दीपावली में दुल्हन की तरह सजा चित्रकूट, भगवान श्रीराम की तपोभूमि में दीपावली का भव्य आयोजन,40 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दीपदान कर कामदगिरि पर्वत की पूजा-अर्चना की।
- डी.एस. परिहार हमारे समाज का बेहद कड़वा सच है वैश्यावृत्ति। कानून के प्रतिबंध के बावजूद भी वैश्यावृत्ति का व्घ्यापार सभी जगह खूब फलता-फूलता है। ग्रहों की दशा का प्रभाव भी महिलाओं के देह मंगल और शुक्र ऐसे दो ग्रह है, जब इनकी युति बनती है तो वैवाहिक जीवन तो डिस्टर्ब होता ही है, साथ ही गैर महिला के प्रति पुरूषों का आकर्षण बढ़ता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, कुंडली में ग्रहों का खास योग किसी महिला को वेश्यावृत्ति की ओर धकेल सकता है। यही नहीं, ऐसे ज्यादातर मामलों में महिला को उसके प्रेमी द्वारा बहला-फुसलाकर देह व्यापार के गंदे धंधे में धकेल दिया जाता है। यदि कुंडली में प्रेम प्रसंग और धोखेबाज प्रेमी का योग हो, महिलाओं के व्यापार में फंसने का ज्योतिषीय कारण होता है। ग्रहों की निम्न विशेष स्थिति में महिलाएं देह व्घ्यापार करने पर मजबूर हो जाती हैं। 1. जिस युवक युवती की कुंडली में चैथे भाव में शुक्र तथा मंगल इकट्ठे होंगे , तो वह अत्यधिक कामुक होगा । किसी नजदीकी सम्बन्धी से सेक्स सम्बन्ध होने के कारण उसका अपना ग्रहस्थ जीवन डंावाडोल होता है। चतुर्थ भाव सुख स्थान का है । 2.-जिसकी कुंडली में चैथे
- डी.एस. परिहार मनुष्य का जीवन अपने आसपास के वातावरण से ही प्रभावित होता है। व्यक्ति के आस-पास के पशु पक्षी उसके जीवन का अभिन्न अंग है। भारतीय ऋर्षियों तथा संसार के अध्यात्मवादियो ने संसार के पक्षियों को ना केवल ज्योतिष तथा मनुष्य के भाग्य से जोड़ा है। बल्कि पक्षियों को उपयोग शकुन ज्योतिष, फलित तथा प्रष्न ज्योतिष तथा अनेकों ज्योतिष, तांत्रिक उपचारों और शारीरिक मानसिक रोगों के निवारण में किया है। भारत मे पंच प़क्षी शास्त्र, कल्ली पुराण पर आधारित तोते द्वारा भविष्यवाणी, पक्षी तंत्र तथा शकुन ज्योतिष का प्रयोग आदिकाल से ही किया जाता है भारत मे गरूड़ जी, नीलकंठ, काकभुषुंडी,, हंस, जटायु व संपाती, शुकदेव जी आदि दिव्य पक्षियों तथा अनेक देवी देवताआंे वाहन के रूप मे पक्षियों को प्रयोग किये जाने का वर्णन है। जैसे भगवान विष्णु का गरूड़, कार्तकेय जी का मयूर, माता लक्षमी का उल्लू, विश्वकर्मा, वरूण जी तथा स्वरसती जी का हंस आदि शनिदेव का कौआ आदि का प्राचीन काल मे पक्षियों द्वारा डाक सेवा युद्ध संबधी शकुन का भी काम लिया जाता था पक्षियों को स्वतंत्रता, नवीन विचारों, आनंद, तनाव, मुक्ति, प्रषंसा, यष, धन्यवा
- डी.एस. परिहार ब्रह्मा जी के मानस पुत्र ज्योतिष शास्त्र के महान प्रवर्तक महर्षि भृगु जी ने पीड़ित मानवता के उद्धार हेतु अपनी अतीन्द्रिय क्षमता और भगवान विष्णु द्वारा प्राप्त दिव्य दृष्टि से सतयुग में समुद्र मंथन के पूर्व भृगु संहिता नामक विशाल ग्रन्थ लिखा था। बनारस के भृगुशास्त्री स्व. ब्रह्म गोपाल भादुड़ी के अनुसार भृगु संहिता जन्मतः, प्रश्न विज्ञान, स्वर विज्ञान और गर्भाधान लग्न पर आधारित है। हांलाकि कई आधुनिक ज्योतिषी, ज्योतिषी उपचारों पर विश्वास नही करते हैं। किन्तु यह भी सच है। कि कर्म और पूर्व जंम पर आधारित ज्योतिष के अनेक प्राचीन ग्रन्थों मे जैसे बृहत पाराशर होरा शास्त्र, प्रश्न मार्ग, कर्म विपाक संहिता, नाड़ी ग्रन्थ, रावण संहिता व भगु संहिता आदि में पश्चाताप स्वरूप पूर्व जंम मे किये गये पापों से मुक्ति के लिये विभिन्न उपचारों, कर्मकाण्डों, मंत्रोपचारों, देवदर्शन, देवपूजन, व्रत, दान औषधि प्रयोग का वर्णन है। आज भृगु संहिता एक दुर्लभ और अप्राप्य ग्रन्थ है। मेरठ, प्रतापगढ व होशियारपुर के अलावा कही नही पाया जाता है। इस ग्रन्थ में मंगली दोष, साढे साती शनि, शनि दोष, मारकेश की दशा का वर्