तूलिका से बिखेरे हिमालय के रंग

- संदीप रिछारिया

दिल्ली। हिमालय के पारिस्थितिकी तंत्र और क्षेत्र के संरक्षण के उद्देश्य से हर साल 9 सितंबर को हिमालय दिवस मनाया जाता है। हिमालय न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के लिए शक्ति का स्रोत और बहुमूल्य विरासत है। हिमालय औषधीय पौधों का एक स्रोत है जो गंगा के पानी को विशेष बनाता है और न केवल गंगा बल्कि कई छोटी नदियों को जीवन देता है। हिमालय को वैज्ञानिक ज्ञान के साथ-साथ प्रमुख सामुदायिक भागीदारी से संरक्षित किया जा सकता है। 

हिमालय के महत्व पर जागरूकता बढ़ाने के लिए, एनएमसीजी ने जलज अवेयरनेस एंड मार्केट सेंटर, दिल्ली हाट, आईएनए में हिमालय की थीम पर आधारित 2 दिवसीय लाइव पेंटिंग कार्यशाला का आयोजन किया है।

चित्रकला कार्यशाला में विभिन्न कलाकारों, स्कूली छात्रों, गंगा विचार मंच के स्वयंसेवकों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

अर्थ गंगा के तहत एनएमसीजी ने नमामि गंगे गतिविधियों और गंगा बेसिन के लोगों द्वारा निर्मित-उत्पादित उत्पादों की बिक्री के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली हाट में एक जलज जागरूकता और विपणन केंद्र की स्थापना की है। गंगा विचार मंच के राष्ट्रीय संयोजक डा. भरत पाठक जी ने बच्चों के द्वारा किए जा रहे पेंटिंग्स को देखा एवं सराहा गया, डा. पाठक ने NMCG के महा निदेशक जी का आभार व्यक्त किया, भरत पाठक जी के अनुरोध पर राज्यसभा सदस्य सुश्री कविता पाटीदार जी ने नमामि गंगे स्टाल का दौरा किया और छात्रों को प्रोत्साहित किया और एनएमसीजी द्वारा आयोजित पेंटिंग प्रतियोगिता की सराहना की।



 

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

जन्म कुंडली में वेश्यावृति के योग

पक्षी आपका भाग्य बदले

भृगु संहिता के उपचार