पुराना चुंगीघर

- धीरेन्द्र सिंह परिहार

उस भयानक हादसे को लगभग मैं भूल ही चुका था जिसका शिकार बरसों पहले मेरा युनिवर्सिटी फ्रेन्ड अजय चक्रवर्ती हुआ था, पर जब संपादक जी ने मुझे पत्रिका के रहस्य-रोमांच विशेषांक के संपादन की जिम्मेदारी मुझ पर सौंपी तो मैंने अपने मित्र के साथ घटी रोंगटे खड़ी कर देने वाली इस घटना को प्रकाशित करने का फैसला किया। इस घटना की याद मुझे कालेज लाईफ की याद ताजा कर गई। 1979 मंे मैंने लखनऊ के राजकीय जुबली कालेज मे इण्टरमीडिएट मे एडमीशन लिया था। अजय चक्रवर्ती ने भी मेरे साथ ही मेरी क्लास मे एडमीशन लिया था अजय 17 साल का मध्यम कद काठी का गेहुंए रंग का स्वस्थ आकर्षक युवक था, वह हंसमुख पर शर्मीला अन्र्तमुखी कुछ संकोची स्वभाव का लड़का था जल्दी ही हम लोग गहरे दोस्त बन गये उसके पिता इलाहाबाद से ट्रान्सफर हो कर आये थे। हम लोग एक-दूसरे के घर आते-जाते थे हमारे परिवार भी आपस मे घुल मिल गये बी.ए. के बाद लाईब्रेरियन का कोर्स करके अजय इलाहाबाद की युनिवर्सिटी लाईब्रेरी मे लाईबे्ररियन हो गया मैंने ग्रेजूएशन करने के बाद कुछ दिन लखनऊ के स्वतंत्र भारत अखबार मे काम किया फिर दिल्ली की मशहूर क्राईम मैगजीन अपराध जगत का विशेष ब्यूरो चीफ बन गया जिदंगी मे व्यस्तता कुछ इस तरह बढी कि कई सालों तक अजय से मेरी मुलाकात नही हो सकी एक दिन अचानक मेरी मुलाकात कालेज लाईफ के ही एक अन्य इलाहाबाद वासी मित्र सुरेन्द्र सक्सेना से हो गई पुरानी बातों का सिलसिला चल पड़ा बातों ही बातों मे मैंने पूछा और बताओ अजय के क्या हाल-चाल है। अजय का नाम सुनकर वो बुरी तरह चैंका फिर हकलाता सा बोला तुम्हे उसके बारे मे पता नही क्या? क्यों क्या हुआ? उसकी तो पिछले साल मौत हो गई। क्या मै स्तब्ध रह गया दिमाग सुन्न हो गया कुछ देर बाद सामान्य होने पर मैंने पूछा क्या हुआ था उसे सुरेन्द्र बोला पूरी बात तो मैं भी नही जानता मामला समझ मे तो मेरे कुुछ नही आया पर उसकी मौत बड़ी रहस्यमय ढंग से हुयी थी सुरेन्द्र की बात सुनकर सच्चाई जानने की मेरी दिलचस्पी बहुत बढ़ गई उसके साथ कुछ अजीब घटनायें घट रही थीं उसे रात-बिरात अक्सर एक लड़की दिखाई देती थी जो किसी और को नही दिखती थी मुझे 1987 मे एक क्राईम स्टोरी कवर करने इलाहाबाद जाना पड़ा जानबूझ कर मैं तय कार्यक्रम से दो दिन अधिक रूक गया अगले दिन मैं अजय के घर सिविल लाइन्स गया उसके माता-पिता बेटे की असामयिक व दर्दनाक मौत से टूट गये थे उन्होंने बेहद बुझे मन से मेरा स्वागत किया अजय का जिक्र चलते ही वो बच्चों की तरह बिलख पड़े। अजय की मौत की जो कहानी उसके पिता ने मुझे सुनाई वो यह थी पढाई करने के बाद अजय अस्टिेंट लाईब्रेरियन हो गया कुछ ही महीनों मे उसने वेस्पा स्कूटर खरीद ली उन्हीं दिनों हमारे घर के सामने एक पंजाबी परिवार रहने आया रिटायर्ड मेजर जगजीत सिंह अरोड़ा उन्होंने सामने वाला बंगला खरीद लिया था, उनके परिवार मे पत्नी अमृता और एक बेटी मालिनी थी। मालिनी कान्वेंट एजूकेटेड मार्डन ख्यालों वाली बेहद खूबसूरत सुगठित शरीर ग्लैमरस लुक वाली लड़की थी चुस्त मार्डन ड्रेेेेेेेेेेेेसेस पहनना, फर्राटे से इंगलिश बोलना और तेज स्कूटर चालाना उसकी जिंदगी थी। वो किसी