226 साल बाद फिर उसी से शादी

- डा. डी.एस. परिहार

विलियम वाकर एक अमरीकी युवक स्टेट यूनिवर्सिटी और न्यूयार्क मे खगोल विद्या का शोधार्थी था। वह सन् 1997 के प्रारम्भ मे फलोरिडा के डिज्नीलैंड मे स्पेस माउन्टेन नामक राइड की सीट पर बैठकर झूले का आनंद लेने ही वाला था कि बगल की सीट पर एक युवती रूथ आकर बैठ गई, ट्रेन चल दी पर कुछ देर बाद ट्रेन एक खतरनाक अंधेरी सुरंगनुमा ढलान पर पहुंची तो विलियम घबराहट मे एक फ्रेन्च नाम एतोंइनेट एतांेइनेट पुकरने लगा और युवती भी उत्तर मे फ्रेन्च नाम रोबेत्सो-रोबेत्सो पुकारने लगी वे दोनों आपस मे लिपट गये जब ट्रेन सामन्य हो गई तो वह युवक युवती एक दूसरे को आश्चर्य से देखने लगे क्योंकि वे दोनो एक दूसरे से अपरिचित थे दोनों ने एक दूसरे को अपना परिचय व फोन नम्बर दिया और बताया कि वे फ्रेन्च नही जानते है युवती का नाम रूथ था वो आलेंडो, फलोरिडा के एक कालेज मे गायन की टीचर थी। एक रात विलियम अपनी दूरबीन से सितारों का अध्ययन कर रहा था तो उसे एक अनोखा अनुभव हुआ वही युवती रूथ जिससे वह डिज्नीलैंड मे मिला था फ्रेन्च दुल्हन के वेश मे खड़ी है और उसे रोबेेेत्सो कह कर पुकार रही है और विलियम भी उसे एतोंइनेट कह कर बात कर रहा है। इसी तरह सारी रात बीत गई, अगले दिन शाम को विलियम ने रूथ को फोन करके अपने सपने के बारे मे बताया तो उसके आश्चर्य का ठिकाना नही रहा क्योंकि रूथ को भी ठीक ऐसा ही सपना आया था जिसमें विलियम उसे फ्रेन्च कपड़ों मे दिख रहा था और वे लोग आपस मे बात कर रहे थे। अब उन दोनों को हर पूणमासी को अजीब से अनुभव होने लगे जिसमे वो दोनों अपने साथ दूसरे को देखते थे दोनों फ्रेंच वेश मे होते थे और फ्रेंन्च मे ही बात करते थे फिर वे दोनों अपने स्वपन के अनुभवों को लिखने लगे मई 1998 मे मैकिनाक द्वीप, मिशिगन, अमरीका मे एक युवा समारोह हुआ, जिसमे दोनों ने अपने अपने कालेजों का प्रतिनिधित्व किया समारोह के दौरान उन दोनों मे दोस्ती हो गई उन दोनों ने अपने-अपने अनुभव एक दूसरे को बताये तो उनके आश्चर्य का ठिकाना नही रहा उसी दौरान उन्होने मैमनाक द्वीप की पहाड़ी पर बने एक महल को देखा तो वे दंग रह गये क्योकि यही महल उन्हें सपनों मे दिखता था उस महल का इतिहास जान कर उन्हें अपने पूर्व जम्म का ज्ञान हो गया और अपने उन सपनों के रहस्य का भी पता चल गया 18 वी सदीं मे भारत मे फ्रान्स और अंग्रेजों के बीच आधिपत्य को लेकर यु़द्ध चल रहा था काउंट डी लैली की कमान के तहत फ्रांसीसी सेना ने फोर्ट सेंट लैली पर कब्जा कर लिया। जार्ज और मद्रास पर कब्जा करने के लिए 22 जनवरी 1760 को तमिलनाडु के वंदीवाश (या वंदावासी) अंग्रेजी फोर्ट पर हमला किया। लेकिन वे वाडीवाश की लड़ाई में सर आइरे कूट के अधीन ब्रिटिश सेना से हार गए। ब्रिटिश सेनापति आइरे कूट ने 1760 में वांडीवाश की लड़ाई में फ्रेन्च जनरल काम्टे डी लैली को  हरा दिया उनमे एक फ्रेंच सैन्य अधिकारी था जिसका एक पुत्र रोबेत्सो था 1763 में पेरिस की संधि के साथ युद्ध समाप्त हो गया फ्रेंच सेना अपने उपनिवेश कनाडा लौट गई बाद मे फ्रेंच आर्मी के उसी अधिकारी ने अमरीका के मैकिनाक द्वीप को जीत लिया उसने मैकिनाक द्वीप की पहाड़ी पर एक महल बनवाया और अपने पुत्र रोबेत्सो जो एक खगोलशास्त्री था को मैकिनाक का गर्वनर बना दिया एक दिन रोबेत्सो अपनी सेना के एक अधिकारी की बेटी का गायन सुनकर उसे अपना दिल दे बैठा उस लड़की नाम एतोंईनेट था। दोनों मे प्रेम हो गया और उन्होने पूर्णमासी के दिन 14 जून 1772 को फ्रेन्च रीति से विवाह कर लिया विलियम और रूथ समझ गये कि वे दोनों पिछले जम्म के पति पत्नी है। और यह उनका पुर्नजंम है, विलियम और रूथ मे परस्पर प्रेम हो गया उनके घर वाले भी इस रहस्य का जानकर चकित हो गये इस जन्म मे भी उन दोनों ने इस बार भी 14 जून को ही फ्रेन्च रीति से विवाह करने का फैसला किया दोनों के घर वालो ने ना केवल इसकी सहमति दे दी बल्कि वो लोग भी प्रेमी युगल की इच्छानुसार 18 वीं सदी के कपड़े पहन कर विवाह मे शामिल हुये विवाह भी फ्रेंच रीति से हुआ मैकिनाक द्वीप का महल आज एक पर्यटन स्थल है जहां रोबेत्सो की दूरबीन आज भी रखी हुयी है। रोबेत्सो दोनो जन्म मे खगोलशास्त्री था एतोंईनेट गत जन्म मे सुरीला गाती थी और इस जन्म मे एक कालेज मे गायन की टीचर थी इस जन्म भी दोनों का विवाह 14 जून 1998 को ही हुआ यह विचित्र संयोग है। भारतीय दर्शन के अनुसार आत्मा अपनी अधूरी भावना और कर्मों का पूरा करने के लिये पुनः जन्म लेती है पुर्नजंम की यह अनोखी घटना इस तथ्य की पुष्टि करती है । 

(साभार-कादम्बिनी, नवम्बर 1998, कादम्बिनी मे छपी कथा के लेखक श्री महेश चन्द्र द्विवेदी अपनी विवाह की 33 वीं वर्षगांठ के अवसर पर मिशिगन अमरीका गये थे 14 जून 1998 को वे पर्यटन हेतु मिशिगन, अमरीका के मैकिनाॅक द्वीप गये थे उनके सामने ही गये विलियम और रूथ का विवाह हो रहा था इस विचित्र विवाह और बरातियों की प्राचीन वेशभूषा देखकर उन्होंने एक बराती से शादी के बारे मे पूछा तो एक बराती जो दूल्हे का चाचा था ने द्विवेदी जी को पुर्नजंम की इस सत्य घटना को विस्तार से बताया)




 

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