गत जन्म नाड़ी पाॅमिस्ट्री के अनुसार

- डा. डी एस परिहार, नाड़ी पाॅमिस्ट 

पिछले साल लंदन मे कीरोलाॅजिकल सोसाईटी आॅफ ब्रिटेन की जो एनशिएंट पाॅमिस्ट्री पर कान्फ्रेन्स हुयी थी उसमे एक कीरोलाॅजिकल स्टडी मे एक नई बात निकलकर आई थी जिसमे बंगाल के पाॅमिस्ट अमित भटटाचार्य ने भृगु संहिता व नाड़ी पाॅमिस्टी पर आधारित एनशिएंट इंडियन एस्टो पाॅमिस्ट्री पर एक रिसर्च पेपर पेश किया था जो उनकी रिसर्च टीम ने गु्रप स्टडी के बाद तैयार किया था बाद मे श्री भट्टाचार्य जी ने मुझे वह पेपर इलाहाबाद मे दिखाया और एक प्रति मुझे दी प्राचीन नाड़ी पाॅमिस्ट्री (इसका कुछ वर्णन मशहूर नाड़ी लेखक आर.जी. राव जी ने अपनी पुस्तक नेटल चार्ट फ्राम पाॅम, प्रकाशक, सागर पब्लिकेशन मे किया है।) के अनुसार हाथ प्रमुख रेखाओं का ग्रहों से संबध निम्न संबध है। भृगु संहिता पर आधारित दुर्लभ और अप्राप्य ग्रन्थ भृगु संकेत निधि के अनुसार पर्वत व रेखाओं के विभिन्न चिन्ह विभिन्न ग्रहों का प्रतिनिघित्व करते है। यह इस विषय पर हिन्दी मे लिखा गया संसार का पहला लेख है।

  आधुनिक नाम प्राचीन नाम ग्रह

1. हृदय रेखा गुरू रेखा         गुरू

2. मस्तक रेखा मंगल रेखा मंगल

3. जीवन रेखा शुक्र रेखा शुक्र 

4. सूर्य रेखा उध्र्व लाईन सूर्य

5. भाग्य रेखा शनि रेखा शनि

6. स्वास्थ रेखा बुध रेखा बुध

7. लहराती रेखा             सर्पाकार रेखा  राहू

8. द्विजीवी रेखा दो मुखी रेखा    केतु

पर्वतों पर चिन्ह         ग्रह

1. वर्ग                 गुरू

2. नक्षत्र        सूर्य

2. त्रिभुज सीधा        मंगल

3. उल्टा त्रिभुज         शुक्र

5. क्रास                 राहू

या उस पर्वत का शत्रु ग्रह।

6. खड़ी रेखा उस पर्वत या रेखा का मित्र ग्रह 

व गुरू (शुक्र गुरू का वर्तमान मे गोचर पंचाग मे देखें)

7. आड़ी रेखा उस पर्वत या रेखा का शत्रु ग्रह

8. द्वीप राहू/केतु 

(द्वीप स्त्रिी जातक मे केतु को पुरूष जातक मे राहू को बताये) 

