मकान बतायें परिवार का भाग्य

- डी.एस. परिहार

वास्तु कोई मकान बनाने की कला नही है, यह ब्रह्मांड की संतुलित उर्जा और संसार मे व्याप्त अध्यात्मिकता का ही अंश है। वास्तु ज्योतिष ग्रह ज्योतिष का ही एक अंश है जिसका आधार इंसान के खुद कर्म ही है। मकान केवल मकान मालिक का ही नही बल्कि परिवार के सभी सदस्यों बच्चे-बूढे, स्त्री-पुरूषों का भूत वर्तमान और भविष्य बताता है। लोग वास्तु का चुनाव नही करते बल्कि जातक अपने गत जन्मों के कर्मो के अनुसार की विशेष शुभता या दोष पूर्ण वास्तु वाला मकान-दुकान, फैक्ट्री आदि की प्राप्ति करता है। संसार मे इंसान गत जन्म मे जिस व्यक्ति वस्तु स्थान के प्रति शुभ या अशुभ कर्म करता है। इस जन्म मे उसके मकान या दुकान का उस व्यक्ति या वस्तु के कारक ग्रह का हिस्सा शुभ या अशुभ होता है। यह लेख नाड़ी ग्रन्थों के वर्णित वास्तु सिद्धान्तों पर है मकान के खराब हिस्से या उस के वास्तु दोष का असर केवल मकान वासी या मालिक या उसमे निवास करने वाले लोगों पर ही नही पड़ता है। बल्कि खानदान के सभी लोगों पर होता है। नाड़ी ज्योतिषी किसी मकान को देखकर ही उसके निवासियों के वर्तमान भूत भविष्य तक को बता देते है। हर ग्रह परिवार के कुछ खास संबधियों के बारे मे बताता है साथ ही मकान के विभिन्न भाग विभिन्न ग्रहों के प्रतीक होते है। जिनका वर्णन नीचे किया गया है। मकान के जिस हिस्से मे वास्तु दोष होता है वह ग्रह कंुडली मे खराब या अशुभ होता है जिसके कारण उस ग्रह का रिश्तेदार जीवन में कष्ट व दुर्भाग्य भोगता है तथा मकान क जो हिस्सा मे वास्तु के अनुसार होता है उस ग्रह का रिश्तेदार जीवन में अनेक राजयोग व पत्नी, धन, यश, मकान, वाहन आदि का सुख भोगता है।

सूर्य:- 

पिता-चाचा या पुत्र, पोता, राजा या उच्चाधिकारी या परवाहन वाले पशु को बताता है। 

चन्द्रमा :- 

मां, बड़ी, बहन, बड़ी ननद, सास, कोई माता समान महिला, तीसरी पत्नी को, नवजात या गर्भस्थ शिशु भ्रूण, घर की स्त्रियांे तृतीय संतान बताये।  

मंगल:-

पहला पति, दूसरे नम्बर का छोटा भाई, देवर, साला व घर की स्त्रियों, छोटे पशु खुला शत्रु अपराधी।  

बुध:- 

बिल्ली, तीसरा छोटा भाई या तीसरी छोटी बहन, छोटे बालक, बालिका, मामा, मामी, मौसी, मौसा, मौसेरा, ममेरा, भाई या बहन, मित्र, दूर के संबधी, पालतु पक्षी, द्वितीय पत्नी ससुर गर्लफ्रेन्ड या ब्वायफ्रेन्ड के भाग्य का पता चलता है। सौतेली दूसरी माता, घर की स्त्रियों छोटे बच्चों किशोरों-किशोरियों। 

गुरू:- 

खुद पुरूष जातक, शिक्षक, द्वितीय पति के भाग्य, द्वितीय बड़ा भाई, पुरूष संतान विशेषतः ज्येष्ठ पुत्र।

शुक्र:- 

पत्नी खुद स्त्रिी जातिका पुत्री दूसरी छोटी बहन पुत्र वधु या किसी संबधी की कोई युवती सौतेली तीसरी माता, घर की स्त्रियों और बच्चों का भाग्य पुरूष संतान व द्वितीय संतान बड़े पालतु पशु।  

शनि:- 

जंगली पक्षी, सबसे बड़े भाई नौकर नौकरानी तीसरा पति पुरूष संतान, अधीनस्थ कर्मचारी।

राहू:- 

बाबा, बाबा के भाई मुस्लिम या सिख क्लाईंट या मित्र खुला व छुपा शत्रु अपराधी ज्येष्ठ पुत्र, संतान व द्वितीय संतान।

केतु:- 

वनवासी, साधू, अजनबी, अत्याचारी, तीन चार पीढी पुराने पूर्वज, नाना-नानी के जीवन और भाग्य का ज्ञान होता है।

मकान के हिस्से और कारक ग्रह:-

सूर्य:-

दांयी ओर की खिड़की सूर्य मकान का दांया भाग, मकान के बांयी ओर का शयनकक्ष सूर्य मकान का पूर्वी भाग। 

