हलधर किसान यूनियन वाले किसान महापंचायत में भरेंगे हुंकार
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भारतीय हलधर किसान यूनियन की बैठक होटल अम्बे पैलेस में जिलाध्यक्ष जनक सिंह परिहार की अध्यक्षता में की गई । बैठक में झाँसी से आये मुख्य अतिथि के रूप में बुंदेलखंड अध्यक्ष /मप्र प्रभारी जितेन्द्र भदौरिया जी एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में मंडल अध्यक्ष जयराम सिंह बछेवरा जी ,झाँसी जिलाध्यक्ष यादवेंद्र सिंह यादव जी ,बुंदेलखंड महासचिव दिलीप सिंह भदौरिया जी, एवं मंडल उपाध्यक्ष प्रेमचंद तिवारी जी उपस्थित रहे। सर्वप्रथम माँ चंद्रिका देवी की तश्वीर में अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर पुष्माला अर्पित की।मुख्य अतिथि जितेन्द्र भदौरिया जी ने पदाधिकारी गणों की समीक्षा बैठक करते हुए आगामी किसान महापंचायत को सफल कैसे बनाया जाए उसके लिये सभी पदाधिकारियों को गांव गांव जाकर किसान भाईयों माताएं बहनों से आह्वाहन करते हुए कार्यक्रम में आने के लिए निवेदन करने की बात रखी क्योकि इस किसान महापंचायत में राष्ट्रीय अध्यक्ष धीरेंद्र सोलंकी जी , राष्ट्रीय पदाधिकारी गण एवं प्रदेश अध्यक्ष पहली बार महोबा जिले के किसानो से रूबरू होकर उनकी समस्याओं को सुनेंगे ओर उनके निराकरण के लिए जिले के संबंधित अधिकारियों से उनकी परेशानियों को रखते हुए उनका निराकरण भी करवाएंगे,इसलिए किसान महापंचायत को सफल बनवाने के लिए पदाधिकारियों को सफलता के कई मूल मंत्र दिये।
विशिष्ट अतिथि जयराम सिंह जी ने कहा कि किसानों के साथ कभी भी सरकार ने नरमी नही रखी ओर उनके हित को सर्वोपरि नही समझा इसलिए हम सबको मिलकर मजबूती से अपनी समस्यायों को सुलझाने के लिए स्वम को ताकतवर बनाकर अपने हकों की लड़ाई लड़नी पड़ेगी ।
बैठक का संचालन महोबा तहशील अध्यक्ष राकेश यादव एवं आभार युवा तहशील प्रमुख महासचिव मोनू सिंह परिहार ने किया।
बैठक में सर्वश्री जिला वरिष्ठ उपाध्यक्ष बृजेन्द्र तिवारी,जिला सचिव अनिल प्रताप सिंह,जिला उपाध्यक्ष दिनेश अहिरवार,शिशुपाल सिंह परिहार,राजेन्द्र सिंह परिहार,युवा जिला सचिव विनीत सिंह,चरखारी तहशील अध्यक्ष मनीष तिवारी, तहशील प्रमुख महासचिव जितेन्द्र यादव,जुगल किशोर गर्ग कुलपहाड़, ऋषि दीक्षित ब्लॉक अध्यक्ष जैतपुर,अनिल वर्मा,पनवाड़ी ब्लॉक अध्यक्ष ब्रजेश चतुर्वेदी,अरविन्द सिंह भदौरिया,हरिहर सिंह,शैलेन्द्र सिंह परिहार,मीडिया प्रभारी चरखारी जुगल किशोर दुबेदी, मीडिया प्रभारी कुलपहाड़ प्रवीण पटेरिया सहित सैकड़ो पदाधिकारी उपस्थित रहे।
- डी.एस. परिहार हमारे समाज का बेहद कड़वा सच है वैश्यावृत्ति। कानून के प्रतिबंध के बावजूद भी वैश्यावृत्ति का व्घ्यापार सभी जगह खूब फलता-फूलता है। ग्रहों की दशा का प्रभाव भी महिलाओं के देह मंगल और शुक्र ऐसे दो ग्रह है, जब इनकी युति बनती है तो वैवाहिक जीवन तो डिस्टर्ब होता ही है, साथ ही गैर महिला के प्रति पुरूषों का आकर्षण बढ़ता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, कुंडली में ग्रहों का खास योग किसी महिला को वेश्यावृत्ति की ओर धकेल सकता है। यही नहीं, ऐसे ज्यादातर मामलों में महिला को उसके प्रेमी द्वारा बहला-फुसलाकर देह व्यापार के गंदे धंधे में धकेल दिया जाता है। यदि कुंडली में प्रेम प्रसंग और धोखेबाज प्रेमी का योग हो, महिलाओं के व्यापार में फंसने का ज्योतिषीय कारण होता है। ग्रहों की निम्न विशेष स्थिति में महिलाएं देह व्घ्यापार करने पर मजबूर हो जाती हैं। 