9. जंजीरवत रेखा केतु

10. बिंदू/गढढा         राहू

11. लाल तिल         केतु मंगल

12. तिल काला राहू

13. उध्र्वगामी रेखायें गुरू/मित्र 

14. निम्नगामी रेखायें शनि/शत्रु ग्रह

ज्योतिष के अनुसार कुंडली मे बने ग्रहों के शुभ अशुभ योग जातक के गत जन्म मे किये गये पुण्यों और पापी कर्मो के प्रतीक होते है। शुभ ग्रह योग बताते हें कि जातक ने गत जन्म मे उस भाव के या ग्रह के कारक वस्तुओं पशुओं पेड़ पौधों संबधियों मित्र व स्थानों के साथ शुभ कर्म किये थे जिसका फल जातक को धन दीर्घायु पति पुत्र पुत्री पत्नी धन वाहन संपति सौभाग्य के रूप मे मिलता है। तथा पापी ओर अशुभ ग्रह योग बताते हैं कि जातक ने गत जन्म मे उस भाव के या ग्रह के कारक वस्तुओं व्यक्तियों पशुओं पक्षियों पेड़ पौधों संबधियों शत्रु व स्थानों के साथ भयंकर पाप कर्म किये थे जिसका फल जातक को रोग शत्रुता असफलता निर्धनता संतानहीनता, परिजनों की असामयिक मृत्यु अनेक प्रकार के दुर्भाग्य के रूप मे मिलता है। मनुष्य के शरीर के प्रत्येक अंग की बनावट तथा हाथ की विभिन्न रेखाओं की सुुंदर या विकृत बनावट या पर्वतों पर स्थित शुभ अशुभ चिन्ह भी उसके गत जंम के अच्छे या बुरे कर्मों के अनुसार ही बनती है। किसी प्रमुख रेखा या पर्वत के जिस भाग पर कोई शुभ या अशुभ चिन्ह है उस भाग की राशि मे शुभ ग्रह या अशुभ ग्रह जमांक मे स्थित होता है नाड़ी शास्त्र के अनुसार उस राशि से त्रिकोण राशि मे जब कोई शुभ गुरू, शुक्र बुध गोचर करेगा तो वह शुभ लाभकारी घटना घटेगी या उस ग्रह से संबधित वस्तुओं का जातक का लाभ होगा और अशुभ ग्रह शनि राहू केतु का गोचर जातक को हानि रोग दुर्भाग्य मुकदमा पतन घाटा देगा मित्र ग्रह का गोचर लाभ देगा और शत्रु ग्रहों का गोचर हानि देगा हस्त रेखा व गत जंम के पाप यदि सूर्य पर्वत या सूर्य रेखा पर अशुभ चिन्ह क्रास तिल द्वीप जाल हो तो हो तो जातक ने भगवान पुत्र पिता राजा अधिकारी शिवजी और गरूड़ के प्रति अपराध किया है अतः जातक को इनका शाप लगता है यदि अशुभ चिन्ह चन्द्राकृति क्रास तिल द्वीप जाल चन्द्रमा पर्वत या चन्द्र पर्वत की रेखाओं पर हो हैं तो माता या तालाब कुंआ नदी तालाब जेठानी बड़ी बहन सास कोई माता समान महिला तीसरी पत्नी या किसी सधवा स्त्री के मन को दुःखी करने के कारण या देवी के प्रति पाप के कारण इनका शाप लगा है यदि मंगल पर्वत या मस्तक रेखा पर अशुभ चिन्ह चन्द्राकृति क्रास तिल द्वीप जाल हो तो दूसरा छोटा भाई व पहला पति खुला शत्रु अपराधी पति देवर व्यापारी साहूकार ब्रह्मचारी ग्राम देवता या भगवान कार्तिकेय के प्रति अवज्ञा या भाई-बन्धुओं का शाप लगता है यदि अशुभ चिन्ह चन्द्राकृति क्रास तिल द्वीप जाल बुध पर्वत या स्वास्थ रेखा या बुध पर्वत की रेखाओं पर बुध है तो गत जन्म में मित्र द्वितीय पत्नी तीसरा छोटा भाई या तीसरी छोटी बहन छोटे बालक बालिका मामा-मामी, मौसी-मौसा, मौसेरा ममेरा भाई मित्र संबधी ससुर गर्लफ्रेन्ड या ब्वायफ्रेन्ड बिल्ली के मारने के कारण या पौधे खेत बगीचे मछलियों के या अन्य  प्राणियों