ज्योतिष में घटनाओं के तिथियों और माह का ज्ञान
- डी.एस. परिहार
अक्सर सुनने मे आता है कि पुराने जमाने मे फलां ज्योतिषी ने किसी के विवाह की या मृत्यु की या खुद की मृत्यु की तिथी वार और माह की बिलकुल सटीक भविष्यवाणी की जो बिकुल अक्षरशः सत्य हुयी कुछ प्राच्य ज्योतिष ग्रन्थों मे जातक के विवाह मृत्यु की तिथी वार और माह ज्ञात करने के सूत्रों का वर्णन मिलता है। किन्तु इन सूत्रों पर आज तक किसी स्वतंत्र लेख की रचना नही हुयी है। यह इस विषय पर किया गया पहला प्रयास है। मैंने विभिन्न ज्योतिष ग्रन्थों से निम्न सत्रों को संकलित किया है।
मृत्यु तिथी का ज्ञानः-
1. मांदि या गुलिक के राशि व अंशों व जंमस्थ चन्द्रमा के राशि व अंशो के जोड़ों प्राप्त राशि अंशों से जंमस्थ सूर्य के राशि व अंशों को घटाओ जो संख्या आये उसे 12 से भाग दो इससे मृत्यु तिथी प्राप्त होगी इसी प्राप्त राशि व अंशो पर चन्द्रमा के गोचर मे जातक की मृत्यु होगी।
2. अष्ठमेश के राशि व अंशो से जंमस्थ सूर्य के राशि व अंशों को घटाओ जो संख्या आये उसे 12 से भाग दो इससे मृत्यु तिथी प्राप्त होगी इससे चन्द्रमा का गोचर मृत्यु की तिथी बतायेगा सूर्य से आगे 0 से 180 अशों के बीच की तिथी शुक्ल पक्ष की तिथी बतायेगी तथा 180 से 360 अंशो ंके बीच की तिथी कृष्ण पक्ष की तिथी बतायेगी।
3. चन्द्रमा की नवंाश राशि से त्रिकोण मे चन्द्रमा का गोचर मृत्यु की तिथी बतायेगा तिथी की गणना चन्द्रमा की नवंाश राशि के राशि स्वामी के राशि व अंशों से जंमस्थ सूर्य के राशि व अंशों को घटाओ जो संख्या आये उसे 12 से भाग दो इससे मृत्यु तिथी प्राप्त होगी।
4. चन्द्र्र्र्र्र्र्र्र्रमा से 22 वे देष्काण राशि से चन्दमा का गोचर मृत्यु तिथी बतायेगा प्राप्त होगी या चन्द्रमा से 22 वे देष्काण राशि के राशि स्वामी ग्रह के राशि अंशों से चन्दमा का गोचर का गोचर मृत्यु की तिथी बतायेगा।
5. लग्न से 8 वे ंया 12 वे भाव मे चन्द्र ्रका गोचर या अष्ठमेश जिस नक्षत्र मे जाये उससे या सूर्य गत राशि से वनद्रमा का गोचर मृत्यु तिथी बताये।
6. मांदि गत राशि से चन्द्रमा का गोचर रोग देगा मांदिगत राशि से 7 वे ंराशि मे मृत्यु तिथी बताये।
7. प्रश्नमार्ग के अनुसार धनेश या सप्तमेश जिस राशि मे जाये उससे त्रिकोण मे चनद्रमा का गोचर मृत्यु तिथी बताये धनेश की नवांश राशि से त्रिकोण मे चन्द्रमा का गोचर मृत्यु तिथी बतायेगा।
8. शुक्र नाड़ी के अनुसार शुक्र व चन्द्र के राशि अंशों को जोड़ो प्राप्त राशि अंशो केा 12 से गुणा करो तथा गुणनफल मे 27 से भाग दो इसी प्राप्त राशि व अंशो पर चन्द्रमा के गोचर मृत्यु का दिन व मृत्यु तिथी बतायेगा।
9. राहम जिस नक्षत्र मे हो उससे त्रिकोण नक्षत्र म ेचन्द्रमा का गोची मृत्यु तिथी बतायेगा या अष्ठमेश गत राशि से त्रिकोण राशि मे चन्द्रमा का गोचर मृत्यु तिथी बताये।
10. लग्न स ेपंचचम भाव क ेबली ग्रह या सन्मुख राशि मे स्थित बली ग्रह से या पचंमेश या सन्मुख राशि के स्वामी से मृत्ुय तिथी का ज्ञान होता है। स्त्रिी जातक मे नवम भाव के बली ग्रह या सन्मुख राशि मे स्थित बली ग्रह से या नवमेश या सन्मुख राशि के स्वामी से मृत्ुय तिथी का ज्ञान होता है। जैमिनी मतानुसार किसी भी ग्रह की दूसरी राशि सन्मुख राशि होती है। यह सूत्र उन ग्रहों पर लागू होेता है। जिनकी दो राशियां है। जैसे शुक्र की वृष व तुला मंगल कर मेष व वृश्चिक शनि की मकी व कुंभ गुरू की धनु व मीन तथा बुध की कन्या व मिथुन जैसे पंचम भाव मे मिथुन राशि हो और उसमे कोई ग्रह ना हो ताु बुध की दूसरी राशि कन्या सन्मुख कन्या सन्मुख राशि होगी ग्रहों की तिथी कालचक्र दशा के अनुसार निकाली जाती है। सूर्य प्रतिपदा, व नवमी, चन्द्रमा द्वितीया व दशमी मुंगल तृतीया व एकादशी बुध चतृर्थी व द्वादशी गुरूपंचमी व त्रयाूेदशी, शुक्र षष्ठर व चर्तुदशी, शनि सप्तमी व पूर्णिमा राहू अमावस्या।
