श्रीराम की तपस्थली में श्रीकृष्ण भक्ति की धूम

- श्री तुलसीदास जी ने चित्रकूट धाम में किया था श्रीकृष्ण भक्ति का प्रचार

- चित्रकूट धाम के लगभग सभी श्रीराम मंदिरों में सज रहीं हैं श्री कृष्ण की झांकियां, गाये जा रहे हैं सावन झूला गीत

- संदीप रिछारिया

श्रीचित्रकूट धाम तो भगवान श्री राम की तपस्थली है, यहां पर गोस्वामी तुलसीदास जी महराज को भगवान श्रीराम के एक नही बल्कि दो बार दर्शन हुये, फिर चित्रकूट के श्रीराम-जानकी जी के मंदिरों में श्री कृष्ण की मधुरम झूला लीला व गीतों का दर्शन हर वर्ष सावन के महीने में क्यों होता है... जब इसकी पड़ताल की गई तो ऐसे चैकानें वाले तथ्य मिले कि सामान्य तौर पर विश्वास नही होता। श्री राम की तपस्थली पर श्रीराम कथा के अमर गायक गोस्वामी बाबा तुलसीदास जी महराज ने ही श्रीकृष्ण की भक्ति का प्रचार किया था। आश्चर्यचकित करने वाला तथ्य है कि आज ज्ञान, वैराग्य, तप की इस भूमि में रास, रंग और श्रंगार गीतों के जरिए योगश्वर को झूला झुलाने के लिए हर एक संत के साथ आम आदमी बेकरार है।    


संत शिरोमणि तुलसीदास जी के बारे में एक कथा प्रचलित है कि वह चारो धाम के दर्शनों के लिए निकले थे, इसी दौरान वह वृन्दावन के निकट रूके हुये थे, तभी उन्हें स्थानीय जनसमुदाय ने बताया कि यह तो योगेश्वर श्री कृष्ण की नगरी है, आप भी बांकें बिहारी महराज के दर्शन करिये, इस पर संत ने कहा कि वे तो केवल श्री राम की भक्ति करते हैं, इसके अलावा कोई और देवता उन्हें स्वीकार्य नही है। लेकिन आतिथ्य के वशीभूत होकर वह बांके बिहारी मंदिर में पहुंचे तो वहां पर उन्होंने भगवान से कहा कि वे उन्हें तभी प्रणाम कर सकते हैं कि जब वे उन्हें श्री राम के रूप में दर्शन दें। इसी समय अकस्मात घटना हुई और योगेश्वर भगवान राम के रूप में परिवर्तित हो गये, और संत के मुंह से दोहा निकल पड़ा, ‘कित मुरली कित चंद्रिका किन गोपिन के साथ अपने जन के कारणे श्री कृष्ण भये रघुनाथ‘ इसके बाद संत तुलसीदास जी ने कहा कि श्री राम और श्री कृष्ण एक ही हैं और फिर उन्होंने श्री राम के साथ श्री कृष्ण भक्ति को अपने साथ जोड़ लिया।

दूसरी कहानी श्रीकामदनाथ पर्वत की है, जो विभिन्न ग्रंथों में देखी जाती है, श्रीहरि विष्णु और मां महालक्ष्मी श्री राम व मां जानकी रूप में चित्रकूट आये, और उन्होंने यहां पर आकर श्री कामदनाथ पर्वत पर अपनी पर्णकुटी का निर्माण किया। इस पर्वत उनके द्वारा महारास किये जाने की बात कई संत करते हैं। जगद्गुरू रामभद्राचार्य महराज कहते हैं श्री राम और मां जानकी ने यहां पर गुप्त रूप से 99 महारास किये। 99 वें महारास के अंतिम चरण में अचानक ऋषि और देवता भी आ गये, उन्होंने भगवान से महारास में सम्मलित होकर आनंद उठाने की बात कही तो भगवान ने उनसे कहा कि अगले अवतार उन्हें यह सुख मिलेगा। क्योंकि यह अवतार तो उनका मर्यादित स्वरूप के लिए है, एक ही पत्नी वृता होने का उन्होंने संकल्प लिया है। इसके अलावा वह किसी का वरण नहीं कर सकते हैं। अगला अवतार योगेश्वर श्री कृष्ण के रूप में होगा। वृन्दावन के कुंजों में उन्होंने देवताओं, गंधर्व, यक्ष व ऋषियों के साथ महारास को पूर्णता प्रदान की।

फिलहाल चित्रकूटधाम के लगभग सभी प्रमुख मंदिरों श्री कामतानाथ प्रमुख द्वार, निर्मोही अखाड़ा, चरखारी मंदिर, श्री रामायणी कुटी, संतोषी अखाड़ा, रघुवीर मंदिर, रामधाम सहित अन्य आश्रमों में इन दिनों झूला महोत्सव आयोजित होते दिखाई दे रहा है। हर मंदिर में माखनचोर के विग्रह के साथ ही बाल रूप में सजे बालक श्री कृष्ण व माता राधा के रूप में अपना वैभव विखेर रहे हैं। सावन की मधुर झरियांे के साथ बाहर से आये और स्थानीय कलाकार अपनी स्वर लहरियों का जादू बिखरे रहे हैं।



 

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