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मुकेश जयंती समारोह 30 जुलाई को मुंबई में

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सबकुछ सीखा हमने, जीना यहां मरना यहां, कभी कभी मेरे दिल ख्याल आता है और मेरा जूता है जापानी जैसे कई सुपरहिट गानों के जरिये लोगों को अपनी मधुर आवाज के जरिये लोगों के दिलों में राज करने वाले बॉलीवुड के सुप्रसिद्ध गायक दिवंगत मुकेश जी का जन्मदिन २२ जुलाई को था, उनकी जयंती के उपलक्क्ष में गीतकार हरिश्चंद्र ने 30 जुलाई को मुंबई के जुहू जाग्रति सभागार, मीठीबाई कॉलेज,विलेपार्ले (वेस्ट),मुंबई में शाम 6 बजे  मुकेश जयंती समारोहश् का आयोजन किया है। कार्यक्रम के लिए प्रेरणा देनेवाले पदमश्री अनूप जलोटा है। कार्यक्रम का संचालन पवन तिवारी करने वाले है। जिसमें उशा तिमोथी, श्यामा कुमारी, नीतूश्री, सुरेशानंद, कीर्ति अनुराग, नारी आहुजा, दामोदर राव, हरिश्चंद्र इत्यादि प्रतिभाशाली गायक कलाकार हिस्सा लेंगे। इस कार्यक्रम में विश्वनाथ सचदेव, कृष्ण खदरिया, शीतला प्रसाद दुबे, देवमणि पांडे, सावरमलजी हिसारिया, मोहिंदरजीत सिंह वसीर, डॉ. राजीव अग्रवाल, डॉ. रंजू सिन्हा,मनमोहन गुप्ता, आचार्य धनंजय व्यास शास्त्री, कुमार बिहारी पांडे,डॉ. जे पी यादव, आदर्श जैन, के के गोस्वामी, सुरेंद्र आनंद, किरण मिश्र इत्यादि वरिष्ठ...

कैम्पस टेबल टेनिस प्रतियोगिता

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सिटी मोन्टेसरी स्कूल द्वारा सी.एम.एस. कानपुर रोड कैम्पस, लखनऊ के टेबिल-टेनिस हाॅल में चल रही  इण्टर-कैम्पस टेबल टेनिस प्रतियोगिता के अन्तर्गत जूनियर एवं सीनियर वर्ग के फाइनल मुकाबले सम्पन्न हुए। इस प्रतियोगिता में सी.एम.एस. के विभिन्न कैम्पस के छात्र प्रतिभाग कर रहे हैं। बालक वर्ग के फाइनल मुकाबले में एकल व युगल दोनों वर्गो में सी.एम.एस. के प्रतिभावान खिलाड़ियों ने उच्च तकनीक एवं दमखम का शानदार प्रदर्शन किया तथापि सी.एम.एस. कानपुर रोड कैम्पस की टीम ने सर्वाधिक 16 अंक अर्जित कर बालक वर्ग की चैम्पियनशिप अपने नाम की। जूनियर बालक वर्ग के एकल मुकाबले में कानपुर रोड कैम्पस के यथार्थ श्रीवास्तव ने गोमती नगर (प्रथम कैम्पस) के अमोग शक्ति को 11-5, 5-11, 11-9, 5-11 एवं 11-9 से हराया जबकि युगल मुकाबले में कानपुर रोड कैम्पस के यथार्थ श्रीवास्तव एवं आदर्श मिश्रा की जोड़ी ने अलीगंज (प्रथम कैम्पस) के रूद्रांश सिंह एवं प्रणव सिंह की जोड़ी को 11-8, 11-0 एवं 11-3 से हराया।  इसी प्रकार, सीनियर बालक वर्ग के एकल मुकाबले में गोमती नगर (प्रथम कैम्पस) के कृतिन गोयल ने कानपुर रोड कैम्पस के प्रशप्रीत सिंह ...

