धु्रव नाड़ी और रावण संहिता
- डी.एस. परिहार
जयमुनि कृत रचित धु्रव नाड़ी एक चमत्कारी ग्रन्थ है। इसमे भिन्न नक्षत्रों के चरणो के आधार पर आश्चर्यजनक फलादेशो का वर्णन है जैसे यदि पुष्य नक्षत्र के चतुर्थ चरण में जंम हो तो जातक को मकान उत्तर मुखी होगा घर के सामने पूर्व से पच्छिम को जाती हुयी सड़क होगी मकान के दक्षिण पूर्व दिशा मे मंदिर होगा जातक का सिर घंटे के आकार का होगा, हाथ लंबे और भौहेें चैड़ी होगी शतभिषा नक्षत्र के प्रथम चरण मे जंम हो तो जातक का मकान पच्छिम मुखी होगा घर के सामने दक्षिण से उत्तर को जाती हुयी सड़क होगी घर का स्वामी निःसंतान होगा शास्त्रों का महान ज्ञानी होगा जिसे वो कार्य और व्यवहार मे प्रकट करेगा अश्वनी नक्षत्र के चतुर्थ चरण मे जंम हो तो जातक के नाक और ऐड़ी पर बाल हो चतुर्थ चरण के प्रथम भाग मे जंम हो तो जातक पुरूष हो यदि द्वितीय भाग मे जन्म हो तो जातक महिला हो जिसके शरीर मे हृदय के पास तिल हो। 27 नक्षत्रों के चार चरण 108 पदों का निर्माण करते है। लेखक के पास 108 चरणों का विशद वर्णन र्है। पर ऋषियों ने ज्ञान को गुप्त रखने की परंपरा के कारण आज्ञा के बिना उसे प्रकृट नही किया जा सकता है।
रावण संहिता और नक्षत्र पद फलादेश-असली रावण संहिता मे महर्षि रावण ने 27 नक्षत्र के चारों चरणों के अद्भुद फलादेशो का वर्णन किया है। जो आश्चर्य रूप से सत्य होते है। यह फलादेश रावण के नाना पुलत्स्य ऋर्षि के सूत्रो पर आधारित है। 27 नक्षत्रों के चार चरण 108 पदों का निर्माण करते है। जिनमे 9 ग्रह बैठ कर 972 ग्रह योगों का निर्मण करते है। नक्षत्र के चार धर्म वृषभ के नक्षत्र के चार पैर है। जो जीवन के चार उदद्ेश्यों को दर्शाते है। प्रत्येक नक्षत्र के यह चार पद धर्म अर्थ काम मोक्ष पुरूषार्थों को बताते है। अग्नि त्रिकोण राशियां मेष सिंह धनु धर्म विभन्न ऋणों व कर्तव्यों की द्योतक है। पृथ्वी त्रिकोण राशियां वृष कन्या मकर अर्थ धन सपंदा रोजगार समाज की उन्नति की द्योतक है। वायु त्रिकोण राशियां मिथुन कुम्भ तुला सुख सेक्स भाग विलास उत्सव मनोरंजन अनुभव भावनात्मक संबध मित्र परिवार का सहयोग ईच्छाओं की द्योतक है। जल त्रिकोण राशियां कर्क वृश्चिक मीन मोक्ष मुक्ति त्याग दान परिवर्तन भागीदारी बलिदान क्षमा स्वतंत्रता कैद रोग से मुक्ति सुख की द्योतक है। विभिन्न चरणे मे गये ग्रह विभिन्न फल देते है।