के अण्डों को नष्ट करने के कारण या बालक-बालिकाओं का शाप लगा है यदि बृहस्पति पर्वत या हृदय रेखा पर अशुभ चिन्ह चन्द्राकृति क्रास तिल द्वीप जाल हो तो तो जातक ने गत जन्म में या पूर्व जन्म में फलदार वृक्षों को कटवाया है या पंडित शिक्षक द्वितीय पति गुरू उच्चधिकारी से द्रोह किया है शुक्र पर्वत या विवाह रेखा या शुक्र पर्वत की रेखाओं अशुभ चिन्ह चन्द्राकृति क्रास तिल द्वीप जाल हो तो पुष्प के वृक्षों को कटवाने के कारण या गाय के प्रति कोई अपराध करने के कारण या किसी पत्नी पुत्री दूसरी छोटी बहन पुत्र वधु या कोई युवती साली पुत्री पोती साध्वी स्त्री के शाप से सन्तान उत्पन्न नहीं हो रही है या सन्तान नष्ट हो जाती है यक्षिणी का शाप भी इसका कारण माना गया है। यदि शनि पर्वत पर या भाग्य रेखा पर अशुभ चिन्ह हैं तो गत जन्म में पीपल का पेड़ कटवाने के कारण या पिशाच, प्रेत या यमराज नौकर शूद्र बड़े भाई अधीनस्थ कर्मचारी तीसरा पति के प्रति अपराध के कारण इनका के शाप से दुर्भाग्य व हानि का योग बना है। यदि हथेली के मध्य राहु पर्वत या किसी सर्पाकार रेखा पर कोई अशुभ चिन्ह हो तो बाबा, मुस्लिम या सिख क्लाईंट मित्र खुला व छुपा शत्रु अपराधी अति वृद्ध मुस्लिम व्यक्ति या मुस्लिम मजार दरगाह वीरान स्थान खंडहर तंत्र क्रिया करने या गत जन्म में सर्पों के प्रति अपराध करने के कारण उनका शाप मिला है। किसी द्विमुखी रेखा या चन्द्र पर्वत व शुक्र पर्वत के मध्य व मणिबंध के मध्य केतु क्षेत्र मे अशुभ चिन्ह हैं तो सर्प मुर्गा रेंगने वाले जीव नहर किसी की नाली बंद करने वनवासी अजनबी साधू अत्याचारी नाना-नानी या ब्राह्मण के प्रति अपराध करने किसी पर तंत्र क्रिया करने से केतु नाराज हो जाते है। नाड़ी पाॅमिस्ट्री मे नेचुरल हाॅरोस्कोप का प्रयोग किया जाता है। मेष राशि प्रथम भाव वृष राशि द्वितीय भाव मिथुन राशि कर्क राशि चतुर्थ भाव सिंह राशि पंचम भाव कन्या षष्ठ भाव तुला राशि सप्तम भाव वृश्चिक राशि अष्ठम भाव धनु राशि नवम भाव मकर राशि दशम भाव कुंभ राशि लाभ भाव मीन राशि द्वादश भाव है। हर राशि से 8 वी राशि पहली राशि की वस्तुओं उससे संबधित कारकों संबधियों स्थानों के लिये मृत्युकारी व विनाशकारी होती है। उन राशि का स्वामी ग्रह अष्ठमेश होता है तथा जो पहली राशि के ग्रह का शत्रु ग्रह तथा मृत्यु कारक व विनाशकारी होता है। तथा त्रिकोण राशियां व उनके स्वामी ग्रह शुभ घटनायें देेते हंै। जैसे कन्या राशि से 8 वीं राशि मेष कन्या कन्या राशि के लिये मृत्युकारी होती है तथा मंगल उस का अष्ठमेश ग्रह होगा यदि मंगल पर्वत या मंगल ग्रह की रेखा मस्तक रेखा पर कोई अशुभ ग्रह हो तो वह कन्या राशि छठे भाव की वस्तुओं संबधियों तथा बुध ग्रह की वस्तुओं संबधियों को नुकसान करेगा जैसे शिक्षा मानसिक स्वास्थ मित्र छोटे भाई-बहन, छोटे बालक, शिक्षक, विद्यार्थी, जमीन व्यापार ठगी संचित घन ससुर, मामा-मामी, मौसा-मौसी से हानि देगा या इनका विनाश होगा क्यों कि मंगल बुध की राशियों का अष्ठमेश होगा उपरोक्त तथ्यों के आधार पर बुध