कम्पनी मे उच्च पोस्ट पर थी वो पूरे क्षेत्र मे चर्चा का विषय बन गई थी अजय की नजर जब मालिनी पर पड़ी तो वह ठगा सा रह गया मालिनी के सौन्दर्य ने उस पर जादू सा कर दिया अजय ने मालिनी से नजदीकी बढ़ाने की कोशिश भी की पर मालिनी ने अजय को जरा सा भी भाव नही दिया। जब भी अजय ने बात करने की कोशिश की तो मालिनी ने संक्षिप्त सा जवाब देकर टरका दिया अजय का एक तरफा प्यार धीरे-धीरे एक दिमागी बीमारी के रूप मे बदल गया उन्हीं दिनों सरकार ने स्पेस की कमी को देखे हुये युनिवर्सिटी लाईब्रेरी को शहर के बाहर इलाहाबाद शंकरगढ-रींवा रोढ पर स्थित नयी बिंिल्डंग मे शिफ्ट कर दिया। नई लाईबेरी मे काम का लोड बहुत था, अक्सर अजय को लौटते वक्त देर रात हो जाती थी सावन का महीना था बरसात की एक रात अजय को लाईब्रेरी से निकलते-निकलते रात के ग्यारह बज गये बाहर हल्की-हल्की बारिस हो रही थी अजय स्कूटर से घर आ रहा था उसने रेनकोट व रेन कैप पहन हुयी इलाहाबाद और लाईब्रेरी के बीच कई मील के इलाके मे फैला हुआ घना जंगल था वहाँ स्ट्रीट लाईट होने का सवाल ही नही था चारांे ओर घना अंधेरा और अंधेरे मे मीलों तक फैले पेड़ों के झुंड थे स्कूटी की धुंधली रोशनी मे अजय को दूर तक देखना मुशकिल हो रहा था रास्ते मे बांयी ओर एक पुराना खंडहरनुमा चंुगीघर का पड़ता था जो अब बंद हो चुका था दूर-दूर तक कोई नजर नही आ रहा था तभी उसने देखा कि रास्ते के बांयी ओर चुंगीघर के थोड़ा आगे कोई खड़ा है पास जाने पर उसे एक युवती खड़ी नजर आई उसने हलकी आसमानी रंग की साड़ी ओर मैचिंग ब्लाउज पहना था कंधे पर वर्किंग लेडी बैग था युवती ने हाथ से अजय को रूकने का इशारा किया अजय ने स्कूटर रोकी युवती को देख कर अजय चैंक गया क्यों कि युवती कोई और नही उसकी पड़ोसन मालिनी थी, मालिनी बोली अजय जी मैं यहाँ फंस गई हूँ। प्लीज आप मुझे घर तक ड्राप कर दीजिये आपकी बड़ी मेहरबानी होगी इसमे मेहरबानी की क्या बाता है यह तो मेरा फर्ज है, थैंक्स कह कर मालिनी बैक सीट पर बैठ गई अमित अपने नसीब पर बहुत खुश था उसकी मालिनी से कुछ भी पूछने की हिम्मत नही हुयी करीब पन्द्रह मिनट चलने के बाद उसे सामने से एक बेकाबू ट्रक आता नजर आया ना जाने क्या सोच कर अजय ने स्कूटर सड़क के किनारे रोक दी ट्रक गुजरने के बाद अजय ने पुनः स्कूटर स्टार्ट करना चाहा पर स्कूटर स्टार्ट नही हुआ वो स्कूटर चैक करने को उतरा तो सामने कुछ छोटी झाड़िया नजर आई उनके पार तीन पुरानी कबें दिखाई दी जिन्हें देखकर अजय को काफी डर गया अजय जैसे ही किक लगाने के लिये पीछे मुड़ा तो यह देख कर चैंक गया कि बैक सीट पर मालिनी नही थी वह चैंक कर घबरा गया उसने चारों ओर देखा मालिनी कही नही दिख रही थी चारों ओर तेज हवा के साथ बारिस हो रही थी वो बदहवास सा ताबड़तोड़ किक मारने लगा अचानक स्क्ूटर स्टार्ट हो गई उसने बेहताशा गाड़ी दौड़ा दी, आबादी मे प्रवेश करते ही उसका डर दूर हो गया वो घर आया और खाना खाकर सीधा सो गया अगले दिन लाईब्रेरी जाते समय उसे घर के सामने मालिनी दिखी अजय से उससे रात वाली घटना के बारे मे पूछना चाहा पर मालिनी ने उसे देखा भी नही और स्कूटर स्टार्ट करके चली गई उस दिन अजय का मन किसी काम मे नही लगा वो लगातार रात वाली बात के