ग्रह और हस्त रेखा के चिन्ह
- डी.एस. परिहार
हस्त रेखा मे अक्सर पर्वतों पर या रेखाअें के प्रारंभ, मध्य और अंत में अनेकों प्रकार के चिन्ह पाये जाते हैं। जिनका प्राचीन व आधुनिक दोनों ग्रन्थों मे वर्णन पाया जाता है। इसी तरह कई लघु प्रभाव रेखाये भी पायी जाती है। जो भी विभिन्न ग्रहों से संबधित होती है। इन चिन्हों और लघु रेखाओं का नव ग्रहों से क्या संबध है। इसका साहित्य ना के बराबर पाया जाता है। लेखक ने अनेक प्राचीन व आधुनिक ग्रन्थों के अध्ययन के आधार पर निम्न सूत्र पाये है।
हस्तरेखा के शुभ चिन्ह शुभ ग्रह शुक्ल पक्ष का बली चन्द्रमा, बुध, शुक्र व गुरू ग्रहों के प्रतीक होते है। तथा अशुभ चिन्ह पाप व अशुभ ग्रहों मंगल शनि राहू व केतु के चन्द्रमा, बुध, शुक्र के प्रतीक होते है। जिनका वर्णन नीचे किया जा रहा है।
ग्रह चिन्ह
सूर्य नक्षत्र या वर्ग
चन्द्र द्वीप, सीधा या उल्टा अर्ध चन्द्र या प्रिन्ट मे धब्बे बिलकुल सीधी रेखा कोई धुंधली रेखा
मंगल सीधा त्रिभुज त्रिशूल तिराहा जैसी रेखा टेढा क्रास कांटेदार या आरीनुमा रेखा
बुध कोई रेखा अचानक उपर उठ कर पर्वताकार हो जाये या नीचे धंस कर उल्टे पर्वत जैसी हो जाये
ृृ गुरू वर्ग, मछली
शुक्र कमल उल्टा त्रिभुज सीप नेत्र क्रास
शनि आड़ी रेखा टूटी रेखा
राहू सीधा क्रास गोलाकृति सर्पाकार रेखा दो मुही रेखा, चैराहा, जाल या जाली फंदा।
केतु वी शेप चिंह, कोण, जाली दो मुँही रेखा या दोराहा, जंजीरवत रेखा कांटेदार या आरीनुमा रेखा फंदा,
नोट:- राहू पर्वत, शनि, बुध, शुक्र पर्वतों पर या सर्पाकार द्विमुखी रेखा पर, भाग्यरेखा, स्वास्थ रेखा, विवाह या बुध पर्वत की रेखा या जीवन रेखा पर वर्ग गुरू ग्रह का चिन्ह है। जबकि सूर्य, पर्वत व सूर्य रेखा चन्द्र पर्वत पर मंगल पर्वत व मस्तक रेखा या मंगल रेखा हृदय रेखा व गुरू पर्वत पर वर्ग सूर्य का प्रतीक हैं। जातक ग्रन्थों के अनुसार राहू बंधन का कारक ग्रह है। बहेलिया, शिकारी, मछुवारे व शत्रु जाल फेंक करे पशु-पक्षियों मछलियों व मनुष्यों को कैद करते है। कई जातक ग्रन्थों मे राहू के कारकों मे जाल का उल्लेख है। पतली लंबी चीजों जैसे तार रस्सी नाली गली नहर केचुयें, सर्प जंजीर केतु के अन्र्तगत आती है। आरी, कांटा केतु व मंगल के अन्र्तगत आता है।
अतः कांटेदार या आरीनुमा रेखा मंगल प केतु मे आती हैै बाईबिल का पेंटाक्ंिल या स्टार आफ सोलोमन पांच तत्वों को बताता है। अग्नि, जल, पृथ्वी, वायु व आकाश या ईथर या स्प्रिट। सीधा त्रिभुज अग्नि ग्रह मंगल, सूर्य व केतु का कारक ग्रह है। उल्टा त्रिभुज जल शुक्र व चन्द्रमा का उल्टा आड़ी रेखा से कटा त्रिभुज पृथ्वी तत्व के ेग्रह बुध का सीधा आड़ी रेखा से कटा त्रिभुज वायु तत्व के ग्रह शनि व राहू के ग्रह राहू का। चक्र या स्टार गुरू व सूर्य का।