पर्वत और बुध रेखा के रेखा अशुभ चिन्ह जातक के अलावा सूर्य की वस्तुओं जैसे पिता राजा पुत्र को हानि या उनके द्वारा हानि देगें शनि पर्वत या भाग्य रेखा के अशुभ चिन्ह जातक के अलावा चन्दमा की वस्तुओं जैसे माता या तालाब कुंआ नदी तालाब जेठानी बड़ी बहन सास कोई माता समान महिला तीसरी पत्नी या किसी सधवी स्त्री को हानि या उनके द्वारा जातक को हानि देंगें बुध पर्वत और बुध रेखा के अशुभ चिन्ह जातक के अलावा मंगल की वस्तुओं जैसे दूसरा छोटा भाई व पहला पति खुला शत्रु अपराधी पति देवर व्यापारी साहूकार ब्रह्मचारी को हानि या उनके द्वारा जातक को हानि देगें मंगल पर्वत और मस्तक रेखा के अशुभ चिन्ह जातक के अलावा बुध की वस्तुओं जैसे मित्र द्वितीय पत्नी तीसरा छोटा भाई या तीसरी छोटी बहन छोटे बालक बालिका मामा-मामी, मौसी-मौसा मौसेरा, ममेरा भाई मित्र संबधी ससुर गर्लफ्रेन्ड या ब्वायफ्रेन्ड बिल्ली के मारने के कारण या पौधे खेत बागीचे मछलियों के या अन्य प्राणियों के अण्डों को नष्ट करने के कारण या बालक-बालिकाओं को हानि या उनके द्वारा हानि देगे शुक्र पर्वत और जीवन रेखा के रेखा अशुभ चिन्ह जातक के अलावा गुरू की वस्तुओं जैसे फलदार वृक्षों को कटवाया है या पंडित शिक्षक द्वितीय पति पुत्र को हानि या उनके द्वारा हानि देंगें गुरू पर्वत और हृदय रेखा के अशुभ चिन्ह जातक के अलावा शुक्र की वस्तुओं जैसे पुष्प के वृक्षों गाय पत्नी पुत्री दूसरी छोटी बहन पुत्र वधु या कोई युवती साली पुत्री पोती साध्वी स्त्री पिता राजा पुत्र को हानि या उनके द्वारा हानि देंगें सूर्य व चन्द्र पर्वत और सूर्य रेखा चन्द्र रेखा व मस्तक रेखा के अशुभ चिन्ह जातक के अलावा शनि राहू की वस्तुओं जैसे बाबा, मुस्लिम या सिख क्लाईंट मित्र खुला व छुपा शत्रु अपराधी अति वृद्ध मुस्लिम व्यक्ति या मुस्लिम मजार दरगाह वीरान स्थान खंडहर तंत्र क्रिया करने या गत जन्म में सर्पों को हानि या उनके द्वारा हानि देंगें बुध पर्वत और स्वास्थ रेखा के अशुभ चिन्ह जातक के अलावा केतु की वस्तुओं जैसे सर्प मुर्गा रेंगने वाले जीव नहर किसी की नाली बंद करने वनवासी अजनबी साधू अत्याचारी नाना नानी या ब्राह्मण के प्रति अपराध करने किसी पर तंत्र क्रिया को हानि या उनके द्वारा हानि देंगे किसी भी ग्रह के त्रिकोण ग्रह पहले ग्रह के मित्र होते है। जैसे सूर्य चन्द्र मंगल गुरू व केतु परस्पर मित्र ग्रह है। तथा सूर्य रेखा मस्तक रेखा, चन्द्र पर्वत की रेखायें हृदय रेखा आदि परस्पर मित्र है। इन पर्वतों व इन रेखाओं के शुभ चिन्ह जातक को उपरोक्त ग्रहों की वस्तुओं का लाभ देते है। इसी तरह शनि बुध शुक्र व राहू परस्पर मित्र ग्रह है। तथा भाग्य रेखा स्वास्थ रेखा जीवन रेखा व शुक्र पर्वत व राहू क्षेत्र की रेखायें परस्पर आदि परस्पर मित्र है। इन पर्वतों व इन रेखाओं के शुभ चिन्ह जातक को उपरोक्त ग्रहों की वस्तुओं का लाभ देते है। उपरोक्त शुभ अशुभ घटनाओं के समय के लिये पाॅमिस्टी गोचर की विधी का उपयोग करें।




 

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