बारे मे सोचता रहा इसके कुछ दिन बाद की बात है अजय अपने स्टाफ के साथ शंकरगढ के वन क्षेत्र मे पिकनिक मनाने गया था वहाँ के तालाब मे कुछ लोग नहा रहे थे तभी तालाब से किसी लड़की की चीख सुनाई दी सब लोग उधर दौड़े वहाँ 10-12 लोग जमा थे अजय ने देखा एक लड़की पानी मे डूब रही थी पर उसे बचाने की किसी की हिम्मत नही हो रही थी अजय जो अच्छा तैराक था उसने आव ना देखा ताव तालाब मे कूद गया उसने लड़की के बाल पकड़े और उसे खींचता हुआ किनारे पर ले आया वह थककर पास मे बैठ गया प्राथमिक चिकित्सा के बाद लड़की होश मे आई पिकनिक पैकअप के बाद सब वापस लौटने की तैयारी करने लगे तभी अजय को किसी ने लड़की ने पीछे से आवाज दी सुनिये थैक्स यू वेरी मच अजय पलटा तो यह देखकर हैरान रह गया कि वह और कोई नही मालिनी थी जो बार-बार उसका शुक्रिया अदा कर रही थी आज आप ना होते तो मै जिंदा नही बचती उसने बताया कि वो एक बाॅटनिकल प्रोजेक्ट के सिलसिले मे ईधर आई है और फारेस्ट विभाग के गेस्ट हाउस मे ठहरी है। उसने अगले दिन अजय को मिलने को बुलाया इत्तिफाक से उस दिन अजय की छुटटी थीं दोनों ने सारा दिन एक साथ बिताया दोनों में हर तरह की ढेर सारी बाते हुयी फिर अक्सर दोनों की मुलाकातंे होने लगी एक दिन अजय ने मालिनी को प्रपोज कर दिया दिया जिसे मालिनी ने स्वीकार कर लिया पर बोली मेरे पापा बहुत स्ट्रिक्ट है। मैं मौका देखकर उनको राजी कर लूंगी अजय को एक बात पर हैरानी होती थी कि घर के आस-पास तो मालिनी उसे देखते भी नही थी और बाहर उसे पागलों की तरह प्यार करती थी तभी एक दिन अजय के साथ एक अजीब सी अविश्वसनीय घटना घट गई। जिसने उसे भीतर तक झिंझोड़ दिया एक दिन वो मालिनी के साथ बाजार मे घूम रहा था वहाँ सड़क के किनारे एक आदमी कई डिजाईन के आयने बेच रहा था तभी अजय की निगाह एक आयने पर पड़ी तो वह यह देख कर हैरान रहा गया कि आयने मे मालिनी तो दिख रही था पर वह खुद नही दिख रहा था उसने वहाँ मौजूद कई शीशांे पर नजर डाली तो सब मे केवल मालिनी का ही अक्स दिख रहा था पर वो नदारत था वो बुरी तरह घबरा गया किसी तरह मालिनी से बहाना करके बदहवास सा घर आया घर के आयने मे खुद को देखा वो सही सलामत नजर आ रहा थ उसने अपने घर वालों और स्टाफ के लोगों को यह बात बताई तो सबने उसे उसका वहम बताया इसके कुछ दिन बाद एक सुबह अजय अखबार पढते हुये चाय पी रहा था तभी उसकी नजर अखबार के पिछले पन्ने पर छपी एक खबर पर पड़ी ‘आयने के कारण युवक की रहस्यमय मौत’ खबर के अनुसार जाॅर्ज टाउन निवासी 35 वर्षीय कर्मचन्द्र तहसील मे अमीन था जो अक्सर मित्रों और परिजनो से शिकायत करता था कि आयने मे कभी-कभी उसकी सूरत गायब हो जाती है या अजीब से चेहरे या डरावने नजारे दिखाई देते है। घर वाले उसे उसकी बकवास और वहम बताते थे घर वालों ने उसे कई मनोचिकित्सकों को दिखाया उन्होने कर्मचन्द्र को पूरी तरह स्वस्थ बताया घटना वाली रात वह कई घंटों तक आयने के सामने बैठा ना जाने किससे बात करता रहा रात पत्नी जब उसे खाना के लिये बुलाने गई तो कर्मचन्द्र कुर्सी पर मृत पाया गया संवाददाता के अनुसार कर्मचन्द्र किसी दुष्ट प्रेतात्मा का शिकार बन गया था। 