शिक्षा व्यवस्था ही अच्छे नागरिकों को जन्म दे सकती है

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लोकमात्य बाल गंगाधर तिलक एक समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी, गणितज्ञ, खगोलशास्त्री, पत्रकार और भारतीय इतिहास के विद्वान थे। तिलक का जन्म 23 जुलाई, 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरि में हुआ था। तिलक के पिता श्री गंगाधर रामचंद्र तिलक संस्कृत के विद्वान और प्रसिद्ध शिक्षक थे। तिलक एक प्रतिभाशाली छात्र थे। वह अपने कोर्स की किताबों से ही संतुष्ट नहीं होते थे। गणित उनका प्रिय विषय था। वह क्रेम्बिज मैथेमेटिक जनरल में प्रकाशित कठिन गणित को भी हल कर लेते थे। उन्होंने बी.ए. करने के बाद एल.एल.बी. की डिग्री भी प्राप्त कर ली। वह भारतीय युवाओं की उस पहली पीढ़ी से थे, जिन्होंने आधुनिक काॅलेज एजुकेशन प्राप्त की थी।   तिलक को जीवन के सबसे जरूरी समय में माता-पिता का सानिध्य नहीं मिल पाया था। केवल दस वर्ष की अवस्था में ही तिलक की माँ उन्हें छोड़कर चल बसीं और कुछ ही वर्षों के बाद पिता का भी देहांत हो गया। तिलक को उनके दादा श्री रामचन्द्र पंत जी 1857 को हुए प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के किस्से सुनाते थे। इसका प्रतिफल यह हुआ कि तिलक ने बचपन से ही देश की तत्कालीन परिस्थितियों पर चिन्तन करना शुरू कर दिया। त...

खुशियों का खजाना है निर्वाणा

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निर्वाणा नवोदित लेखिका रूनझुन नुपुर द्वारा लिखा एक उपन्यास है। कारपोरेट जगत मे काम करने वाले एक आम आदमी के सच्चे सुकुन की तलाश की कहानी है कारपोरट जगत की झूठे ग्लैमर और चकाचैंध भरी जिंदगी के पीछे छिपे स्याह काले सच से जब एक आम इंसान का सामना होता है, उसे अपनी बड़ी नौकरी मोटी तन्खवाह ऊँचा नाम सब उसे बेईमानी और बनावटी लगनें लगता है। उसे महसूस होता है कि कारपोरेट जगत की सफलताये और ग्लैमर उसकी निराशा, तनाव और टेंशन दूर करने मे नाकामयाब है। यहाँ सारे रिश्ते झूठ और स्वार्थ पर टिकेे है यहाँ हर चीज, हर इंसान के दो रूप हैं जो बाहर से देखने मे जितना सुन्दर, आकर्षक और लाभकारी है। हकीकत मे उतना ही घातक और बदसूरत है। अचानक एक अदृश्य आवाज नायक को ना केवल इस सच्चाई का अहसास कराती है। बल्कि उसे जिदंगी की सच्ची खुशियां दिलाने का वादा भी करती है। वो तलाश नायक को विचित्र मगर रोमांचक रास्ते पर चलने पर मजबूर कर देती है, एक रास्ता जो होकर गुज़रता है कई जादुई आयामों से , जहाँ कुछ बोलते शीशे, बॉलीवुड जैसे सेट, शानदार पार्श्व संगीत और एक सनकी बाबा जो कोबेन से उतनी ही मोहब्बत करता है जितना अपने व्यंगों से, हमारे ...

जुडो कराटे, बालिका सुरक्षा जागरूकता अभियान

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जिलाधिकारी रायबरेली नेहा शर्मा व पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार सिंह ने कलेक्ट्रट कक्ष में जनपद में चल रहे बालिका सुरक्षा जागरूकता अभियान कवच के तहत आयोजित कार्यक्रमों में बालिक और बालिकाओं का जुड़ो कराटे में अच्छा प्रदर्शन व अन्तर्राजीय कराटे प्रतियोगिता के खिलाड़ी आदि को प्रशस्त्रि पत्र देकर उत्साहवर्धन किया गया।  उन्होंने जूडो कराटे का प्रदर्शन करनी वाली छात्र और छात्राओं के भविष्य की उज्जवल कामना करते हुए कहा कि वे पढ़ाई के साथ साथ जूडो कराटे आदि विधा में पारंगत होकर अपना, समाज व देश का नाम रोशन करेगे। जुडो कराटे, बालिका सुरक्षा जागरूकता अभियान कवच व अन्य प्रतियोगिता का उद्देश्य है कि आत्मरक्षा को बढ़ावा एवं खेल और कराटे को बढावा देना। दर्जनों बच्चो ने अच्छा प्रर्दशन किया है। जिलाधिकारी नेहा शर्मा, पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार सिंह, एसडीएम सदर शशांक त्रिपाठी, एडी सूचना प्रमोद कुमार ने कराटे खिलाड़ी पूजा देवी, शिवशक्ति, रोशन, राहूल कुमार पटेल, रोहित कुमार, शिवांस कुमार, प्रिती गुप्ता आदि को गोल्ड ब्रान्ज, सिल्वर व बीसीएन शिवानी साहू, सानिया फिदौस, उर्वशी पटेल, सौरभ कुमार तथा प्रतिभागी छात्र-...