विवाह की तिथी:-
1. विवाह क ेदिन चन्द्रमा लग्न या चन्द्र से 7 वीं राशि से गोचर करे या गुरू या मंगल शुक्र या सूर्य से गोचर करे।
वार-देवकेरलम के अनुसार सप्तमेश या उसकी नवांश राशि का वार या शुक्र की जंमगत राशि या नवांश राशि का वारया लग्नेश का वार या नवांश लग्नेश या लाभेश का वार विवाह का दिन है।
अनिष्ट व लाभकरी वार-देवकेरलम के अनुसार लग्न से षष्ठेश या अष्ठमेश के वार मे जातक को रोग होगा साथ ही षठेश या अष्ठमेश की दशा अन्र्तदशा मे इनके वार मे जातक को बंधन या रोग होगा यह नियम सामांय है और हर भाव पर लागू होता है जैसे पंचमेश की अन्र्तदशा काल मे पंचमेश के वार मे पचम भाव संबधी लाभ तथा नवमेश के वार मे जातका का भाग्योदय य पिता को लाभ मिलता है लग्न या चन्द्र लग्न से द्वितीय व चतुर्थ भाव की दशा मे इन भावेशों के वार मे पिता केा रोग या उनकी मृत्यु होगी क्यों कि यह पिता के भाव से छठे या अष्ठम भाव है। मीन लग्न व चन्द्र चन्द्र राशि के एक जातक पिता की मृत्यु रविवार को हुयी सूर्य सूर्य चन्द्र लग्न ेस चतुर्थेश है जो चतुर्थ भाव पिता के भाव नवम से अष्ठम यानि मृत्यु का भाव है। माता की मृत्यु गुरूवार को हुयी जो तथा गुरू चन्द्र लग्न से लाभेश है। लाभ भाव माता के भाव चतुर्थ से अष्ठम यानि मृत्यु का भाव है।
मृत्यु लग्न:-
1. लग्न स्पष्ठ, मांदि स्पष्ठ और चन्द्र स्पष्ठ केा जोड़ो प्राप्त राशि अंश ही मृत्यु लग्न होगी (फलदीपिका)।
2. लग्नपद से त्रिकोण राशि या लग्नपद से 7 वीं राशि तथा लग्न पद के स्वामी ग्रह जिस राशि मे जाये वो राशि मृत्यु लग्न होगी।
3. उपपद से त्रिकोण राशि या से 7 वीं राशि तथा उपपद से लग्न पद के स्वामी ग्रह जिस राशि मे जाये वो राशि मृत्यु लग्न होगी ।
4. नवमपद से त्रिकोण राशि पिता की, पंचम पद से त्रिकोण राशि संतान की चतुर्थ पद से त्रिकोण राशि माता की मृत्यु लग्न होगी।
5. माह का ज्ञान:-
1. मांदि की देष्काण राशि या त्रिकोण राशि मे सूर्य का गोचर मृत्यु माह बतायेगा।
2. सूर्य की द्वाद्ववंाश राशि या लग्न की नवांश या अष्ठमेश की नवांश राशि से त्रिकोण मे सूर्य का गोचर मृत्यु माह बतायेगा।
3. अष्ठमेश गत राशि से सूर्य का गोचर मृत्यु माह बतायेगा।
4. मांदि गत राशि से सूर्य का गोचर मृत्यु माह बतायेगा।
5. शुक्र नाड़ी के अनुसार मंगल के राशि अंशो को तृतीयेश के राशि अंशों से गुणा करो उसमे सूर्य के अंशो को जोड़ो प्राप्त संख्या को 360 से भाग दो प्रस्त शेष राशि अंश पर सूर्य का गोचर भाई की मृत्यु का माह बतायेगा।
6. शुक्र नाड़ी के अनुसार सप्तमेश के राशि अंशो मे उपग्रह के राशि अंशों को जोड़ो योगफल को 12 सें गुणा करो व गुणफल मे 27 से भाग दो प्राप्त नक्षत्र सूर्य का गोचर जातक की मृत्यु का माह बतायेगा।
7. जैमिनी सूत्रम के अनुसार अष्ठम पद से त्रिकोण से सूर्य का गोचर राशि मृत्यु माह बतायेगा।
