नाबार्ड ने राज्य ऋण संगोष्ठी आयोजित किया
नाबार्ड ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए राज्य में प्राथमिकता क्षेत्र के तहत 7.69 लाख करोड़ रूपये की ऋण संभाव्यता का अनावरण किया
- विजय भारत
उत्तर प्रदेश सरकार के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना और सहकारिता मंत्री जे.पी. एस. राठौर लखनऊ के गोमती नगर स्थित होटल हयात रीजेंसी में आयोजित नाबार्ड के राज्य ऋण संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश राज्य के लिए स्टेट फोकस पेपर 2025-26 जारी किया। प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए, नाबार्ड राज्य के लिए ऋण संभाव्यता का आकलन करने हेतु प्रत्येक वर्ष स्टेट फोकस पेपर तैयार करता है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए, इस शीर्ष विकास वित्त संस्थान ने उत्तर प्रदेश के लिए प्राथमिकता क्षेत्र के तहत 7.69 लाख करोड़ रूपये की ऋण संभाव्यता का अनुमान लगाया है, जो पिछले वित्तीय वर्ष के अनुमान से 34 प्रतिशत अधिक है। आगामी वर्ष में कृषि के लिए ऋण संभाव्यता 2.77 लाख करोड़ रूपये और एमएसएमई के लिए 4.46 लाख करोड़ रूपये आकलित की गई है। अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिए 0.46 लाख करोड़ रूपये की संभाव्यता का अनुमान लगाया गया है, जिसमें आवास ऋण के लिए 0.21 लाख करोड़ और निर्यात ऋण के लिए 0.06 लाख करोड़ शामिल हैं।
अपने स्वागत भाषण में पंकज कुमार, मुख्य महाप्रबंधक, नाबार्ड, उत्तर प्रदेश क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा बतया गया कि राज्य फोकस पेपर में निर्धारित अनुमान राज्य के सभी 75 जिलों के लिए जमीनी स्तर पर आकलित की गई संभाव्यता का एकत्रीकरण है और राज्य फोकस पेपर के आधार पर, 2025-26 के लिए राज्य की वार्षिक ऋण योजना को राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एस.एल.बी.सी) द्वारा अंतिम रूप दिया जाएगा।
सीजीएम नाबार्ड ने मनाई जा रही संत रविदास जयंती के महत्व पर प्रकाश डाला। साथ ही इसके सामाजिक उत्थान में योगदान को रेखांकित किया, जो राज्य फोकस पेपर SFP के उद्देश्य से मेल खाता है। पिछले वर्ष, वार्षिक ऋण योजना (ACP) 2024-25 का SFP 2024-25 के साथ समायोजन 90.30 प्रतिशत रहा। एस.एल.बी.सी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ए.सी.पी लक्ष्यों का एस.एफ.पी के साथ सक्रिय समन्वय हो, जिसमें कृषि और एमएसएमई क्षेत्रों को ऋण देने पर अधिक ध्यान दिया जाए, ताकि राज्य सरकार के $1 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के लक्ष्य के साथ संरेखण हो सके। उन्होंने राज्य सरकार की विभिन्न पहलों, जैसे एग्री स्टैक, यूपी-एग्रीज आदि का उल्लेख किया, जो कृषि विकास को बढ़ावा देने के लिए हैं, और साथ ही सीएम-युवा जैसी योजनाओं के माध्यम से एमएसएमई क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उत्तर प्रदेश में ऋण प्रवाह मुख्य रूप से फसल उत्पादन की ओर केंद्रित है, जबकि कृषि विकास को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण पर अपेक्षाकृत कम ध्यान दिया जा रहा है।
उन्होंने ऋण की कमी से जूझ रहे जिलों में सीडी अनुपात में सुधार लाने, केसीसी के पूर्णतया डिजिटलीकरण और संतुलित विकास हासिल करने के लिए ऋण प्रवाह में क्षेत्रीय असमानता को दूर करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
अपने संबोधन में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा, सरकार राज्य में निवेश आकर्षित करने के लिए बुनियादी ढांचे, व्यापार करने में आसानी और कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार पर ध्यान केंद्रित कर रही है। यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 की मेजबानी के बाद, राज्य ने केवल एक वर्ष की छोटी अवधि में 10 लाख करोड़ रूपये से अधिक के अनुमानित निवेश के साथ 14,000 से अधिक परियोजनाओं को लागू किया, जबकि 6.0 लाख करोड़ रूपये से अधिक के एमओयू प्रक्रिया में हैं। दावोस में WEF समिट में हाल ही में 19,000 करोड़ के लिए हुए एमओयू राज्य में एमएसएमई की बढ़ती वृद्धि की निरंतर प्रवृत्ति को दर्शाते हैं। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश अब एक प्रगतिशील राज्य बन चुका है, जिसकी औद्योगिक वृद्धि तेलंगाना से अधिक है।
