ज्योतिषियों के रोचक अनुभव
- विशेष संवाददाता
वैदिक ज्योतिष एवं प्राच्य विद्या शोध संस्थान अलीगंज, लखनऊ के तत्वाधान में 167 वीं मासिक सेमिनार का आयोजन वाराह वाणी ज्योतिष पत्रिका कार्यालय में किया गया। सेमिनार का विषय एक ज्योतिषी के जीवन के यादगार और सफल अनुभव था। जिसमे डा. डी.एस. परिहार के अलावा ज्योतिष रत्न श्री उदयराज कनौजिया, पं. शिव शंकर त्रिवेदी, प. आनंद एस. त्रिवेदी श्री अनिल कुमार बाजपेई एडवोकेट, प. एस. एस. मिश्रा, प. जे.पी. शर्मा पूर्व जज एल बी उपाध्याय एवं लेक्चरर श्री रंजीत सिंह आदि ज्योतिषियों एवं श्रोताओं ने भाग लिया पं. आनंद एस. त्रिवेदी ने गोष्ठी मे बताया कि युवास्था मे वे अपने बलिया के गांव वाले मकान मे रहते थे, एक स्थानीय ज्योतिषी के परामर्श पर उन्होंने एक नीलम पहना था धारण करने का पहला ही दिन था वे अपने मकान के दुमंजिले मे बैठै थे किसी काम से उन्हें नीचे आना पड़ा आते समय वे सीढियों से लुढक गये और पैर मे गंभीर मोच आ गई वे करीब 15 दिन तक चारपाई पर पड़े रहे, 15 दिन के बाद पड़ोस के एक शख्स पंडित दादा मुझे देखने आये उन्होंने पूछा अभी एक्सरे कराया कि नही हमने बताया नही, वे बोले एक्सरे जरूर कराओ अचानक उनकी दृष्टि हाथ मे पहने नीलम पर पड़ी वे बाले अरे ये नीलम क्यों पहन लिया, ये मुसीबत इसी नीलम की करतूूूूूूूूूूूूूत है। उन्होंने उसी समय नीलम उतरवा दिया एक्सरे मे फैक्चर निकला वे ईलाज से पूर्णतः ठीक हो गये पूर्व जज श्री एल बी उपाध्याय जी ने अपने अनुभव बताते हुये कहा कि उनके बाबा शिवकुमार उपाध्याय अपने दो छोटे भाईयों के साथ आजादी के पूर्व कलकत्ता मे उषा सिलाई और फैन कम्पनी मे काम करते थे उनके सबसे छोटे बाबा राम कुमार जी बड़े लंबे तगड़े दबंग आदमी थे वे 50 किलो का मुदगर घुमाते थे और पिस्तौल लटका कर चले थे वे आजादी की जंग मे कूद पड़े उन्होंने कांग्रेस के नेता बाद के लाल बहादुर शास्त्री को चिठ्ठी लिखी कि वे बलिया मे सरकारी डाकघर जलाने जा रहे है, उन्होंने डाकघर जला दिया अंग्रेजी हुकुमत ने उन्हें गिरफ्तार करके उन पर केस चलाया दो बंगाली वकीलों डा. चटजर््ी और डा. बनर्जी ने बाबा की पैरवी की बाबा को सजा हुयी सजा काटकर वे कलकत्ता चले गये वहां बाबा की मुलाकात एक ज्योतिषी से हुयी जिसने उन्हें बताया कि जब आप 25 साल के होंगे तो एक रात घर के बाहर सोते समय आपकी हत्या हो जायेगी सच मे जब वे 25 साल के थे एक रात कलकत्ता वाले घर के हाते मे सो रहे थे जिसकी बाउन्डरी टूटी हुयी थी कुछ बदमाशों ने रात मे भाले आदि से गोद कर उनकी हत्या कर दी। एक अन्य अनुभव बताते हुये उन्होंने बताया कि वे युवावस्था मे हरदोई मे मजिस्ट्रेट थे उन्ही दिनों दो लोग जिनमे एक पंडित जी थे और दूसरे अग्रवाल साहब उनके पास आये और उन्होंने खुद को हस्तरेखा शास्त्री बताया फिर उन्होंने मुझसे अपनी कुंडली विचरवाई मैंने अग्रवाल साहब की कुंडली देखकर बताया कि आपकी पत्नी के किसी ब्राह्मण से अवैध संबध है। बात सच निकली और उसी शाम पंडित जी और अग्रवाल साहब के बीच जमकर मारपीट हुयी। डी.