8. प्रश्न मार्ग के अनुसार लग्न नक्षत्र या जन्म नक्षत्र से सूर्य का गोचर राशि मृत्यु देगा।
9. गुलिक नक्षत्र से या या उससे त्रिकोण नक्षत्र से या अष्ठमेश के राशि अंशों पर सूर्य का गोचर राशि मृत्यु देगा।
10. जैमिनी सूत्रम के अनुसार लग्न पद से त्रिकोण से सूर्य का गोचर राशि भाग्योदय बतायेगा।
11. चन्द्र लग्न या चन्द्र की त्रिकोण राशि से सूर्य का गोचर जातक की मृत्यु का माह बतायेगा।
12. यदि लग्नस्थ सूर्य चर राशि मे हो तो सूर्य की द्वादद्वांश से सूर्य का गोचर जातक की मृत्यु का माह बतायेगा यदि लग्नस्थ सूर्य स्थिर राशि मे हो तो अष्ठमेश की नवांश से सूर्य का गोचर जातक की मृत्यु का माह बताये यदि लग्नस्थ सूर्य द्विस्भाव राशि मे हो तो लग्न की नवांश से सूर्य का गोचर जातक की मृत्यु का माह बतायेगा।
13. स्पष्ठ सूर्य को 9 से गुणा करो शनि स्पष्ठ को 9 से गुणा करो व गुलिक स्पष्ठ को 9 से गुणा करो तीनो गुणनफल को जोड़ो प्राप्त राशि अंश पर सूर्य का गोचर मृत्यु माह बतायेगा।
14. गुलिक गत राशि से गुरू सूर्य व चन्द्र का गोचर मृत्यु का समय बतायेगा।
15. शुक्र से 6, 8, 12 भाव मे सूर्य का सूर्य का गोचर जातक की मृत्यु का माह बतायेगा।
16. सूर्य व राहू केे राशि अंशों को परस्पर गुणा करो गुणनफल मे 2160 से भाग दो राशि अंश पर सूर्य का गोचर मृत्यु बतायेगा।
17. अष्ठमेश की द्वादद्वांश से त्रिकोण मे सूर्य का गोचर या जंमस्थ राशि से सूर्य का गोचर जातक की मृत्यु का माह बताये।
19. लग्न स्पष्ठ व मांदि स्पष्ठ को जोड़ो प्राप्त राशि अंश पर या इसकी नवांश पर सूर्य का गोचर जातक की मृत्यु का माह बताये।
20. जिस भावेश की अन्र्तदशा हो उस भावेश ग्रह की नवांश राशि पर सूर्य का गोचर उस भाव से संबधित विशेष घटना देगा यदि भावेश शुभ हो तो शुभ घटना घटेगी यदि भावेश अशुभ हो तो अशुभ घटना घटेगी।
विवाह माह:-
1. लग्नेश द्वितीयेश व सूर्य गत राशि स्वामी के राशि स्वामी ग्रह के राशि अंश को जोड़ो प्राप्त राशि अंश पर सूर्य का गोचर जातक की विवाह माह बताये।
2. सप्तमेश की जंमस्थ या नवांश राशि से सूर्य का गोचर जातक की विवाह माह बताये।
3. उत्तरायन का जंम हो तो गुरू की नवांश राशि से त्रिकोण मे सूर्य का गोचर या जंमस्थ गुरू से त्रिकोण मे सूर्य का गोचर जातक की विवाह माह बताये।
4. दक्षिणायन का जंम हो तो शुक्र की नवांश राशि से त्रिकोण मे सूर्य का गोचर जातक की विवाह माह बताये।
5. लग्न से गुरू का गोचर व लग्नेश की नवांश राशि से त्रिकोण मे सूर्य का गोचर से विवाह माह बताये।
6. देवकेरलम-तुला लग्न मीन मे छठे सूर्य हो चैत माह मे विवाह होगा।
7. देवकेरलम-कर्क लग्न मे चन्द्र हो तो चैत माह मे विवाह देगा।
8. देवकेरलम के अनुसार चतुर्थेश या सप्तमेश की नवांश राशि से त्रिकोण मे सूर्य का गोचर विवाह मास बतायेगा।
9. शुक्र की जंमगत राशि या नवांश राशि या शुक्रगत राशि स्वामी से त्रिकोण मे सूर्य कागोचर विवाह माह बतायेगा।
10. देवकेरलम-कुंभलग्न मे पंचमेश बुध की अन्र्तदशा मे परिवार मे किसी का विवाह या शुभ कार्य हो चंपम भाप सप्तम से लाभ का भाव है। तथा बड़े पुत्र-पुत्री व चाचा का एकादश तथा पंचम सप्तम उपरोक्त संबधियों के विवाह का भाव है।
11. यदि शुभ नक्षत्र या शुभ वार (सोम, बुध गुरू व शुक्र) मे जंम हो तो जीवन मे कई प्रकार के धन सुख प्राप्त होगें यदि वार स्वामी अशुभ हों तो रोग ध्यान की अस्थिरता व राजकोप होगा।