राष्ट्रीय रामायण मेला के शुभारंभ में गूंजी मंत्रों की ध्वनियां

- गोवर्धन पीठाधीश्वर जगदगुरू अधोक्षजानन्द देवतीर्थ पुरी महाराज ने किया शुभारंभ

- हनुमान गढी के महंत राजूदास ने कहा, श्री रामचरितममानस को फाडने की बात करने वाले को जीने का अधिकार नहीं

- चित्रकूट के सभी अखाड़ों ने निकाली विशाल शोभायात्रा

- जय बजरंग सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन उपाध्याय व राष्ट्रीय प्रभारी अर्चना उपाध्याय रहे विशिष्ट अतिथि

संदीप रिछारिया

चित्रकूट। धर्मो रक्षति रक्षतः, जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है। जल्द ही अखंड भारत का सपना पूरा होने वाला है, भारत की संसद ने इसको करके दिखा दिया है। यह सदी सनातन की है। क्योंकि कुशल नेतृत्व के कारण सनातन को वैश्विक मान्यता मिलती दिखाई दे रही है। यह बातें गोर्वधन पीठ के जगद्गुरू अधोक्षानंद देवतीर्थ पुरी जी महराज ने राष्ट्रीय रामायण मेला के 51 वें सस्करण का शुभारंभ करते हुये कहीं।

उन्होंने कहा कि वह पिछले तीन साल से अखंड भारत के वृत को लेकर अखंड भारत के सभी धर्मस्थलों में जाकर धर्म का प्रचार कर रहे हैं। बांग्लादेश, म्यामार, सहित एक दर्जन देशों की यात्रा की जा चुकी है, जबकि जल्द ही पाकिस्तान जाकर माता हिंगलाज की पूजा करना है।

भगवान श्री राम की तपस्थली आज देश के विशिष्ट संतो ंके चरणों को पाकर धन्य हो गई। राष्ट्रीय रामायण मेला के 51 वें संस्करण का शुभारंभ गोवर्धन पीठ के जगदगुरू स्वामी अधोक्षानंद देवतीर्थ पुरी जी महराज व अयोध्या की हनुमान गढी के महंत राजूदास ने वेद की ऋचाओं के बीच दीप प्रज्जवलित कर किया।  

डदृघाटन के पूर्व निर्माेही तिराहे से चित्रकूट धाम के सभी सात अखाड़ों के निशानों के साथ विशिष्ट संतों की उपस्थित में हाथी घोड़ों के साथ विशाल शोभायात्रा निकाली गई। जिसका स्वागत कई स्थानों पर होने के साथ ही रामायण मेला सभागार के बाहर कार्यकारी अध्यक्ष प्रशांत करवरिया, महामंत्री डा0 करूणाशंकर द्विवेदी ने किया। उनका सहयोग मनोज गर्ग, राजा बाबू पांडेय, पप्पू श्रीवास्तव आदि ने किया। रामायण मेला की औपचारिक शुरूआत के पूर्व स्वामी जयेन्द्र सरस्वती वेद पाठशाला व श्री राम संस्कृत महाविद्यालय के छात्रों ने स्वस्ति वाचन मंगलाचरण किया। इसके बाद मेले के कार्यकारी अध्यक्ष व महामंत्री व अन्य पदाधिकारियों ने विशिष्ट अतिथियों का स्वागत माल्यापर्ण, मानस व श्री फल भेंट कर किया।  कार्यक्रम के प्रारंभ में जगद्गुरू रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय के संगीत विभाग के प्रमुख डा0 विशेष नारायण मिश्र व महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के राजा पांडेय ने गणेश वंदना प्रस्तुत की। अयोध्या हनुमान गढी से आये महंत राजू दास ने कहा कि जिस व्यक्ति ने मानस का अपमान कर उसे जलाने व फेंकने की बात कही है, उसे जीने का कोई अधिकार नहीं हैं। हिंदू सहिषुण्य है तभी वह जिंदा है, नही तो एक देश में छोटा सा कार्टून बनाने पर 8 पत्रकारों को मौत के घाट उतार दिया गया था। उन्होंने राम जन्म भूमि आंदोलन के तमाम वृतांत प्रस्तुत किये। पूर्व सांसद भैरों प्रसाद मिश्र ने सभी आमंत्रित लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि हमारा अगला लक्ष्य रामायण मेले को विश्व रामायण मेला बनाना है। हम इस दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं। इस दौरान महामंत्री डा0 करूणाशंकर द्विवेदी ने डा0 लोहिया द्वारा रामायण मेले की परिकल्पना के समय कहे गये उद्गारों को बताया। उन्होंने कहा कि मेले को मूर्त रूप प्राप्त करने में 13 वर्ष का समय लगा, लेकिन वास्तव में यह ऐसा आयोजन है जिसका मूल उद्देश्य विशिष्टिता से भरा है। आनंद, दृष्टि, रससंचार और हिंदुस्तानी को बढ़ावा देने के का सपना डा0 लोहिया ने देखा था। इसकी पूर्ति लगातार मेला का आयोजन कर रहा है। दिगंबर अखाडे के महंत दिव्य जीवन दास जी ने कहा कि वास्तव में रामायण मेला के आयोजन ने चित्रकूट के विकास के लिए मील का पत्थर स्थापित किया है। 50 आयोजन का मतलब यहां पर पांच दिनों तक लगातार देश व विदेश के गणमान्यों का मेला लगा रहना और उनके यहां से जाने के बाद चित्रकूट का प्रचार यहां के विकास का एक बड़ा कारक रहा है।

डा0 चंद्रिका प्रसाद दीक्षित ने कहा कि चित्रकूट राम की वह भूमि हैं, जहां पर राम नाम हमेशा गुंजायमान रहता है। भले ही तुलसी व वाल्मीकि के राम का अवतरण त्रेता में हुआ हो, पर यहां पर तो सतयुग में स्वयं परम पिता ब्रहमा ने रामार्चा कर राम की भक्ति की शुरूअंात की थी। इस दौरान जय बजरंग सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन उपाध्याय, राष्ट्रीय प्रभारी अर्चना उपाध्याय, पूर्व मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय, निर्वाणी अखाड़े के महंत सत्य प्रकाशदास जी, कामदगिरि पीठम के महंत मदन गोपाल दास, निर्माेही अखाड़े के अधिकारी दीन दयाल दास महराज सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

 

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