1. जिस युवक युवती की कुंडली में चैथे भाव में शुक्र तथा मंगल इकट्ठे होंगे , तो वह अत्यधिक कामुक होगा । किसी नजदीकी सम्बन्धी से सेक्स सम्बन्ध होने के कारण उसका अपना ग्रहस्थ जीवन डंावाडोल होता है। चतुर्थ भाव सुख स्थान का है । 2.-जिसकी कुंडली में चैथे
- डी.एस. परिहार मनुष्य का जीवन अपने आसपास के वातावरण से ही प्रभावित होता है। व्यक्ति के आस-पास के पशु पक्षी उसके जीवन का अभिन्न अंग है। भारतीय ऋर्षियों तथा संसार के अध्यात्मवादियो ने संसार के पक्षियों को ना केवल ज्योतिष तथा मनुष्य के भाग्य से जोड़ा है। बल्कि पक्षियों को उपयोग शकुन ज्योतिष, फलित तथा प्रष्न ज्योतिष तथा अनेकों ज्योतिष, तांत्रिक उपचारों और शारीरिक मानसिक रोगों के निवारण में किया है। भारत मे पंच प़क्षी शास्त्र, कल्ली पुराण पर आधारित तोते द्वारा भविष्यवाणी, पक्षी तंत्र तथा शकुन ज्योतिष का प्रयोग आदिकाल से ही किया जाता है भारत मे गरूड़ जी, नीलकंठ, काकभुषुंडी,, हंस, जटायु व संपाती, शुकदेव जी आदि दिव्य पक्षियों तथा अनेक देवी देवताआंे वाहन के रूप मे पक्षियों को प्रयोग किये जाने का वर्णन है। जैसे भगवान विष्णु का गरूड़, कार्तकेय जी का मयूर, माता लक्षमी का उल्लू, विश्वकर्मा, वरूण जी तथा स्वरसती जी का हंस आदि शनिदेव का कौआ आदि का प्राचीन काल मे पक्षियों द्वारा डाक सेवा युद्ध संबधी शकुन का भी काम लिया जाता था पक्षियों को स्वतंत्रता, नवीन विचारों, आनंद, तनाव, मुक्ति, प्रषंसा, यष, धन्यवा
- डी.एस. परिहार ब्रह्मा जी के मानस पुत्र ज्योतिष शास्त्र के महान प्रवर्तक महर्षि भृगु जी ने पीड़ित मानवता के उद्धार हेतु अपनी अतीन्द्रिय क्षमता और भगवान विष्णु द्वारा प्राप्त दिव्य दृष्टि से सतयुग में समुद्र मंथन के पूर्व भृगु संहिता नामक विशाल ग्रन्थ लिखा था। बनारस के भृगुशास्त्री स्व. ब्रह्म गोपाल भादुड़ी के अनुसार भृगु संहिता जन्मतः, प्रश्न विज्ञान, स्वर विज्ञान और गर्भाधान लग्न पर आधारित है। हांलाकि कई आधुनिक ज्योतिषी, ज्योतिषी उपचारों पर विश्वास नही करते हैं। किन्तु यह भी सच है। कि कर्म और पूर्व जंम पर आधारित ज्योतिष के अनेक प्राचीन ग्रन्थों मे जैसे बृहत पाराशर होरा शास्त्र, प्रश्न मार्ग, कर्म विपाक संहिता, नाड़ी ग्रन्थ, रावण संहिता व भगु संहिता आदि में पश्चाताप स्वरूप पूर्व जंम मे किये गये पापों से मुक्ति के लिये विभिन्न उपचारों, कर्मकाण्डों, मंत्रोपचारों, देवदर्शन, देवपूजन, व्रत, दान औषधि प्रयोग का वर्णन है। आज भृगु संहिता एक दुर्लभ और अप्राप्य ग्रन्थ है। मेरठ, प्रतापगढ व होशियारपुर के अलावा कही नही पाया जाता है। इस ग्रन्थ में मंगली दोष, साढे साती शनि, शनि दोष, मारकेश की दशा का वर्