टीबी दिवस मनाया गया

- विजय वर्मा

प्रति वर्ष 24 मार्च को मनाए जाने वाले विश्व टीबी दिवस के अवसर पर कम्युनिटी मेडिसिन विभाग, यूसीएमएस द्वारा UHTC दिलशाद गार्डन, दिल्ली में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें ताहिरपुर गांव, सराय और दिलशाद गार्डन क्षेत्र के लोग व स्थानीय आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सम्मिलित हुए। इस अवसर पर डाक्टरों ने लघु नाटियका और विभिन्न श्लोगन द्वारा लोगों को जागरूक किया।

HOD प्रो. संजीव भसीन ने बताया, इस दिन विश्व स्वास्थ्य संगठन के आवाह्न पर पूरी दुनिया में टीबी (तपेदिक रोग) से संबंधिक कई कार्यक्रम चलाए जाते हैं, जिससे की लोगों को इसके लक्षण, कारण, बचाव, इलाज इत्यादि के बारे में पता चल सके। 

उन्होंने बताया कि 24 मार्च, 1882 में जर्मन फिजिशियन एवं माइक्रोबायोलाजिस्ट राबर्ट कोच ने इस वैश्विक बीमारी के कारक बैक्टीरिया की खोज की थी। यही कारण है की 24 मार्च का दिन विश्व तपेदिक दिवस के लिए चुना गया।

डा. संजय राजपाल, निदेशक नई दिल्ली टीबी सेंटर ने बताया कि हम डा. टीबी का पता अब डेढ़ घंटे में लगा सकते है। उन्होंने बताया कि टीबी की नियमित दवाएं लेने से यह पूरी तरह ठीक हो जाती है। यह भी बताया कि टीबी को लेकर सबसे बड़ी समस्या स्टिंगमा है जिसके वजह से लोग इस बीमारी को छुपाने की कोशिश करते है। उन्होंने बताया कि टीबी की बीमारी का अंत लोगों के जागरूक होने से ही हो सकता है।

विश्व के सबसे संक्रामक रोगों में से टीबी एक प्रमुख बीमारी है। डब्ल्यूएचओ (WHO)  के अनुसार, रोजाना लगभग 3,500 लोगों की मौत टीबी के कारण होती है और लगभग 3,000 लोग इस बीमारी से पीड़ित होते हैं। टीबी विश्वभर में दूसरा मौत का सबसे बड़ा कारण है। यह व्यावहारिक रूप से शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है, जिसमें सबसे सामान्य फेफड़े, आंतों, लिम्फ नोड्स, रीढ़ और मस्तिष्क इत्यादि हैं। 

उन्होंने बताया कि टीबी रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में हवा के माध्यम से फैल सकता है। इस बैक्टीरिया का विकास धीरे-धीरे शरीर के उन भागों में होता है, जहां खून और आक्सीजन दोनों मौजूद होते हैं। इसलिए यह ज्यादातर फेफड़ों में पाया जाता है। टीबी को उपचार के द्वारा ठीक किया जा सकता है, जिसकी अवधी 6 से 9 महिने होती है और कुछ स्थितियों में इसे ठीक होने में 2 साल भी लग सकते हैं।

डा. के.के. चोपड़ा, पूर्व निदेशक नई दिल्ली टीबी सेंटर, ने टीबी के लक्षणों को बताते हुए कहा कि दो हफ्ते या उससे ज्यादा समय तक की खांसी के साथ वजन घटना, खांसी के साथ बलगम में खून, सीने में दर्द होना, बुखार आना, मांसपेशियों में दर्द, भूख में कमी, रात में पसीना होना, थकान और कमजोरी महसूस होना ये सब टीबी के प्रमुख लक्षण हैं।

उन्होंने बताया कि टयूबरक्लोसिस के बैक्टीरिया का प्रसार हवा माध्यम से होता हैं। जब कोई व्यक्ति हवा में सांस लेता है तो वह मौजूद बैक्टीरिया को अपने अंदर खींच सकता है। टीबी किसी भी टीबी ग्रसित व्यक्ति के छींकनें, खांसने, बोलने, इत्यादि से फैल सकता है। टीबी बढ़ने के कई जोखिम कारक हैं, जिसमें अनहेल्दी डाइट, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, एचआईवी संक्रमित व्यक्ति, किडनी रोग वाले व्यक्ति, इत्यादि। 

डा. चोपड़ा ने बताया कि टीबी का इलाज करने के लिए दवाओं का एक कोर्स होता हैं, जिसे पूरा करना बहुत जरूरी होता है। यदि आप एक्टिव टीबी रोग के लक्षण को खुद महसूस करें तो तत्काल अपने नजदीकी चेस्ट क्लिनिक से परामर्श करें और उपचार कराएं। 

इसके इलाज की अवधी 6 महिने से लेकर 2 साल तक भी हो सकती है। इसकी दवा सभी सरकारी अस्पतालों और डाट्स सेंटर पर मुफ्त में उपलब्ध होती है।

इस अवसर पर जनसमूह के साथ GTBH  चेस्ट किलिनिक से डा. पुनीता व अयप्पा सेवा समिति के अध्यक्ष श्री कवलम माधवन कुट्टी सहित यूसीएमएस के रेजिडेंट डाक्टर, स्टाफ और मेडिकल छात्र उपस्थित रहे।



 

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