बच्चों को विश्व बंधुत्व की शिक्षा देकर ही महात्मा गांधी के सपने को साकार किया जा सकता है
गाँधी जयंती व अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर विशेष लेख
-डॉ. जगदीश गाँधी
(1) विश्व में वास्तविक शांति की स्थापना के लिए बच्चे ही सबसे सशक्त माध्यम:-
आज विश्व के अधिकांश देश हिंसा व अशांति के दौर से गुजर रहे हैं। एक देश का दूसरे देश पर विजय पाने की होड़ में परमाणु तथा जैविक हथियारों के प्रयोग की आशंका सारी मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है। रूस-यूक्रेन के साथ ही कई अन्य देशों के बीच चल रहे युद्ध के कारण सारी दुनिया में अशांति फैली हुई है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन के अनुसार ‘‘क्योंकि युद्ध की शुरूआत मनुष्य के मस्तिष्क से होती है, इसलिए मनुष्य के मस्तिष्क में ही शांति की सुरक्षा दीवारों का निर्माण किया जाना चाहिए।’’ हमारा मानना है कि मानव मस्तिष्क में शांति स्थापित करने के लिए सबसे अच्छी अवस्था बचपन है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का भी मानना था कि विश्व में वास्तविक शांति लाने के लिए बच्चे ही सबसे सशक्त माध्यम हैं। उनका कहना था कि ‘‘यदि हम इस विश्व को वास्तविक शान्ति की सीख देना चाहते हैं और यदि हम युद्ध के विरूद्ध वास्तविक युद्ध छेड़ना चाहते हैं, तो इसकी शुरूआत हमें बच्चों से करनी होगी।’’
(2) यदि मानवता को प्रगति करना है तो गाँधी अपरिहार्य हैं:-
अनेक चुनौतियों का सामना कर रही आज की दुनिया के लिए महात्मा गांधी के सिद्धांत, एक पथ प्रदर्शक का काम कर सकते हैं। महात्मा गाँधी जी का मानना था कि केवल मानसिक, शारीरिक और भौतिक दृष्टि से ही विकास करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि इसके स्थान पर दया, प्रेम, सेवा और जीवन के नैतिक मूल्यों को महत्व देना चाहिए ताकि व्यक्ति का सर्वांगीण विकास हो सके और विश्व में शांति और सद्भाव बढ़ सके। महात्मा गाँधी ने अपने विचारों और कार्य से मार्टिन लूथर किंग, नेल्सन मंडेला और दलाई लामा सहित दुनिया भर के कई नेताओं को प्रभावित किया है। मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने तो यहां तक कहा, ‘‘ईसा मसीह ने भावना और प्रेरणा दी जबकि गाँधी जी ने इसका तरीका बताया।’’ एक अन्य अवसर पर उन्होंनें कहा - ‘‘यदि मानवता को प्रगति करना है तो गाँधी अपरिहार्य हैं। वह शांति और सद्भाव की दुनिया की दिशा में विकसित मानवता की दृष्टि से प्रेरित जीवन जीते, सोचते और कार्य करते थे।’’
(3) सारा संसार एक नवीन विश्व-व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है:-
आज जब हम महात्मा गांधी के जीवन तथा शिक्षाओं को याद करते हैं तो हम उनके सत्यानुसंधान एवं विश्वव्यापी दृष्टिकोण के पीछे अपनी प्राचीन संस्कृति के मूलमंत्र ‘उदारचारितानाम्तु वसुधैव कुटुम्बकम्’ (अर्थात पृथ्वी एक देश है तथा हम सभी इसके नागरिक है) को पाते हैं। इन मानवीय मूल्यों के द्वारा ही सारा संसार एक नवीन विश्व सभ्यता की ओर बढ़ रहा है। गांधी जी ने भारत की संस्कृति के आदर्श उदारचरित्रानाम्तु वसुधैव कुटुम्बकम् को सरल शब्दों में ‘जय जगत’ (सारे विश्व की भलाई हो) के नारे के रूप में अपनाने की प्रेरणा अपने प्रिय शिष्य संत विनोबा भावे को दी जिन्होंने इस शब्द का व्यापक प्रयोग कर आम लोगों में यह विचार फैलाया। महात्मा गाँधी जी ने कहा था कि ‘‘मैं हिंसा के मुख में अहिंसा को इसी तरह झोक देना चाहता हूँ। आखिर कभी तो हिंसा की भूख शांति होगी। अगर दुनिया को शांति से जीना है तो मेरी जानकारी में इसका दूसरा और कोई रास्ता नहीं है।’’ वास्तव में महात्मा गांधी की सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह की नीतियां न केवल पूर्व में प्रांसगिक भी, बल्कि आज भी हैं और आगे भी रहेंगी।
(4) आधुनिक विश्व की समस्याओं के लिए एक स्वतंत्र राष्ट्रों का महासंघ जरूरी:-
गाँधी जी का कहना था कि भविष्य में शांति, सुरक्षा और निरन्तर प्रगति के लिए संसार के सभी स्वतंत्र राष्ट्रों को एक महासंघ की आवश्यकता है, इसके अलावा आधुनिक विश्व की समस्याओं को हल करने का कोई अन्य उपाय नहीं है। एक ऐसे ही ‘विश्व महासंघ’ के द्वारा उसके घटक देशों की स्वतंत्रता, एक राष्ट्र द्वारा दूसरे राष्ट्र पर किये जाने वाले आक्रमण एवं शोषण से बचाव, राष्ट्रीय सरकारों की सुरक्षा, सभी पिछड़े क्षेत्रों की उन्नति, विकास एवं सम्पूर्ण मानव जाति की भलाई के लिए विश्व भर के संसाधनों के एकत्रीकरण जैसे कार्य सुनिश्चित किये जायेंगे। इसलिए विश्व भर में चलने वाले इन युद्धों को रोकने के लिए हमें विश्व के प्रत्येक बच्चे को ‘विश्व नागरिक’ के रूप में विकसित करते हुए अति शीघ्र विश्व संसद, विश्व सरकार और विश्व न्यायालय की स्थापना के लिए अपना प्रयास और भी अधिक तेज करना होगा।
(5) विश्व को शांति की राह दिखाने के कारण भारत विश्व का प्रकाश बनेगा:-
महात्मा गांधी केवल भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के पितामह ही नहीं थे अपितु उन्होंने विश्व के कई देशों को स्वतंत्रता की राह भी दिखाई। महात्मा गांधी चाहते थे कि भारत केवल एशिया और अफ्रीका का ही नहीं अपितु सारे विश्व की मुक्ति का नेत्त्व करें। उनका कहना था कि ‘‘एक दिन आयेगा, जब शांति की खोज में विश्व के सभी देश भारत की ओर अपना रूख करेगें और विश्व को शांति की राह दिखाने के कारण भारत विश्व का प्रकाश बनेगा।’’ ऐसेे में हमें महात्मा गाँधी के ‘विश्व बंधुत्व’ के सपने को साकार करने के लिए प्रत्येक बच्चे को बाल्यावस्था से ही भौतिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा के साथ ही अपने देश की प्राचीन संस्कृति एवं सभ्यता ‘वसुधैव कुटुम्बम्’ पर आधारित भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 एवं ‘विश्व बंधुत्व’ की शिक्षा देकर उन्हें ‘विश्व नागरिक’ के रूप में विकसित करना होगा। वास्तव में तभी हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ‘विश्व बन्धुत्व’ के सपने को साकार करने की दिशा में आगे बढ़कर उन्हें अपनी सच्ची श्रद्धांजली दे सकेंगे।