संस्थान की स्थापना समाज की सेवा के उद्देश्य से की गई: राम मिलन मिश्र
शीतल सेवा संस्थान द्वारा अमावस्या पर्व पर श्रद्धालुओं के लिए निःशुल्क प्रसाद वितरण कार्यक्रम का आयोजन
- संदीप रिछारिया
जनसेवा और परोपकार के अपने संकल्प को साकार करते हुए शीतल सेवा संस्थान, चित्रकूट ने अमावस्या के पावन अवसर पर निःशुल्क चाय, बिस्किट एवं सूजी के हलवे का वितरण किया। यह सेवा 28 जनवरी से निरन्तर 5 फरवरी 2025 तक शिवरामपुर रोड, सीतापुर में आयोजित हो रही है, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया और संस्थान के इस सराहनीय कार्य की प्रशंसा की।
संस्थान के अध्यक्ष श्री राम मिलन मिश्र ने कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी सेवाभावी सदस्यों और समाजसेवियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा, संस्थान की स्थापना समाज की सेवा के उद्देश्य से की गई थी और भविष्य में भी इसी भाव को बनाए रखते हुए सेवा कार्य किए जाते रहेंगे।
इस आयोजन में संयोजक बिजेन्द्र कुमार मिश्र की महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिन्होंने कार्यक्रम को सुव्यवस्थित ढंग से संपन्न कराने के लिए विशेष योगदान दिया। उन्होंने बताया कि संस्थान समय-समय पर विभिन्न सेवा कार्यों का आयोजन करता रहा है और आगे भी ऐसे कार्यक्रमों को और अधिक विस्तारित किया जाएगा, जिससे अधिक से अधिक जरूरतमंदों तक सहायता पहुंच सके।
संस्थान के संरक्षक शांति शरण मिश्र ने अपने संबोधन में कहा, सेवा ही हमारा धर्म है के भाव को आत्मसात कर समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन न केवल समाज में सौहार्द और परोपकार की भावना को प्रोत्साहित करते हैं, बल्कि धार्मिक श्रद्धालुओं को सुविधा प्रदान करने में भी सहायक होते हैं।
इस अवसर पर चंद्रभान मिश्र, धीरेंद्र सिंह, आशीष गुप्ता, उमेश द्विवेदी, रेवती मिश्र सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे और सेवा कार्य में सक्रिय योगदान दिया। संस्थान द्वारा किए गए इस सेवा कार्य की स्थानीय श्रद्धालुओं और समाजसेवियों ने मुक्त कंठ से सराहना की।
शीतल सेवा संस्थान के सचिव डा. सतीश कुमार मिश्र ने बताया कि भविष्य में इस तरह के और भी निःशुल्क सेवा कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें धार्मिक यात्रियों, गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए भोजन, चिकित्सा सहायता और अन्य सुविधाओं की व्यवस्था की जाएगी।
संस्थान समाज के प्रत्येक वर्ग से इस पुण्य कार्य में भागीदारी की अपील करता है ताकि सेवा की इस परंपरा को और अधिक सशक्त किया जा सके।