चन्द्र:-

मुख्य दरवाजे की बांयी ओर की खिड़की, पानी की टंकी, जल संग्रह, मकान का बांया भाग, बाथरूम, मकान के दांयी ओर का शयनकक्ष, स्नानगार, नल, गौशाला, कूलर, एसी, कंुआ, नाली, गंदी नाली, बहता पानी, मकान का वायव्य कोण उत्तरी पच्छिमी भाग घर की स्त्रियांे तृतीय संतान बताये। 

मंगल:- 

बिजली का कनेक्शन, मीटर, किचिन, पत्थर, टाइल्स, खंभे, रसोई की चिमनी, बीम, मकान का दक्षिणी भाग, घर की स्त्रियों का भाग्य बताये।

बुध:- 

ड्राईंग रूम, बगीचा, बाग, लाॅबी, अतिथि कक्ष, मेन हाॅल, बरामदा, चाह दीवारी बाउन्ड्री, दीवारें, प्लास्तर अध्ययन कक्ष, बाॅलकनी, टेरेस, बुध, पेरामेट। मकान का उत्तरी भाग घर की स्त्रियों छोटे बच्चों किशोरों किशोरियों का भाग्य बताये। 

गुरू:-

पूजा घर मंदिर पूजा कक्ष, मकान का ईशान उत्तर पूर्वी भाग जातक व पुरूष संतान विशेषतः ज्येष्ठ पुत्र का भाग्य।

शुक्र:-

बेडरूम तिजौरी, फूलों का गार्डन कपड़ों की अलमारी श्रंगार कक्ष रसोई। आग्नेय कोण दक्षिण पूर्वी भाग घर की स्त्रियों और बच्चों का भाग्य पुरूष संतान व द्वितीय संतान बताये। 

शनि:- 

कबाड़ रूम प्रवेश द्वार की पहली सीढी, डाॅयनिंग रूम, डायनिंग टेबुल, अन्न भंडार, डायनिंग हाॅल लौह सामान, चक्की, स्लोप मार्ग, गंदी नाली,कूड़ा स्थल, प्रवेश द्वार की बीम स्टोर रूम, दुछत्ती, मकान का पच्छिमी भाग, पुरूष संतान का भाग्य।

राहू:- 

मुख्य दरवाजा, डायनिंग हाॅल, कबाड़ घर सूखा पेड़, अंधेरा भाग, क्षतिग्रस्त भाग व टूटी दीवारें, टूटा प्लास्तर, टूटे फ्रेम, शौचालय, घर के सामने की सड़क, रंग या पुताई का उड़ जाना, सड़कें, खाली उजाड़ भूमि, नाला, शमशान, बड़े सूखे गढ्ढे, गुफा, राहू संुरगे, पहिये, पोर्टिकोे, लिफट, झूला, मकान का कंपाउड नैऋत्य कोण, दक्षिण पच्छिमी भाग घर की स्त्रिी और ज्येष्ठ पुत्र संतान व द्वितीय संतान बताये। 

केतु:- 

गली, खंभे लंबे, पतले पेड,़ नारियल का वृक्ष, सीढी गैलरी, गली, मूत्रघर, पिछला दरवाजा, छत, रोशनदान, छज्जा, नाली। कई पीढी पहले के पूर्वज।

कुछ अनुभूत दोष के प्रभाव:-

1. यदि मकान का उत्तरी भाग उँचा और शेष भाग निम्न हो तो घर की स्त्रियां रोगी रहेगी

2. यदि मकान का उत्तरी पच्छिमी भाग सबसे उँचा और शेष भाग निम्न हो तो घर की स्त्रियाँ रोगी रहेगी परिजन भयग्रस्त रहेंगें

3. यदि मकान के पच्छिमी मे पूर्व की अपेक्षा अधिक जमीन खाली छोड़ी गई है तो पुत्र को हानि हो पूर्वामुखी मकान मे पूर्व के साथ ईशान भाग घट जाये जो ज्येष्ठ पुत्र को हानि व रोग हो।

4. ईशान दिशा मे कूड़ा करकट होने से पति दुःश्चरित्र हो जाता है। यदि चाह दीवारी की ईशान दिशा घट जाये या लुप्त हो जाये तो पुत्र पैदा ना हो या रोगी या मंदबुद्धि वाला हो।

5. पच्छिम दिशा मे जल संग्रह होने से पत्नी दुःश्चरित्र हो जाती है।

6. मुख्य द्वार के ठीक सामने खंभा या पेड़ होने से असामयिक पत्नी या पुत्र शोक हो जाता है। 

7. यदि पूर्वाभिमुखी मकान मे बिना पूर्व मे कोई खाली जगह छोड़े मकान बना लिया गया है। तो पुत्र ना पैदा हों या पुत्र विकलांग पैदा हो या मकान मे पूर्वी भाग पच्छिम से ऊंचा होता तो पुत्र या संतान रोगी या मंदबुद्धि वाली हो।

8. यदि पूर्व दिशा मे पत्थरों का ढेर या कूड़ा करकट टीला हो तो गर्भपात, संतान की हानि या संतानहीनता हो।




 

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