अजय अखबार की कापी लेकर दैनिक लीडर के कार्यालय पहुँचा तो उसे तब बड़ी हैरानी हुयी जब संपादक ने उसे बताया कि ऐसी कोई खबर अखबार मे छपी ही नही है। सपंादक ने उसी तारीख का अखबार मंगवा कर दोनों अखबारों का मिलान किया तो दोनों अखबार हूबहू एक जैसे थे पर अजय के अखबार मे जिस जगह यह खबर छपी थी मूल अखबार मे उस जगह एक अगरबत्ती का विज्ञापन छपा था इस पहेली को सुलझाने मे अजय और संपादक दोनों नाकाम रहे। एक दिन अमित और मालिनी समाजिक बध्ंानों को तोड़कर एक दूसरे मे समा गये फिर यह सिलसिला आये दिन चलने लगा एक रात 3 बजे मां की नींद खुली तो उसने देखा की घर का दरवाजा खुला है। अैार अजय कमरे मे नही है सबने पूरा घर छान मारा पर अजय नही मिला सुबह अजय घर आया तो मां ने पूछा रात भर कहाँ रहा उसने कोई जवाब नही दिया और चुपचाप अपने कमरे मे जाकर सो गया जैसे वो गहरे सम्मोहन मे हो अगले दिन जब मां ने पूछा तो उसने कहा कि वो कहीं नही गया था वो तो कमरे मे सो रहा था। रात की कोई बात उसे याद नही थी अब वो रात मे अक्सर गायब रहने लगा ओर उसका स्वास्थ तेजी से गिरने लगा एक रात पुलिस ने घर का दरवाजा खट खटाया पिता ने दरवाजा खोला सामने पुलिस खड़ी थी पूछने पर इन्सपैक्टर ने बताया कि गश्ती पुलिस ने अजय को नेहरू पार्क की बेंच पर अर्ध बेहोशी की हालत मे पकड़ा है वो बेंच पर ऐसी हरकत कर रहा था कि मानों वो किसी के साथ संभोग कर रहा हो पर हैरानी की बात है कि वहाँ दूसरा और कोई नही था पिता द्वारा सख्ती से पूछने पर अजय ने जो बताया उसे सुनकर सबके रोंगटे खड़े हो गये उसने बताया कि वो और मालिनी एक दूसरे से प्रेम करते है उन दोनों के शारीरिक संबध भी है वो उसे रात मे बुलाती है। और संबध बनाती है यह जान कर अमित के पिता शादी का प्रस्ताव लेकर मेजर अरोड़ा के घर गये तो मालिनी ने स्पष्ठ बताया कि वो तो अजय को ठीक से जानती भी नही है। मिलना तो बहुत दूर की बात है और मालिनी की माँ ने बताया मालिनी रोज उनके रूम मे साथ ही सोती है। 

रात मे बाहर जाने का सवाल ही नही उठता है मालिनी ना कभी अजय से मिली ना उससे कोई बात की मामला बड़ा टेढा था अजय के एक पड़ोसी सुधाकंात बाजपेई ने अजय के पिता से कहा चक्रवर्ती जी मुझे तो यह मामला भूत-प्रेत का लगता है। आप इस मामले मे जरा भी देर ना करें तुरंत इसे किसी तांत्रिक को दिखायें अगर आपने जरा भी लापरवाही की तो बेटे की जान से हाथ धो बैठेगे उन्होंने अजय को रीवां के मशहूर तांत्रिक दुर्गा जी के भक्त प. दिवाकर शर्मा पूजापाठी को दिखाने की सलाह दी चक्रवर्ती साहब अगले दिन ही टेªन से पत्नी व अजय समेत रीवां को चले बरसात का मौसम था शाम का समय हलकी हलकी बारिस हो रही थी टेªन ने अभी इलाहाबाद की सीमा पार ही की थी अजय जो खिड़की के पास बैठा था अचानक खिड़की के बाहर इशारा करता हुआ चीखने लगा देखों मां मालिनी मेरे साथ चल रही है। कहाँ बेटा वो देखो खिड़की के बाहर हवा मे उड़ रही है। अमित बार-बार चिल्लाता रहा पर माता-पिता और टेªन की अन्य सवारियों को कुछ ना दिखा अचानक चीख कर अजय बेहोश हो गया मां-बाप रोने लगे और जब टेªन रीवां पहुँची तब तक अजय दूसरी दूनिया मे जा चुका था।

रहस्य-रोमांच कहानी के पात्र व स्थान पूर्णतः काल्पनिक है।





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