तैतीस वर्षो बाद मिला प्रभु श्री राम को न्याय
- सत्य प्रकाश मिश्रा, ब्यूरो चीफ सोनभद्र
सोनभद्र जनपद मुख्यालय स्थित राबर्ट्सगंज नगर के सबसे प्राचीनतम मन्दिर श्री राम जानकी मंदिर पन्नूगंज रोड विजयगढ़ टाकीज के सामने की सम्पत्ति के बाबत सन 1991 में कुछ लोभी प्रवित्ति के तथाकथित लोगों द्वारा मंदिर की संम्पति को हड़पने व मंदिर की व्यवस्था को लचर बनाने व उसपर अधिपत्य जमाने के नियत से सन 1991 में सिविल न्यायालय सोनभद्र में तत्कालिन महंत बाबा श्री ओमकार दास व अन्य लोगों के विरूद्ध मुकदमा संस्थित किया गया था। जिसमे बाबा ओमकार द्वारा नामित शिष्य श्री पुरूषोत्तम पाठक व उनके परिवारी जन को भी झूठे व बेबुनियाद तथ्यों के आधार पर प्रतिवादी बनाया गया था उक्त वाद में न्यायालय सिविल जज जूनियर डिवीजन कोर्ट नम्बर 2 सोनभद्र की पीठासीन अधिकारी (जज) श्री मति पारूल कुमारी उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा द्वारा स्व-उद्घोषित तथाकथित भक्तगणों व उपासकों के आरोपो को मिथ्या व मनगढ़ंत पाते हुए वाद खारिज किया जा कर उपरोक्त मन्दिर की पूजा पाठ, देखरेख व सुरक्षा व्यवस्था करने वाली संस्था श्री राम जानकी मंदिर न्यास के कार्य व व्यवस्थाओ को सुदृढ घोषित किया गया है।
राम जानकी मन्दिर न्यास व अन्य प्रतिवादी गण की तरफ से बतौर अधिवक्ता कार्य कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता श्री देव प्रताप सिंह एडवोकेट द्वारा बताया गया कि तथाकथित भक्तगणों की वास्तविक भक्ति की पोल न्यायालय द्वारा खोलते हुए उनकी द्वारा किये गए अभिकथन को पूर्ण रूपेण बेबुनियाद व आधारहीन घोषित करते कहा गया कि मंदिर परिसर में पूजा-पाठ करने या किसी धार्मिक अनुष्ठान में सम्मिलित होने में किसी भी सनातनी व्यक्ति को किसी भी प्रकार का कोई व्यवधान नही होता है साथ ही ट्रस्ट की व्यवस्था व रखरखाव के बाबत तथाकथित भक्तगणों को जानकारी लेना उन भक्त गणो को संदिग्ध बनाता है साथ ही किसी भी तथाकथित भक्त गण द्वारा कोई दास्तवेजी साक्ष्य पत्रावली में नही दाखिल किया गया सिर्फ मौखिक मिथ्या कथन को आधार बना कर किसी वास्तविक स्वामी के विरूद्ध कोई निर्णय पारित करना न्यायोचित नही होगा। आगे एडवोकेट श्री देव प्रताप सिंह ने बताया कि न्यायालय द्वारा यह भी स्पष्ठ किया गया कि पुरूषोत्तम पाठक जिसे बाबा ओमकार दास द्वारा नियमानुसार अपना शिष्य घोषित किया गया था तथा अपनी समस्त सप्पति का वारिस घोषित किया गया था के द्वारा भगवान राम जानकी मंदिर की समस्त संम्पति की व्यवस्था व देखरेख हेतु एक ट्रस्ट स्थापित किया गया जिसमें नगर के संभ्रांत व्यक्ति सामिल हुए जिनके कुशल निर्देश व इंतजाम व्यवस्था इत्यादि श्री राम जानकी मंदिर न्यास के बैनर तले वर्षो से संचालित होता रहा है उक्त मुकदमे में तथाकथित भक्तगणों द्वारा यह सिद्ध नही किया जा सका कि किस प्रकार से उनके पूजा पाठ या धार्मिक क्रिया कलाप में कोई व्यवधान ट्रस्ट द्वारा उत्पन्न किया जा रहा है इसलिए श्री रामजानकी मन्दिर न्यास व अन्य प्रतिवादियों के विरूद्ध कोई अनुतोष पाने के हकदार तथाकथित भक्तगण नही हैं इसलिए द्वारा 33 वर्षो से चलाया जा रहा बेबुनियाद मुकदमा खारिज किया जाता है।
उपरोक्त निर्णय आने के उपरांत श्री राम जानकी मंदिर न्यास के पदाधिकारी मन्दिर परिषर में उपस्थित हो कर एक दूसरे को बधाई देते हुए न्यास के अध्यक्ष श्री डा. श्री मार्कण्डेय राम पाठक द्वारा प्रभु श्री राम का पूजा-अर्चना कर प्रसाद अर्पित करते हुए उपस्थित सभी लोगों व आम जनों में वितरित किया गया साथ ही संबोधित करते हुए कहा गया कि
यत्र योगेश्वरो कृष्ण यत्र पार्थो धनुर्धर।
तत्र श्रीविजयोर्भूति धुवानीतिर्मतिः मम।।
उक्त अवसर पर श्री राम जानकी मंदिर न्यास के संरक्षक श्री मार्तण्ड प्रसाद मिश्र, व न्यास के प्रबंधक कोषाध्यक्ष आशुतोष पाठक, वरिष्ठ अधिवक्ता हेमनाथ द्विवेदी, उमापति पांडेय, देव प्रताप सिंह, विजय चतुर्वेदी, राकेश सरन मिश्र, डा. अमरनाथ देव पांडेय, जेबी सिंह, योगेश द्विवेदी, दिलीप कुमार, धीरज पांडेय, कमलेश मौर्य, अनिल पांडेय, कौशलेश पाठक, प्रभात सिंह, प्रदीप सिंह पटेल, दिनेश धर दुबे, शैलेन्द्र चैबे, सुधेन्दु भूषण शुक्ल, सरद गुप्ता, रामानंद पांडेय, विनोद श्रीवास्तव, राम अवध उपाध्यक्ष, कैलाश नाथ पाठक व अन्य लोग उपस्थित रहे।