कितने बेचारे है एमपी चित्रकूट के रहवासी

आज तक सड़क तक तो बनी नहीं, बस अयोध्या जैसा विकास कराने का सपना दिखा रहे है

- संदीप रिछारिया

आंख खोलकर देखे तो आज एकादशी का पर्व है। वास्तव में चित्रकूट के निवासियों के लिए यह यहां का सबसे बड़ा पर्व है। छोटी या बड़ी अमावस्या हो या फिर बड़े पर्व यूपी के चेहरे चमकते दिखाई देते है तो एमपी के चेहरे बेजान से नजर आते है। इसका कारण है कि यूपी का चित्रकूट चमक रहा है। पिछले 8 साल में सड़क, पानी, बिजली के साथ भव्य गेट सहित अन्य काम हुए है। पिछले कुछ साल से दीपावली और अन्य त्योहारों पर भी यूपी में रौनक ज्यादा दिखाई देती है। रामघाट, सड़क, परिक्रमा में सफाई की व्यवस्था एमपी की अपेक्षा बेहतर रहती है। अतिक्रमण विरोधी अभियान में भी वास्तविकता दिखाई देती है। यूपी में जहां पक्के निर्माण ध्वस्त किए गए, वही एमपी में न केवल सड़क पर बल्कि परिक्रमा मार्ग पर अतिक्रमण कारी खुले आम प्रशासन को मुंह चिढ़ा रहे है। अपराध की बात करे तो मादक पदार्थों की बिक्री और देहव्यापार भी एमपी में खुले आम हो रहा है। कई बार एमपी के होटलों में नगर बधुओं को पकड़कर थाने से छोड़ा गया है। मादक पदार्थों की बिक्री और देहव्यापार यूपी में भी एक दो जगहों पर चोरी छिपे होती है, लेकिन होटलों में पाया जाना कभी सुना नहीं गया है। वैसे इस कुव्यवस्था पर जब एमपी के अधिकारियों से बात की जाती है तो उनकी बेचारगी भी दिखाई देती है। वे कहते है कि भैया यूपी में तो चित्रकूट जिला मुख्यालय का भाग है। रोज डीएम कमिश्नर खड़े रहते है। एमपी का चित्रकूट तो गांव से बदतर है। थाना है तो 16 सिपाही है, एक ईओ और एक अदद अल्प कालिक एसडीएम, अब बताइए जहां यूपी में डीएम, दो एडीएम, चार एसडीएम, एसपी से लेकर ए ग्रेड की नगर पालिका हो, वहां हम क्या मुकाबला कर सकते है। उन्होंने कहा कि हमारे सीएम भी झूठ बोलने की महीने है, पहले शिवराज जी ने खूब विकास का झूला झुलाया, अब वही काम पिछले साल से मोहन कर रहे है, आज तक सड़क तक तो बनी नहीं, बस अयोध्या जैसा विकास कराने का सपना दिखा रहे है।



 

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