फिल्म मोक्ष टू माया 26 को रिलीज हो रही है

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धारावाहिक'साथ निभाना साथिया' में चिराग मोदी उर्फ़ मोटा भाई के जरिये चर्चा में आये बहुमुखी प्रतिभाशाली एक्टर नीरज भारद्धाज अब फिल्म 'मोक्ष टू माया' के जरिये फिर से फिल्मों में वर्षों बाद वापसी कर रहे है। यह फिल्म 26 जुलाई को रिलीज़ हो रही है।इस फिल्म में उनके साथ 'बाबूमोशाय बन्दूकबाज़' की चर्चित अभिनेत्री विदिता बाग़ भी मुख्य भूमिका में है।'मोक्ष टू माया' के निर्मातायों में एक निर्माता नीरज भारद्धाज भी है और इस फिल्म में वे रंगमिजाज़ आईएएस अफसर बने है, जोकि काफी दमदार रोल है। फिल्म के बारे में नीरज भारद्धाज कहते है," फिल्म का सब्जेक्ट काफी पावरफूल है, जोकि लोगों को पसंद आएगा। आजकल लगता है कि फिल्म इंडस्ट्री में अच्छे सब्जेक्ट को काफी कमी है। इसलिए हम लोग चाहते है कि साल में एक या दो फिल्म का निर्माण जरूर करेंगे लेकिन सब्जेक्ट अच्छा मिलेगा तभी ही फिल्म का निर्माण करेंगे।"         फिल्मों में वर्षों बाद वापसी के बारे में नीरज भारद्धाज कहते है,"मैं अब अच्छा और पावरफूल भूमिका ही करना चाहता हूँ,चाहे वह धारावाहिक तो या फिल्म हो। मैं इतनी फिल्म या धारा...

उल्लू की मनहूस आवाज

यह अचम्भित, हैरत-अंगेज, सनसनीखेज और खौफनाक घटना जलंधर में सन् 2001 में घटी। डेराबाबा गांव में बलवंत सिंह नाम के रिटायर्ड सूबेदार रहते थे। 1965 की भारत-पाक जंग के दौरान वे अपनी एक आँख खो बैठे थे। रिटायरमेंट के बाद वे अपने तीनों लड़कों बड़े सुरजीत, मझंले करतार व छोटे गुरमीत के साथ अपनी 12 एकड़ पुश्तैनी जमीन पर खेती-बाड़ी करते थे। कोई कमी नहीं थी। सब कुछ मजे में चल रहा था कि अचानक वे गृह कलह के शिकार हो गये। छोटा लड़का गुरमीत जो शहर में रहकर पढ़ाई कर रहा था। उसने जलंधर में अपना कारोबर करने के लिये बलबंत से पैसा मांगा। गुरमीत को उसके पिता व दोनों भाइयों और भाभियों ने बहुत समझाया कि हम लोग किसान हैं। सब मिलजुल कर खेती-बाड़ी करें और चैन से गुजर-बसर करें। लेकिन जब गुरमीत किसी तरह नहीं माना तो बलबंत ने गांव में पंचायत बुलाकर सबके सामने अपनी 12 एकड़ जमीन चार हिस्सों में बांट दी। तीन हिस्से तीन लड़कों को दिये व एक हिस्सा अपने पास रखा। गुरमीत ने अपने हिस्से की जमीन बेच डाली और 1982 में जलंधर से 17 किलोमीटर जुड़े कस्बे में खाद-बीज की दुकान खोली। किस्मत मेहरबान हुयी और कारोबार अच्छा चल निकला। इसी बीच उसने एक...