहा, फखरूददीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी का गठन सन 1976 में उर्दू के विकास, उत्थान एवं प्रचार-प्रसार हेतु हुआ था। इस संस्था का उद्देश्य पूरे भारत वर्ष में विभिन्न महत्वपूर्ण, उपयोगी लाभकारी योजनाओं के माध्यम से उर्दू भाषा को उन्नति की ओर ले जाना है। इसी अनुक्रम में देश के लगभग 100 विश्वविधालयो के उर्दू प्रभाग से पत्राचार एवं सम्पर्क बनाये रखा जाता है। उर्दू विषय में टापर छात्रो व उर्दू से सम्बद्ध शोध कार्यो के लिए पुरस्कार सहायता स्वरूप पर्याप्त धनराशि प्रदान की जाती है। सम्पूर्ण देश के उर्दू साहित्यकारों, लेखकों आदि की पुस्तकों को प्रकाषित कराए जाने हेतु पर्याप्त सहायता दी जाती है। तात्पर्य यह है कि कमेटी द्वारा ऐसे कार्य एवं योजनाओं का संचालन कराया जा रहा है। जिससे पूरे भारत वर्ष के उर्दू प्रेमियो एवं उर्दू जगत के लोगो को लाभ प्राप्त हो सके । उनके मनोबल एवं विश्वास मे वृद्धि हो।
आज की शाम शायरी और कविता की जो महफिल सजी हुई है इस महफिल के रूह ए रवा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक व प्रबंध न्यासी भाई हर्ष वर्धन अग्रवाल जी हैं जो पिछले दस वर्षों से हिन्दी उर्दू साहित्य की सेवा के साथ साथ समाज के सभी वर्गों के विकास और सहायता में अपने ट्रस्ट की तरफ से निरंतर अपना योगदान दे रहे हैं। हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के सामजिक उत्थान के कार्यों की सराहना करते हुए गीतों के कवि पद्मभूषण गोपाल दास नीरज, पद्मश्री अनवर जलालपुरी तथा श्री अनूप जलोटा जी ने ट्रस्ट का संरक्षक बनना स्वीकार किया।
हर्ष वर्धन अग्रवाल जी ने इस मुशायरे में शिरकत के लिए मुझसे बहुत पहले चर्चा की थी तब मैंने कहा कि, मैं आप की हर सम्भव मदद अपनी फखरूद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी की तरफ से करने के लिए तैयार हूँ। तो आज का प्रोग्राम हेल्प यू ट्रस्ट एवं फखरूद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है। इस मुशायरे की सबसे अहम बात ये है कि ये मुशायरा उर्दू हिन्दी अदब की उस अजीम शख्सियत के नाम मनसूब है जिसे साहित्य की दुनिया में लोग अनवर जलालपुरी के नाम से जानते हैं। अनवर जलालपुरी साहब ने मुशायरों की शायरी और निजामत से हटकर उर्दू अदब की बहुत बड़ी खिदमत की है। उन्होंने श्रीमद् भागवत गीता, को जहां उर्दू शायरी में नज्म किया वहीं पर पवित्र कुरआन शरीफ के तीसवें पारा अम का उर्दू में मजूम किया और पैगम्बर ए इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब के जीवन को शायरी में कलमबंद किया।
अनवर जलालपुरी साहब ने अपने पूरे पचास वर्षों के साहित्यिक जीवन में समाज के सभी वर्गों को भाईचारा, प्रेम, मोहब्बत के साथ रहने और देश की एकता को जोड़कर रखने का पैगाम दिया। आज इस कार्यक्रम के जरिये अनवर साहब को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं व उर्दू साहित्य को फलक तक पहुँचाने व उर्दू शेर ओ शायरी में उनके द्वारा दिए गए योगदान को सादर नमन करते हैं।
मुशायरे में आमंत्रित शायर, श्री खुशबीर सिंह शाद (जालंधर से), श्री अज्म शाकरी (एटा से), श्री शारिक कैफी (बरेली से), श्री पवन कुमार (लखनऊ से), श्री मनीष शुक्ला (लखनऊ से), प्रो. (डा.) अब्बास रजा नय्यर जलालपुरी (लखनऊ से), डा. तारिक कमर (लखनऊ से) तथा डा. भावना श्रीवास्तव (वाराणसी से), जैसे मकबूल शोरा, शायरात और कवियों ने शिरकत की। कार्यक्रम की सदारत श्री खुशबीर सिंह शाद ने की तथा निजामत प्रो. (डा.) अब्बास रजा (नय्यर जलालपुरी) ने की।
मुशायरा कार्यक्रम की महफिल को सजाते हुए शायरों द्वारा प्रस्तुत की गयी शायरी:-
श्री खुशबीर सिंह शाद ने...
ये किस हवस में गिर गए अपने वकघर से,
चिपके हुए हो हर तरफ इक इश्तिहार से,
निकले थे तुम तो वक्त के पत्थर को काटने,
फिर कैसे कुंद हो गए इक तेज धार से...
श्री अजम शाकरी ने...
बड़ी सर्द हैं हवाएं शबए गम पिघल रही है,
वो धुआ सा उठ राहा है कोई शाख जल रही है,
मुझे एक लाश केह कर न बहाओ पानिओं में,
मिरा हाथ छू के देखो मिरी नब्ज चल रही है...
श्री शारिक कैफी ने...
हुश्यारी का मोल चुकाता रहता हूं,
नादानों से धोके खाता रहता हूं,
ले आता हूं हर रिश्ते को झगड़े तक,
फिर झगड़े से काम चलाता रहता हूं...
श्री पवन कुमार ने,
जरा सी चोट को महसूस करके टूट जाते हैं,
सलामत आने रहते हैं चेहरे टूट जाते हैं,
गुजारिश अब बुजुर्गों से यही करना मुनासिब है,
ज्यादा हों जो उम्मीदें तो बचे टूट जाते हैं...
श्री मनीष शुक्ला ...
इश्क नाकाम हो तभी अच्छा,
दर्द ईनाम हो तभी अच्छा,
बेसबब शेर मत कहा कीजे,
कोई पैगाम हो तभी अच्छा...
प्रो. (डा.) अब्बास रजा नय्यर ने...
तुझ को कैसे करूं बयाँ अनवर।
मेरे अश्कों को दे जबाँ अनवर
जिसकी मिट्टी में है तेरी मिट्टी।
वो जमीं भी है आस्माँ अनवर ...
डा. तारिक कमर ने...
अपने हाथों की लकीरों से उलझता हुआ मैं ।
और फिर मेरे मुकद्दर से निकलते हुए तुम।
पुश्त में मेरी उतरता हुआ खंजर कोई।
और फिर मेरे बराबर से निकलते हुए तुम।...
डा. भावना श्रीवास्तव ने...
नींद आते ही कोई हमको जगा देता है,
दूर से आती है आवाज कहा तक पहुचे।
मुशायरा कार्यक्रम के अंत में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल ने सभी का धन्यवाद व आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन श्री नवल शुक्ला ने किया।