अयोध्या में 84 कोसी परिक्रमा का शुभारंभ
श्री राम जी की नगरी अयोध्या मे शुरू हुआ चैरासी कोसी परिक्रमा
- मनोज मिश्रा, व्यूरो चीफ अयोध्या
अयोध्या की पौराणिक 84 कोसी परिक्रमा में हजारों श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं। परिक्रमा में शामिल श्रद्धालुओं का जत्था सोमवार की रात करीब 7 बजे पक्का तालाब, अमानीगंज पहुंचा। इस परिक्रमा में अयोध्या के अलावा मथुरा, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, महाराष्ट्र और नेपाल से श्रद्धालु शामिल हैं। श्रद्धालुओं ने पक्का तालाब के आस-पास विश्राम स्थल बनाए हैं। कई श्रद्धालु तालाब में स्नान कर रहे हैं। यह तालाब अपनी विशेषता के लिए जाना जाता है क्योंकि इसका पानी कभी नहीं सूखता।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला प्रचार प्रमुख अवनीश सिंह के नेतृत्व में 600 से अधिक परिक्रमार्थियों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई है। श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण के साथ भजन-कीर्तन का आयोजन भी किया जा रहा है। पक्का तालाब के पास स्थित बाबा चतुरेश्वर महादेव मंदिर का विशेष महत्व है। यह गोसाई संप्रदाय के संत चतुरगिरी की तपोस्थली रही है। मान्यता है कि संत चतुरगिरी ने अमौनी मठ से आकर पक्का तालाब का निर्माण करवाया। इसी कारण यह क्षेत्र पहले अमौनी और अब अमानीगंज के नाम से जाना जाता है। 84 कोसी परिक्रमा 240 किलोमीटर की पदयात्रा है। यह पांच जिलों से होकर गुजरती है और 21 दिनों में पूरी होती है। परिक्रमा का समापन अयोध्या के सीता कुंड पर होगा। स्थानीय मान्यता के अनुसार, संत चतुरगिरी का आशीर्वाद है कि यहां एक घर में लगी आग दूसरे घर तक नहीं फैलती। इसी कारण आसपास के जनपदों से लोग अपनी मन्नतें पूरी होने पर बाबा चतुरेश्वर महादेव मंदिर में पूजा करने आते हैं। मध्य प्रदेश की बाबा गिरधारी लाल ने बताया कि हमारा आया पांचवा परिक्रमा है मानता है कि 84 कोसी परिक्रमा की यात्रा में शामिल होने से व्यक्ति को 84 लाख योनियों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है यह यात्रा आध्यात्मिक साधना और मोक्ष की प्राप्ति के उद्देश्य से की जाती है। इस परिक्रमा में शामिल होने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मृत्यु उपरांत बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। इस यात्रा में शामिल होने वाले मनुष्य को 84 लाख योनियों के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। सुबह सूक्ष्म जलपान करने के बाद श्रद्धालु यात्रा शुरू कर दिए हैं।