सुदूर कई देशों में ले जाकर मजदूर बना दिया था उन देशों में भी भारतीयों ने शासन किया
- पवन उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार
आजादी को 76 वर्ष हो गए हमने अभी आजादी का अमृत महोत्सव मनाया क्योकि सैकड़ो वर्ष तक परतंत्र थे। अंग्रेजो के शासन काल मे अंग्रेजो ने न केवल हमे लूटा बल्कि हमारी संस्कृति को भी नष्ट किया, उससे भी उनका मन नहीं भरा और भारतीयों को सुदूर कई देशों में ले जाकर मजदूर बना उन देशों में भी शासन किया । ये मजदूर आज गिरमिटिया के रूप में जाने जाते है। ये वो देश थे जो भारत से हजारों किलोमीटर दूर थे वहां की जलवायु भी भारत से भिन्न थी। ये देश थे मारीशस, फिजी, त्रिनिडाड एंड टोबैगो, गुयाना, सूरीनाम, रीयूनियन, जमैका आदि। जब ये देश स्वतंत्र हुए तब तक भारतीयों की तीसरी-चैथी पीढ़ी इन देशों में चल रही थी और ये लोग अब अपने भारतीय परिवारों को भूल चुके थे क्योंकि अंग्रेजों ने दमनकारी नीति से शासन कर भारतीयों का पूरा जीवन संघर्षमय बना दिया था जो किसी तरह अपने जीवन को चला रहे थे। जब ये देश स्वतंत्र हुए तब भारतीय अपनी मेहनत से अपना जीवन संवार पाए । अब ये भारतीय भारतीय प्रवासी हो गए थे उन उन देशों के नागरिक हो गए थे, कुछ देशों में तो ये भारतीय अपनी हिंदी भाषा ही खो चुके थे और पूर्णतया अंग्रेजी इनकी भाषा हो गयी लेकिन भारत के प्रति लगाव में कोई कमी नहीं थी । जब ये सारे देश स्वतंत्र हुए तो यहां बसे भारतीय भारत मे बसे अपने पूर्वजो को खोजना शुरू किया। लेकिन तब तक सैकड़ो वर्ष बीत चुके थे और भारत मे भी स्वतंत्रता के बाद बहुत से बदलाव हो चुके थे। जैसे नए प्रदेशो, नए जनपदों, नए थानों के भी गठन हुआ इस कारण एक बड़ी समस्या ये आयी कि परिवारों को कैसे खोजा जाए। कुछ भारतीयों को अंग्रेजो के द्वारा बनाया गया इमिग्रेशन पास था, लेकिन उसके द्वारा भी खोजना आसान नहीं था।
अब हम बात करेंगे जड़ो की खोज में आ रही समस्याओं की। सैकड़ो वर्ष पूर्व अंग्रेज भारतीयों को गन्ने की खेती के लिए ले गए थे जिनकी वर्तमान पीढ़ी अपने जड़ो को खोज रही है। हमने एक दर्जन से ज्यादा परिवारों को मिलवाया है। जड़ो यानी अपने पूर्वजों का घर खोजने के लिए उस समय का Immigration Pass सहायक होता है जिसमे नाम उम्र के साथ, पिता का नाम, गाँव, थाना, जिला, नजदीकी रिश्तेदार का नाम, जाति व जाने का वर्ष आदि लिखे होते है। सैकड़ो वर्ष बीत जाने के बाद आज बहुत बदलाव हो गया है। जिलों में बंटवारा हो गया, थानों में कई थाने बन गए, कुछ परिवार पलायित कर गए इस लिए भारतीयों परिवार को खोजने में कुछ लोग ये समझते है कि ठगी का ये कोई नया तरीका तो नहीं। परिवार को खोजने में 2 बड़ी समस्या आती है जिनसे हम बचने का प्रयास करते है इसलिए पहले की कह देता हूँ कि न तो वो कुछ देंगे न ही वो कुछ लेंगे। क्योकि कुछ लोग ये सोचते है कि अगर हम बता देंगे कि ये हमारे परिवार से है तो ये लोग आकर हमारे संपत्ति में हिस्सेदार हो जाएंगे और दूसरी समस्या कि दूसरे देश मे बसे ये लोग धनवान होंगे और अगर हम कह दे कि हमारे घर के थे तो हमे खूब पैसा मिल जाएगा।
कुछ उदाहरण देता हूँ कि की कैसी-कैसी समस्याएं आती है भारत मे परिवार को खोजने में। Immigration Pass में जो भी सूचनाएं दर्ज है वो कभी-कभी पूरी तरह से पूर्ण नहीं होती तो दूसरा की अंग्रेजो की लिखावट अभी कलात्मक होती है या साफ नहीं जिससे पढ़ने में भी समस्या होती है।
अब चलते है खोजने तो हमारे पहले खोज में जो गाँव Immigration Pass में दर्ज था वो परिवार उस गाँव से 3 किलोमीटर दूर मिला वो भी कैसे उसके पीछे रोचक भारतीय संस्कृति की परंपरा है। कई दिन की खोज के बाद एक घर पर हम पहुंचे तो घर पर एक बुजुर्ग महिला मिली जिनसे हमने पूछा कि क्या आपके परिवार में कोई हरदयाल था तो उन्होंने कहा कि नहीं हरिलाल थे हमने फिर से Immigration Pass को खोला और पढ़ा तो पाया कि ये हरिलाल लिखा हो सकता है क्योंकि लिखावट स्पष्ट नहीं थी फिर हमने उन बुजुर्ग महिला की उम्र और हरिलाल से रिश्ता पूछा और समय की गणना की तो लगभग मिल रहा था। अब आप सोच रहे होंगे कि जो गाँव दर्ज है Immigration Pass में उससे 3 किलोमीटर दूर तो उसका कारण था महामारी जैसे अभी Corona में Lockdown के Chain को Break किया गया जो 100 वर्ष पूर्व फैले हैजा को फैलने से रोकने के लिए लोग उस समय स्थान बदल दिया करते थे इसलिए लिखित गाँव से दूरी संभव था। वहीं कुछ लोग आस-पास के प्रचलित गाँव का नाम लिखवा देते थे।
अंग्रेज सुदूर देशों में भारतीयों को मजदूर बना कर ले गये थे आज वो कर रहे शासन
फिजी में एक समय महेंद्र चैधरी जी प्रधानमंत्री रहे और कई भारतीय मंत्री बने है आज प्रो विमान प्रसाद उप प्रधानमंत्री है, गुयाना में कई भारतीय राष्ट्रपति रहे वहीं आज भारतीय मूल के इरफान अली राष्ट्रपति है, ट्रिनिडाड एण्ड टोबैगो में बासदेव पाण्डेय व कमला प्रसाद बिसेसर प्रधानमंत्री रहीं है, बात सूरीनाम की की जाये तो आज के समय चंद्रिका प्रसाद संतोखी जी राष्ट्रपति है और मारीशस के प्रधानमंत्री जगन्नाथ जी है।