एस. परिहार ने अपने अनुभव बताते हुये बताया कि 5 मई 2009 की शाम मेरे संस्थान मे एक अति भयभीत युवक सुनील बाजपेई कुंडली परामर्श हेतु आया आया उसका जन्म 6 दिसम्बर 1975 को रात्रि 10.45 को बाराबंकी मे हुआ था और मेैंने उसकी कुंडली बनाकर कहा, आपके खानदान पर इस समय मौत मण्ड़रा रही है। कभी भी किसी की मृत्यु हो सकती है। मैंने उसके डर का निवारण कर बताया कि यह दुर्भाग्य केवल उसकी ससुराल पर है। उसके परिवार पर नही मेरी भविष्यवाणी के उत्तर मे उसने जो कहानी सुनाई वह मै आपके सामने रख रहा हूँ। जनवरी 2005 मेे उसकी शादी हुयी थी शादी के दो माह बाद उसकी सास का देहंात हो गया फिर सास के एक माह बाद उसका ससुर चल बसे फिर एक बाद उसकी पत्नी मर गई पत्नी की मौत के एक माह के अंदर बड़ा साला चल बसा साले की मौत के कुछ महीनों बाद मझंला साला मर गया, अब सबसे छोटा साला कई महीनंों से गंभीर रूप से बीमार चल रहा था पी.जी.आई. लखनऊ की दवा चल रही थी कई डाक्टर्स बदलने के बाद भी रोग की गंभीरता कम नही हुयी वह अनेक ज्योतिषियों बाबाओं और तांत्रिकों का भी ईलाज करवा चुका था किंतु समस्या ज्यों की त्यों थी पहले तो जातक की समस्या सुनकर मुझे अजीब तरह की घबराहट हुयी क्योंकि इस तरह का अजीबो-गरीब मेरे जीवन मे पहले कभी नही आया था कुंडली का गहन अध्ययन करके दुर्गा जी के हवन व अंय ज्योतिषीय उपचार कराये गये जातक के साले को रोग से पूर्ण मुक्त मिल गई। यह केस मैंने सन 2012 मे अपनी पत्रिका मे भी पूर्ण विवेचन के साथ प्रकाशित किया था मेरे एक अन्य क्लाईंट डा. उत्तम कुमार मुखर्जी ने किसी ज्योतिष की सलाह पर 29 नवम्बर 2008 की रात टेस्ट करने के लिये काले कपड़े मे नीलम धारण किया दो दिन तो बड़ी शांति से बीते पर दो दिसम्बर की रात जब वे क्लीनिक बंद करके घर को चले तो पता चला कि नई स्कूटर पंचर हो गई है। किसी तरह से पंचर की दुकान तक गये दो पंचर निकले। अगली सुबह जब वे क्लीनिक के लिये निकले तो पता चला कि स्कूटर फिर पंचर हो गई है, पुनः दो पंचर निकले वे उन्होने पंचर वाले की दुकान पर स्कूटर छोड़कर मोटर साईकिल से जाने का फैसला किया तो पता चला कि गाड़ी मे पेट्रोल बहुत कम है। वे पेट्रोल डलवाने स्टेशन पर पहुंचे तो पता चला कि पर्स घर मे ही रह गया हे वे घर आये और पेट्रोल डलवा कर क्लीनिक पहुंचे तो पता चला कि पूजा की अलमारी मे रखी भगवान गणेश की चीनी मट्टी की मूर्ति फर्श पर गिरकर चकनाचूर हो गई किसी तरह क्लीनिक खोली तो कुछ देर बाद घर से फोन कि लड़के की स्कूल से नई साईकिल चोरी हो गई है। उस दिन क्लीनिक मे कोई पेशेंट भी नही आया दोपहर मे डा. मुखर्जी को लगा कि हो ना हो यह सब नीलम की वजह से हो रहा है। उन्होंने तुरंत नीलम उतार कर पाकेट मे रखा और सुनार को वापस कर दिया तब से फिर कोई अशुभ घटना नही घटी।