मंत्री जी ने उल्लेख किया कि बुनियादी ढांचा प्रमुख रोजगार सृजन क्षेत्रों में से एक है और केंद्र और राज्य सरकारें इस क्षेत्र में अपने खर्च को निरंतर बढ़ा रही हैं। उन्होंने कहा कि 2029 तक राज्य में 1 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्राथमिकता क्षेत्रों में उच्च वृद्धि की आवश्यकता है।
बैंकों को कृषि से जुड़े क्षेत्रों जैसे कि कृषि मशीनीकरण, वृक्षारोपण, मत्स्य पालन, पशुपालन, भंडारणध्विपणन यार्ड आदि के लिए नाबार्ड द्वारा आकलित की गई ऋण क्षमता का संज्ञान लेना चाहिए, ताकि पूंजी निर्माण हो सके और बैंकों द्वारा किए गए अनुमानों को पूरा करने के लिए ऋण उपलब्ध कराया जा सके। बैंकों को फसलों की संपूर्ण मूल्य-श्रृंखला का समर्थन करने का भी प्रयास करना चाहिए, ताकि किसानों को अंत-से-अंत तक हस्तक्षेप उपलब्ध हो सके। उन्होंने बैंकों से राज्य में ऋण जमा (सीडी) अनुपात में सुधार करने का भी आह्वान किया। उन्होंने यह रेखांकित किया कि उत्तर प्रदेश अब स्थायी और अधिक समावेशी विकास की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है और इस दौड़ में जीत हासिल कर रहा है।
विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित सहकारिता मंत्री जे.पी.एस. राठौर ने उत्तर प्रदेश में कृषि और सहकारी क्षेत्र को बढ़ावा देने में नाबार्ड के योगदान की सराहना की। मंत्री जी ने कहा, 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने के लक्ष्य को उत्तर प्रदेश की प्रमुख भूमिका के साथ साकार किया जा सकता है। उन्होंने राज्य में सहकारी समितियों और पैक्स को मजबूत करने के महत्व पर जोर दिया। मंत्री जी मंत्री ने उल्लेख किया कि पहले कमजोर रही 16 जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (DCCBs) में से 14 अब लाभ में आ चुके हैं, और यह अपेक्षित है कि 31 मार्च 2025 तक सभी DCCB लाभ में आ जाएंगे। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार 10 लाख रूपये की कैश क्रेडिट (सी.सी) सीमा पर 6000 पैक्स के लिए ब्याज दर वहन करेगी। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार की विभिन्न पहलों, जैसे पैक्स सदस्यता अभियान, पैक्स कम्प्यूटरीकरण परियोजना, पैक्स को बहुद्देशीय सेवा केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना पर प्रकाश डाला, जो राज्य में सहकारी क्षेत्र को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। अंततः सहकारिता मंत्री ने सहकारी बैंकों के लिए तकनीकी उन्नयन और साइबर सुरक्षा समय की आवश्यकता पर जोर देते हुए अपना उदबोधन समाप्त किया।
आलोक कुमार, आई.ए.एस, प्रमुख सचिव, योजना, ने राज्य फोकस पेपर तैयार करने में नाबार्ड के प्रयासों की सराहना की, जो एक व्यापक दस्तावेज है। उन्होंने बैंकों से विशेष रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड जैसे ऋण-संकटग्रस्त क्षेत्रों में सीडी अनुपात (क्रेडिट-डिपाजिट अनुपात) में सुधार पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। बैंकों को मार्च 2025 तक 60 से 65 प्रतिशत का सीडी अनुपात प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने नाबार्ड और आरबीआई से योजना निर्माण में सहयोग देने और डेटा एनालिटिक्स के उपयोग के लिए क्षेत्रवार और जिला-वार ऋण वितरण एवं उधारकर्ताओं की ऋण क्षमता का विश्लेषण प्रदान करने का अनुरोध भी किया।
राज्य सरकार के अधिकारियों, भारतीय रिजर्व बैंक और नाबार्ड के अधिकारियों द्वारा ग्रामीण आधारभूत ढांचे के विकास, वित्तीय समावेशन, जलवायु परिवर्तन, सहकारी क्षेत्र की वृद्धि आदि जैसे विभिन्न विषयों पर प्रस्तुतियां दी गईं।
संगोष्ठी में राज्य सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक, वरिष्ठ बैंकरों और अन्य संस्थानों के गणमान्य व्यक्तियों ने भी भाग लिया। कार्यक्रम का समापन नाबार्ड की उप महाप्रबंधक डा. नंदिनी घोष के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।